क्यो आते है आँसू और बहती है नाक?
Om Prakash Patidar
जब आप दुखी होते हैं या जब कभी इमोशनल हो जाते हैं तब आपकी आंखो से आंसू आना शुरू हो जाते हैं. यह एक आम बात है. लेकिन कभी आपने यह गौर किया है हर किसी को आंसू एक ही जैसे आंसू आते हैं और हर कोई रोता है. कभी-कबार रोना भी आपके लिए सही साबित होता है. रोने से मन हल्का भी हो जाता है. ज़्यादातर डॉक्टर भी सिचुएसन के अनुरूप आपको रोने की सलाह देते हैं. यूं तो हमारे बॉडी के सभी हिस्से कुछ न कुछ अपने आप में रहस्य छिपाए हुए है. अगर आप इन्हें जानने बैठें तो आपका शरीर ही एक चलता-फिरता जनरल नॉलेज है. वैसे ही आंसू भी अपने साथ कई राज समेटे हुए है.
आखिर क्यों आते हैं आंसू –
आंखों के ऊपरी भाग में अश्रुग्रंथियां होती हैं जो इनकी नालिकाएं कंजक्टाइवा कोश में खोलती है. इन्हीं कंजक्टाइवा नलिकाओं में आंसू बनना शुरू हो जाते है जो आंखों को धोने में कारगर होता है. यही आंसू पलकों की कोर में एक छिद्र होता है जिसके सहारे पानी बनकर बाहर आते हैं जिसे हम आंसू के नाम से जानते हैं.
आंसू आने पर लोग नाक क्यों पोछते हैं –
यह एक बड़ा रहस्य है जिसे आपने देखा और किया भी है. लेकिन ऐसा क्यों होता है यह आपको नहीं पता है. जब आप रोते हैं तो साथ ही में आप नाक पर भी रुमाल लगाए रहते हैं. बताते चलें कि जब आपके आंसू निकलते हैं तब आपकी पलकों के साइड में एक छोटा सा छिद्र होता है उस छिद्र के सहारे ही आंसू नासिका की ओर चला जाता है जिससे नासिका से भी पानी आने लगता है. यही कारण है कि लोग रोते समय नाक को पोछते हैं. आंसू में एक प्रकार की जीवावसादक लाइसोज़ाइम पाया जाता है जो जीवाणुओं से नेत्र की रक्षा करता है.
इसका एक और कारण भी है आंखो के ऊपरी भाग में अश्रुग्रंथियां होती हैं और इनकी नलिकाएं कंजक्टाइवा कोश में खुलती हैं. आंसू निरंतर आंखो को धोता रहता है. पलक की कोर के नासिका के कोर पर एक छिद्र होता है, जो अश्रुवाहिनी का एक मुखद्वार है. दोनों पलकों से दो यही अश्रुवाहिनियां अश्रुकोश में जाकर खुलती हैं और इस कोश से निकलकर नासिका की नली के जरिये नाक में खुलकर बाहर निकल जाते हैं.
बहुत सुन्दर जानकारी ...तभी रोते समय नाक भी बहती है।
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