हनुमान चालीसा के अनुसार पृथ्वी की सूर्य से दुरी-1536000000 किमी

हनुमान चालीसा के श्लोक में पृथ्वी की सूर्य से दुरी का वर्णन
Om Prakash Patidar

जैसे-जैसे विज्ञान तरक्की करता जा रहा है, हिंदू धर्म ग्रंथों में लिखी गई कई बातें सही साबित होती जा रही हैं। ये प्रमाणित करता है कि भारतीय संस्कृति दुनिया को हजारों साल पहले ही ब्रह्मांड के बारे में ज्ञान दे चुकी थी।

हनुमान चालीसा के श्लोक में पृथ्वी की सूर्य से दुरी का वर्णन


आज से हजारों साल पहले हनुमान चालीसा ने एक श्लोक में धरती और सूर्य की दूरी के बारे में बताया गया था। उस वक्त न तो दूरबीन हुआ करती थी और न ही दूरी नापने के लिए आज की तरह के उन्नत यंत्र हुआ करते थे। बावजूद इसके जो लिखा गया वह अक्षरशः सही निकला। हनुमान चालीसा में एक प्रसंग है, जब हनुमान जी ने सूर्य की लालिमा को देखकर सोचा कि वह कोई मीठा फल है। उसे खाने के लिए आतुर होकर वह धरती से अंतरिक्ष की ओर चले। वहां पहुंचकर उन्होंने सूर्य देव को अपने मुंह में रख लिया था।

इसी संबंध में हनुमान चालीसा में क्या लिखा गया है? जानते हैं इसके अर्थ के बारे में-

जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) पर भानु। 
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥


अर्थात हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन दूरी पर स्थित भानु अर्थात सूर्य को मीठा फल समझ के खा लिया था।

1 युग = 12000 वर्ष
1 सहस्त्र = 1000
1 योजन = 8 मील

युग × सहस्त्र × योजन = पर भानु
12000 × 1000 × 8 मील = 96000000 मील

1 मील = 1.6 किमी
96000000 × 1.6 = 1536000000 किमी

अर्थात हनुमान चालीसा के अनुसार सूर्य पृथ्वी से 1536000000 किमी की दूरी पर है।

यह उतनी ही दूरी है, जितनी नासा ने अपनी गणना (152 मिलियन किमी) के बाद सूर्य और धरती के बीच की बताई है। यह साबित करता है कि सनातन धर्म में कही गई बातें विज्ञान पर आधारित हैं।

NASA के अनुसार भी सूर्य पृथ्वी से बिलकुल इतनी ही दूरी पर है। इससे पता चलता है की हमारा पौराणिक साहित्य कितना सटीक एवं वैज्ञानिक ।

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