प्रकाश संश्लेषण क्या है?
"प्रकाश संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगो जैसे पत्ती, द्वारा सूर्य के प्रकाशकी उपस्थिति में वायु से कार्बनडाइऑक्साइड तथा भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा आक्सीजन गैस (O2) बाहर निकालते हैं।"
सिद्धांत
प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसमें प्रकाश ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा में बदल जाती है। प्रकाश की ऊर्जा का इस्तेमाल करके कार्बन डाइऑक्साइड और पानी से शर्करा जैसे कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण होता हैं।
फोटोसिन्थेसिस (प्रकाश संश्लेषण) शब्द- ग्रीक शब्द ‘फोटो’ यानी 'प्रकाश' और सिंथेसिस (संश्लेषण) जिसका मतलब ‘एक साथ रखना’ होता है से लिया गया है। अपशिष्ट उत्पाद के रूप में आक्सीजन भी मुक्त होती है। प्रकाश संश्लेषण होने के लिए प्रकाश सबसे प्रमुख कारक है और यह प्रयोग करके हमें सिद्ध करना चाहिए कि प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश जरूरी है।
प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया
प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया तब होती है जब हरे पौधे प्रकाश की ऊर्जा का इस्तेमाल कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और पानी (H2O) को कार्बोहाइड्रेट में बदलने के लिए करते हैं। पौधे के प्रकाश संश्लेषक वर्णक, क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण किया जाता है जबकि कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन से युक्त हवा पत्तियों के स्टोमेटा के माध्यम से होकर पौधे में प्रवेश करती है। प्रकाश संश्लेषण का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण उप-उत्पाद ऑक्सीजन है। अधिकांश सजीव इस पर निर्भर होते हैं।
प्रकाश संश्लेषण के दौरान बनने वाले कार्बोहाइड्रेट, ग्लूकोज का पौधों द्वारा ज्यादातर इस्तेमाल पत्तियां, फूल, फल और बीज का निर्माण करने के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाता है। ग्लूकोज के अणु आगे चलकर स्टार्च और सेलूलोज जैसे और ज्यादा जटिल कार्बोहाइड्रेटों का निर्माण करने के लिए एक-दूसरे के साथ जुड़ते हैं। सेलूलोज पौधे की कोशिका की दीवारों के लिए इस्तेमाल होने वाला संरचनात्मक पदार्थ है। प्रकाश संश्लेषण लगभग सभी सजीवों के लिए आधारभूत ऊर्जा स्रोत प्रदान करता है।
हम प्रकाश संश्लेषण की समग्र प्रतिक्रिया को इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं:
प्रकाश संश्लेषण कहां होता है?
प्रकाश संश्लेषण मुख्य रूप से पत्तियों में होता है और न के बराबर तने में होता है। यह क्लोरोप्लास्ट नामक विशेष कोशिका संरचनाओं के भीतर होता है। पत्तियों में वृन्त (पेटियोल) या डंठल और पत्तियों का समतल भाग, पटल (लैमिना) होता है। क्योंकि इसका क्षेत्र चौड़ा होता है, पटल (लैमिना) प्रकाश संश्लेषण के दौरान सूर्य का प्रकाश और कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण करने में मदद करता है। प्रकाश संश्लेषण क्लोरोप्लास्ट में होता है। इसमें क्लोरोफिल मौजूद होता है। क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा का अवशोषण करता है। स्टोमेटा नामक छोटे छिद्र होते हैं। यह पौधों में कार्बन डाइऑक्साइड के प्रवेश के लिए और ऑक्सीजन के निकलने के लिए मार्ग का काम करता है।
प्रकाश संश्लेषण के दौरान प्रकाश के रंग की भूमिका
क्या आप जानते हैं कि प्रकाश का रंग प्रकाश संश्लेषण के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है? हाँ, ऐसा होता है। पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए प्रकाश के केवल कुछ रंगों का इस्तेमाल करते हैं। क्लोरोफिल, नीले, लाल और बैंगनी प्रकाश किरणों को अवशोषित कर लेता। प्रकाश संश्लेषण प्रकाश की नीली और लाल किरणों में ज्यादा होता और हरे प्रकाश किरणों में कम या नहीं ही होता है।
अवशोषित प्रकाश में सबसे अच्छा रंग नीला होता है,इसलिए यह प्रकाश संश्लेषण की उच्चतम दर का प्रदर्शन करता है। इसके बाद लाल प्रकाश आता है। पौधे हरा प्रकाश नहीं अवशोषित कर पाते और इस प्रकार इसका इस्तेमाल प्रकाश संश्लेषण के लिए नहीं हो सकता है। क्लोरोफिल हरा दिखता है क्योंकि यह लाल और नीले प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और हमारी आंखों के लिए इन रंगों में उपलब्ध नहीं कराता है। हरे रंग का प्रकाश अवशोषित नहीं होता है।यही अंतत: हमारी आँखों तक पहुँचता है और इससे क्लोरोफिल हरे रंग का दिखाई देता हैं।
प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक
प्रकाश संश्लेषण की स्थिर दर के लिए, आदर्श स्तर पर अलग-अलग कारकों की जरूरत होती है। यहाँ प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कुछ कारक दिए जा रहें हैं।प्रकाश की तीव्रता: प्रकाश की बढ़ी हुई तीव्रता से प्रकाश संश्लेषण की दर ज्यादा हो जाती है और प्रकाश की कम तीव्रता का मतलब प्रकाश संश्लेषण की कम दर होती है।CO2 की सांद्रता: कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता ज्यादा होने से प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ जाती है। कार्बन डाइऑक्साइड की आमतौर पर 0.03 - 0.04 प्रतिशत सांद्रता प्रकाश संश्लेषण के लिए पर्याप्त होती है।तापमान: समुचित प्रकाश संश्लेषण के लिए 25 से 35oC के बीच के अनुकूल तापमान रेंज की जरूरत होती है।पानी: पानी प्रकाश संश्लेषण का अनिवार्य पहलू है। पानी की कमी से कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करने में समस्या होती है। अगर पानी कम होता है, तो पत्तिया अंदर भण्डारित पानी बचाए रखने के लिए अपना स्टोमेटा नहीं खोलती हैं।प्रदूषित वातावरण: प्रदूषक और गैसें (अशुद्ध कार्बन) पत्तियों पर जम जाते हैं और स्टोमेटा को बंद कर देते है। इससे कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करना मुश्किल हो जाता है । प्रदूषित वातावरण से प्रकाश संश्लेषण की दर में 15 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।
Om Prakash Patidar
"प्रकाश संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें पौधे अपने हरे रंग वाले अंगो जैसे पत्ती, द्वारा सूर्य के प्रकाशकी उपस्थिति में वायु से कार्बनडाइऑक्साइड तथा भूमि से जल लेकर जटिल कार्बनिक खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट्स का निर्माण करते हैं तथा आक्सीजन गैस (O2) बाहर निकालते हैं।"
सिद्धांत
प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसमें प्रकाश ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा में बदल जाती है। प्रकाश की ऊर्जा का इस्तेमाल करके कार्बन डाइऑक्साइड और पानी से शर्करा जैसे कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण होता हैं।
फोटोसिन्थेसिस (प्रकाश संश्लेषण) शब्द- ग्रीक शब्द ‘फोटो’ यानी 'प्रकाश' और सिंथेसिस (संश्लेषण) जिसका मतलब ‘एक साथ रखना’ होता है से लिया गया है। अपशिष्ट उत्पाद के रूप में आक्सीजन भी मुक्त होती है। प्रकाश संश्लेषण होने के लिए प्रकाश सबसे प्रमुख कारक है और यह प्रयोग करके हमें सिद्ध करना चाहिए कि प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश जरूरी है।
प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया
प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया तब होती है जब हरे पौधे प्रकाश की ऊर्जा का इस्तेमाल कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और पानी (H2O) को कार्बोहाइड्रेट में बदलने के लिए करते हैं। पौधे के प्रकाश संश्लेषक वर्णक, क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण किया जाता है जबकि कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन से युक्त हवा पत्तियों के स्टोमेटा के माध्यम से होकर पौधे में प्रवेश करती है। प्रकाश संश्लेषण का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण उप-उत्पाद ऑक्सीजन है। अधिकांश सजीव इस पर निर्भर होते हैं।
प्रकाश संश्लेषण के दौरान बनने वाले कार्बोहाइड्रेट, ग्लूकोज का पौधों द्वारा ज्यादातर इस्तेमाल पत्तियां, फूल, फल और बीज का निर्माण करने के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाता है। ग्लूकोज के अणु आगे चलकर स्टार्च और सेलूलोज जैसे और ज्यादा जटिल कार्बोहाइड्रेटों का निर्माण करने के लिए एक-दूसरे के साथ जुड़ते हैं। सेलूलोज पौधे की कोशिका की दीवारों के लिए इस्तेमाल होने वाला संरचनात्मक पदार्थ है। प्रकाश संश्लेषण लगभग सभी सजीवों के लिए आधारभूत ऊर्जा स्रोत प्रदान करता है।
हम प्रकाश संश्लेषण की समग्र प्रतिक्रिया को इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं:
प्रकाश संश्लेषण कहां होता है?
प्रकाश संश्लेषण मुख्य रूप से पत्तियों में होता है और न के बराबर तने में होता है। यह क्लोरोप्लास्ट नामक विशेष कोशिका संरचनाओं के भीतर होता है। पत्तियों में वृन्त (पेटियोल) या डंठल और पत्तियों का समतल भाग, पटल (लैमिना) होता है। क्योंकि इसका क्षेत्र चौड़ा होता है, पटल (लैमिना) प्रकाश संश्लेषण के दौरान सूर्य का प्रकाश और कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण करने में मदद करता है। प्रकाश संश्लेषण क्लोरोप्लास्ट में होता है। इसमें क्लोरोफिल मौजूद होता है। क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा का अवशोषण करता है। स्टोमेटा नामक छोटे छिद्र होते हैं। यह पौधों में कार्बन डाइऑक्साइड के प्रवेश के लिए और ऑक्सीजन के निकलने के लिए मार्ग का काम करता है।
प्रकाश संश्लेषण के दौरान प्रकाश के रंग की भूमिका
क्या आप जानते हैं कि प्रकाश का रंग प्रकाश संश्लेषण के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है? हाँ, ऐसा होता है। पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिए प्रकाश के केवल कुछ रंगों का इस्तेमाल करते हैं। क्लोरोफिल, नीले, लाल और बैंगनी प्रकाश किरणों को अवशोषित कर लेता। प्रकाश संश्लेषण प्रकाश की नीली और लाल किरणों में ज्यादा होता और हरे प्रकाश किरणों में कम या नहीं ही होता है।
अवशोषित प्रकाश में सबसे अच्छा रंग नीला होता है,इसलिए यह प्रकाश संश्लेषण की उच्चतम दर का प्रदर्शन करता है। इसके बाद लाल प्रकाश आता है। पौधे हरा प्रकाश नहीं अवशोषित कर पाते और इस प्रकार इसका इस्तेमाल प्रकाश संश्लेषण के लिए नहीं हो सकता है। क्लोरोफिल हरा दिखता है क्योंकि यह लाल और नीले प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और हमारी आंखों के लिए इन रंगों में उपलब्ध नहीं कराता है। हरे रंग का प्रकाश अवशोषित नहीं होता है।यही अंतत: हमारी आँखों तक पहुँचता है और इससे क्लोरोफिल हरे रंग का दिखाई देता हैं।
प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक
प्रकाश संश्लेषण की स्थिर दर के लिए, आदर्श स्तर पर अलग-अलग कारकों की जरूरत होती है। यहाँ प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कुछ कारक दिए जा रहें हैं।प्रकाश की तीव्रता: प्रकाश की बढ़ी हुई तीव्रता से प्रकाश संश्लेषण की दर ज्यादा हो जाती है और प्रकाश की कम तीव्रता का मतलब प्रकाश संश्लेषण की कम दर होती है।CO2 की सांद्रता: कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता ज्यादा होने से प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ जाती है। कार्बन डाइऑक्साइड की आमतौर पर 0.03 - 0.04 प्रतिशत सांद्रता प्रकाश संश्लेषण के लिए पर्याप्त होती है।तापमान: समुचित प्रकाश संश्लेषण के लिए 25 से 35oC के बीच के अनुकूल तापमान रेंज की जरूरत होती है।पानी: पानी प्रकाश संश्लेषण का अनिवार्य पहलू है। पानी की कमी से कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करने में समस्या होती है। अगर पानी कम होता है, तो पत्तिया अंदर भण्डारित पानी बचाए रखने के लिए अपना स्टोमेटा नहीं खोलती हैं।प्रदूषित वातावरण: प्रदूषक और गैसें (अशुद्ध कार्बन) पत्तियों पर जम जाते हैं और स्टोमेटा को बंद कर देते है। इससे कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करना मुश्किल हो जाता है । प्रदूषित वातावरण से प्रकाश संश्लेषण की दर में 15 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।
Photosynthesis is very necessary for green 🌱🌱🌱🌱
जवाब देंहटाएंPed paudhe apna bhojan jadon se prapt kar haritlabak ki presentation mai vibhinn bhago Tak pahuncha denge
जवाब देंहटाएंपेड़ पौधे अपना भोजन जल को अवशोषित करता मिट्टी में खास खनिज लवण प्राप्त करते हैं तथा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से से उनका भोजन प्राप्त होता है
हटाएंWow best site for science lovers
जवाब देंहटाएंयह तो विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए विज्ञान सबसे बेहतरीन विषय है
हटाएंपेड अपना खाना केसे बनाते हे
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