Why Sparrow disappeared from the courtyard?
Om Prakash Patidar
ओ री चिरैया
नन्ही सी चिड़िया
अंगना में फिर आजा रे
ओ री चिरैया
नन्ही सी चिड़िया
अंगना में फिर आजा रे
अंधियारा है घना और लहू से सना
किरणों के तिनके अम्बर से चुन्न के
अंगना में फिर आजा रे
हमने तुझपे हज़ारों सितम हैं किये
हमने तुझपे जहां भर के ज़ुल्म किये
हमने सोचा नहीं
तू जो उड़ जायेगी
ये ज़मीन तेरे बिन सूनी रह जायेगी
किसके दम पे सजेगा अंगना मेरा
ओ री चिरैया, मेरी चिरैया
अंगना में फिर आजा रे
तेरे पलकों में सारे सितारे जंडू
तेरी चुनर सतरंगी बनूं
तेरी काजल में मैं काली रैना भरूं
तेरी मेहंदी में मैं कच्ची धूप मलू
तेरे नैनों सज़ा दूं नया सपना
ओ री चिरैया
अंगना में फिर आजा रे
ओ री चिरैया
नन्ही सी चिड़िया
अंगना में फिर आजा रे
ओ री चिरैया …
20 March World Sparrow Day Special
20 March World Sparrow Day Special
(Save Sparrow)
गौरैया (Passer domesticus) आकार में एक छोटा पक्षी है जो दुनिया भर में पाया जाता है। यह बहुत ही फुर्तीला पक्षी होता है जिसका शरीर, भूरे, काले का होता है। यह एक सर्वाहारी पक्षी है जो बीज, जामुन, फल और कीड़े आदि सब-कुछ खाता है। इसका जीवन काल 4-7 साल है। गौरैया बहुत सामाजिक पक्षी होती हैं। वे आमतौर पर छतों, पुलों और पेड़ के खोखले में अपने घोंसले का निर्माण करते हैं। शहरों में तो ये इंसानों के घरों में ही अपना घोसला बना लेते हैं। गौरैया आमतौर पर प्रति घंटे 24 मील प्रति घंटे की गति से उड़ते हैं।
नर गौरैया और मादा गौरैया दिखने में अलग होते हैं। नर गौरैया की आँखों के पास काला धब्बा पाया जाता है जबकि मादा में नहीं। नर गौरैया दिखने में ज्यादा आकर्षक होते हैं। परन्तु जैसे-जैसे हम पेड़-पौधों को काटते जा रहे हैं उससे गौरैया आज लुप्त होने की कगार पर पहुँच गयी है। अब घरों में न तो गौरैया दिखाई देती है और न ही उसकी चीं-चीं करती आवाज़। आज गौरैया पक्षी को बचाने के लिए तरह-तरह के आयोजन किये जा रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए 20 मार्च को हर वर्ष पूरे विश्व में गौरैया दिवस मनाया जाता है।
पहला विश्व स्पैरो दिवस 20 मार्च, 2010 को विश्व भर में मनाया गया था। विश्व गोरैया दिवस प्रति वर्ष 20 मार्च को मनाया जाता है, ताकि घर के गौरैया नाम के को बचाया जा सके। आज गौरैया को बचाने के लिए लोग अपने-अपने घरों के बाहर लकड़ी के बने घोसले लगा रहे हैं। हमें भी इस कार्य में सहयोग करना चाहिए ताकि गौरैया को लुप्त होने से बचाया जा सके।
हम गोरैया को कैसे बचा सकते हैं?
जिस आंगन में नन्ही गौरैया की चहल कदमी होती थी आज वह आंगन सूने पड़े हुए हैं। आधुनिक माकान, बढ़ता प्रदुषण, जीवन शैली में बदलाव के कारण गौरैया लुप्त हो रही। कभी गौरैया का बसेरा इंसानों के घर में होता था। अब गौरैया के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों ने इसकी संख्या काफी कम कर दी है और कहीं..कहीं तो अब यह बिल्कुल दिखाई नहीं देती। इस संकट की घड़ी में नन्ही गौरैया को अपने अंगने में बुलाने के लिए हम लोगों को मिलकर कई काम करने होंगे।
हम इनको कैसे बचा सकते हैं?
गौरैया की चूं चूं अब चंद घरों में ही सिमट कर रह गई है। एक समय था जब उनकी आवाज़ सुबह और शाम को आंगन में सुनाई पड़ती थी। मगर आज के परिवेश में आये बदलाव के कारण वह शहर से दूर होती गई। गांव में भी उनकी संख्या कम हो रही है।
इन कारणों से गौरैया पर छाया संकट-
-आधुनिक घरों में गौरैया के रहने के लिए जगह नहीं
-घर में अब महिलाएं न तो गेहूं सुखाती हैं न ही धान कूटती हैं जिससे उन्हें छत पर खाना नहीं मिलता
-घरों में टाइल्स का इस्तेमाल ज्यादा होने लगा
-खेती में कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ गया है जिसका असर गौरैया पर पड़ रहा है।
60 से 80 फ़ीसदी कम हुई गौरैया-
पक्षी विज्ञानियों के अनुसार गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी आई है। यदि इसके संरक्षण के उचित प्रयास नहीं किए गए तो हो सकता है कि गौरैया इतिहास की चीज बन जाए और भविष्य की पीढ़ियों को यह देखने को ही न मिले।
ब्रिटेन की ‘रॉयल सोसायटी ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ बर्डस’ ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययनों के आधार पर गौरैया को ‘रेड लिस्ट’ में डाला है।
पश्चिमी देशों में हुए अध्ययनों के अनुसार गौरैया की आबादी घटकर खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है।
क्यो मनाया जाता है गौरैया दिवस-
गोरैया तेजी से लुप्त हो रही है। उसको बचाने के लिए और लोगों में जागरूकता फ़ैलाने के लिए गौरैया दिवस दुनिया भर में 20 मार्च को मनाया जाता है।
गौरैया को बचाने के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम-
आज आमजन में गौरैया को लेकर जागरूकता पैदा किए जाने की जरूरत है क्योंकि कई बार लोग अपने घरों में इस पक्षी के घोंसले को बसने से पहले ही उजाड़ देते हैं। कई बार बच्चे इन्हें पकड़कर पहचान के लिए इनके पैर में धागा बांधकर इन्हें छोड़ देते हैं। इससे कई बार किसी पेड़ की टहनी या शाखाओं में अटक कर इस पक्षी की जान चली जाती है।
गौरैया को फिर से बुलाने के लिए हमे अपने घरों में कुछ ऐसे स्थान उपलब्ध कराने चाहिए जहां वे आसानी से अपने घोंसले बना सकें और उनके अंडे तथा बच्चे हमलावर पक्षियों से सुरक्षित रह सकें।
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Biodiversity जैव विविधता
सही है। सबके सम्मिलित प्रयासों से ही परिणाम मिलेंगें।
जवाब देंहटाएंसर आपने बहुत अच्छी जानकारी दी ।अब हम भी अपने आस पास की गोरेया को बचाएंगे और उन्हें खाना भी खिलाएंगे और दूसरे लोगों को भी इसकी जानकारी देंगे।
जवाब देंहटाएंB.nice information🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंNice thinking sir
जवाब देंहटाएंNice thinking sir
जवाब देंहटाएंप्रयास करना जरूरी है,सर | नहीं तो 1 दिन ऐसा आएगा जब केवल परंतु वन्य प्राणी पक्षी नहीं होंगे |
जवाब देंहटाएं#biologyextra
Save sparrow save birds save animals save trees save world and then the life will be safe
जवाब देंहटाएंNICE THINKING SIR
जवाब देंहटाएंSave Birds & save tree
जवाब देंहटाएंगौरैया को बचाने में मैं सतत प्रयासरत हूं विश्व गौरैया दिवस की आप सभी को बधाई जय श्री कृष्णा
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