खर्राटे क्या है?

What is Snoring

Om Prakash Patidar

दिन की थकान के बाद गहरी नींद लेना हम सभी को सुकून देता है लेकिन कभी-कभी जब हम सोना चाहते है तब यदि हमारे परिवार का कोई सदस्य नींद में खर्राटे लेना शुरू कर देता है तब हम चाहते हुए भी ठीक से सो नही पाते है। आखिर नींद में खर्राटे क्यो आते है?

खर्राटे क्या है?

सोते समय साँस लेने के दौरान श्वसन मार्ग की नलिकाओं तथा मुँह से साँस लेते समय कम्पन के कारण उत्पन्न ध्वनि को खर्राटे कहते है। ओरोफारयंगेअल दीवार में जब कम्पन होता हैं तो खर्राटे की आवाज निकलती हैं। किसी अन्य कारण से सांस के बाहर जाने के रास्ते में रुकावट या बदलाव आने से भी खर्राटे आते हैं । आदतन खर्राटे लेने को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया सिंड्रोम (OSAS) कहा जाता है। सोते वक्त सांसों के साथ तेज आवाज और वाइब्रेशन आना खर्राटा (Snoring) कहलाता है। 

खर्राटे क्यों आते हैं ?

खर्राटे लेने के लिए बहुत से कारण हो सकते है। कुछ लोगो को ज्यादा थकान के कारण अस्थायी रूप से यह समस्या हो सकती है, जबकि कुछ लोग स्थायी रूप से सोते समय खर्राटे लेते है। खर्राटे लेने की पीछे प्रमुख कारण निम्न हो सकते है-

1. मोटापा– वजन बढ़ने के कारण भी खर्राटे आते हैं। जब किसी का वजन बढ़ता है, तो उसकी गर्दन पर ज्यादा मांस लटकने लगता है। लेटते समय इस मांस के कारण सांस की नली दब जाती है। इस कारण से खर्राटे आने लगते है।

2. शराब पीना- कई दर्द निवारक दवाओं की तरह ही अल्कोहल भी शरीर की मांसपेशियों के खिंचाव को कम करती है, और उन्हें विस्तार देती है। कई बार बहुत अधिक अल्कोहल के सेवन से गले की मांसपेशियां फैल जाती हैं, जिससे खर्राटे उत्पन्न हो सकते हैं।

3. मांसपेशियों में कमजोरी– जब गले और जीभ की मांसपेशियां बहुत शांत और शिथिल हो जाती हैं तो ये लटकने लगती हैं। इससे रास्ता रूक जाता है। आमतौर पर गहरी नींद, अधिक एल्कोहॉल का सेवन या नींद की गोलियां लेने के कारण ऐसा होता है।

4. बढ़ती उम्र- उम्र के बढ़ने से भी मांसपेशियों का लटक जाना एक आम बात है। इस कारण बच्चो की तुलना में बड़ी उम्र के लोगों को खर्राटे आने की समस्या ज्यादा रहती है।

5. साइनस – खर्राटे आने की एक वजह साइनस है। साइनस के बढ़ने से नाक के छिद्र जाम हो जाते हैं। इस कारण से खर्राटे आतेे है।

6. सोने का तरीका - पीठ के बल लेटने के कारण साँस लेने में परेशानी होने के कारण से भी अस्थायी रूप से खर्राटे आते है।

7. हॉर्मोन्स का प्रभाव- उम्र के साथ साथ शरीर मे हॉर्मोन्स के असंतुलन के कारण से खर्राटे आना प्रारंभ हो जाता है।

8. तनाव- मानसिक तनाव के कारण स्वाभाविक नींद न आने के कारण से सोने समय कुछ समय के लिए नींद आने पर खर्राटे आने लगते है।


खर्राटे रोकने के प्राकृतिक उपाय :

निम्न उपाय अपनाकर खर्राटे की समस्या को कम किया जा सकता है-

1. वजन कम करना : व्यक्ति को अपना वजन कम करने के उपायों पर काम करना चाहिए, क्योंकि खर्राटे का सीधा सम्बन्ध व्यक्ति के वजन, गर्दन की चौड़ाई से होता हैं । वजन कम करने से खर्राटे की समस्या से निज़ात मिलती हैं ।

2. सोने की अवस्था या मुद्रा में बदलाव : जो व्यक्ति अपनी पीठ की बल सोता हैं, वह बहुत जोर से खर्राटे लेता हैं । तकिया, मसनद या शरीर के नीचे कुछ ऊंचा लगा देने से खर्राटे नहीं आते हैं । इस तरीके से कुछ लोगो को फायदा हो सकता हैं, वहीं दूसरों को कुछ और उपाय करने की जरुरत हैं ।

3. नाक की दवा का प्रयोग : नाक में किसी प्रकार की बाधा होने पर, उसके लिए दवा का इस्तेमाल करना चाहिए । यह नाक की बाधा को दूर करता हैं । यह खर्राटे की आवाज और आव्रिति को भी कम करता हैं ।

4. अरोमाथैरेपी : पुदीना का तेल, कुठार का तेल ऐसे तैलीय पदार्थ हैं, जिनकी गर्दन पर मालिश करने से वायु मार्ग को काफी आराम मिलता हैं ।

5. शराब ना पीयें : शराब पीने से, उसके शामक प्रभाव के कारण, वायु मार्ग के ऊपरी हिस्से में बाधा आती हैं । शराब छोड़ने पर खर्राटों की समस्या खत्म हो जाती है।

6. आहार : प्याज, लहसुन, अजवाइन और सहजन खर्राटे कम करने के लिए काफी सहायक होते हैं । हर्बल चाय और गर्म पेय नाक के वायु मार्ग को नम करता हैं । उस गर्म पेय में शहद मिला देने से यह नाक के रास्ते में अधिक कम्पन्न होने से रोकता हैं।

7. संतुलित आहार: आहार में सभी प्रकार के पौषक तत्व सम्मिलित करने तथा नियमित रूप से पौष्टिक आहार लेने पर यह समस्या खत्म हो सकती है।






3 टिप्पणियाँ

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  1. Thank u so much sir...
    Wonderful blog..Very fruitful information

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  2. सर जी जब बालू रेत के पत्थर को अंधेरे में रगड़ा जाता है तो चिंगारी /चमक उत्पन क्यो होती है

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    1. हर तरह के पत्थरों से भी आग नहीं लगती। सिर्फ़ खुरदरे सतह के कुछ विशेष पत्थर चाहिए।
      पत्थरों में या आसपास नमी नहीं होनी चाहिए।
      रगड़ने से अधिक दोनों के आपस में टकराने से चिंगारी उठने की संभावना है। दोनों को टकराते रहना है। कई बार प्रयास करने पड़ेंगे।
      आपको बिल्कुल पास सूखी घास या लकड़ी की छोटी महीन शेविंग्स रखनी होगी ताकि चिंगारी उठते ही वो धुंआ पकड़ ले।

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