Why does the tractor's silencer fitted upwards?
भारत जैसे कृषि प्रधान देश मे कृषि उपकरणों की बात करे तो पहले नम्बर पर ट्रैक्टर का नाम आता है। ट्रेक्टर के बड़े-बड़े पहिए और ऊपर लगा साइलेंसर इसे अन्य वाहनों से अलग बनाता है। ट्रैक्टर के साइलेंसर को देखकर हमारे मन में प्रश्न आता है कि अन्य वाहनों के साइलेंसर तो नीचे लगे होते हैं लेकिन ट्रैक्टर का साइलेंसर ऊपर की ओर क्यों होता है?
हम जानते हैं कि ट्रैक्टर कृषि उपयोगी वाहन है न कि कोई अलीशान शाही सवारी या स्टेटस सिंबल इसलिए ट्रैक्टर में साइलेंसर को घुमा फिरा कर नीचे ले जाने की कोई आवश्यकता नहीं होती
इस कारण से इसका लागत मूल्य कम से कम रखा जाए। ऐसे में जब इंजन अगले हिस्से में है तो गैर जरूरी पाइपिंग जोड़ते हुए साइलेंसर को घुमा-फिरा कर कारों की तरह पीछे तक ले जाने में अनावश्यक खर्च से बचाया गया है।साइलेंसर ऊपर होने से मरम्मत के लिए ना तो मेकैनिक की नीचे लेटने की जरूरत होगी और ना ही जैक लगा कर लिफ्ट करना जरूरी भी नही होता है। इसके साथ ही ट्रेक्टर अक्सर खेतों, पगडंडियों, नालों इत्यादि उबड़-खाबड़ सतहों पर चलते हैं, ऐसे में यदि साइलेंसर नीचे की तरफ लगाया गया होता तो उसके जल्दी क्षतिग्रस्त होने की ज्यादा संभावना होती।
यदि ट्रेक्टर का साइलेंसर भी पीछे की तरफ होता तो ट्रेक्टर की ट्राली में बैठी सवारी तथा उसमें रखे अनाज, फल, सब्जियों का तो धुंवे से रंग ही बदल जाता।
यदि ट्रेक्टर का साइलेंसर भी अन्य वाहनों की तरह पीछे लगाया जावे तो ट्रेक्टर में पीछे की तरफ लगने वाली सहायक उपकरण जैसे सीड ड्रिल, कल्टीवेटर, प्लाऊ को भी लगाने में परेशानी हो सकती सकती है। खेत मे फसले भी कटते-कटते ही दूषित हो जायेगी। एक और कारण है नीचे साइलेंसर लगने में उनके उसके साथ में चिंगारी भी निकलती हैं और चिंगारी फसलों को जला सकती हैं इसलिए ऊपर की तरफ लगाते हैं अन्यथा फसलें जल जाएंगे।
इन्ही सब कारणों से ट्रैक्टर में साइलेंसर ऊपर की ओर लगा होता है।
एक और कारण है नीचे साइलेंसर लगने में उनके उसके साथ में चिंगारी भी निकलती हैं और चिंगारी फसलों को जला सकती हैं इसलिए ऊपर की तरफ लगाते हैं अन्यथा फसलें जल जाएंगे
जवाब देंहटाएंलेखकों और रुचि पूर्ण बनाने के लिए धन्यवाद
हटाएंलेख को
हटाएंट्रेक्टर के पीछे सिडिल ट्राली आदि लगाई जाती है अगर साइलेंसर पीछे होता तो फसल बोते अथवा सिडिल चलाते समय पीछे वाले व्यक्ति को समस्या होती
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छि जानकारी है सर जी thanks
पर सर जी बहुत से वाहनों के साइलेंसर छोटी आकृति के ही होते है पर ट्रेक्टर के इतने बड़े और बड़ी सिलेंडर आकर्ति के क्यो होते है ?
हटाएंजानकारी पसंद आई इसके लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंट्रैक्टर का साइलेंसर ऊपर की ओर क्यों होता है, कार की तरह पीछे, ट्रक की तरह साइड में क्यों नहीं / GK IN HINDI
जवाब देंहटाएंBhopal SamacharJuly 26, 2020
खेतों में चलता हुआ ट्रैक्टर तो आपने देखा ही होगा। उसके पिछले दो पहिए बड़े और अगले दो पहिए छोटे होते हैं क्योंकि पिछले पहियों से पावर और अगले पहियों से दिशा दी जाती है। यह तो सबको पता है परंतु एक सवाल और है। ट्रैक्टर का साइलेंसर ऊपर आसमान की तरफ से होता है, कार की तरह पीछे या ट्रक की तरह साइड में क्यों नहीं होता। आइए इसका टेक्निकल लॉजिक समझने की कोशिश करते हैं:-
ट्रैक्टर का साइलेंसर ड्राइवर के सामने क्यों लगाया जाता है
भारतीय रेल में लोकोमोटिव श्री अजय कुमार बताते हैं कि ट्रैक्टर कोई शाही सवारी नहीं है। इसका उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है, अतः बहुत आवश्यक है कि इसका लागत मूल्य कम से कम रखा जाए। ऐसे में जब इंजन अगले हिस्से में है तो गैर जरूरी पाइपिंग जोड़ते हुए साइलेंसर को घुमा-फिरा कर कारों की तरह पीछे तक ले जाने में अनावश्यक खर्च से बचाया गया है। साथ ही ये रखरखाव एवं मरम्मत की दृष्टि से भी उपयुक्त है। अब इसकी मरम्मत के लिए ना तो मेकैनिक की नीचे लेटने की जरूरत होगी और ना ही जैक लगा कर लिफ्ट करने की।
ट्रैक्टर का साइलेंसर पीछे की तरफ क्यों नहीं होता
ट्रैक्टर में अक्सर पीछे की तरफ ट्रॉली जोड़ी जाती है, जिसमें अनाज, फल, सब्जियों के अलावा कभी-कभी कुछ लोग भी सफर करते हैं। सोचिए यदि इंजन से निकलने वाली जहरीली गैसें पीछे की तरफ निकलतीं तो उन फल, सब्जियों एवं अनाज के दूषित होने के साथ ही बैठने वाले लोगों को भी सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता। कृषि संबंधी बहुत से कार्यों में भी पीछे की तरफ लगा हुआ साइलेंसर उपयुक्त नहीं है। जैसे कि खेत की जुताई, बुवाई एवं फसल की कटाई इत्यादि। साइलेंसर पीछे होता तो फसल कटते-कटते ही दूषित हो जाती।
ट्रैक्टर का साइलेंसर ट्रक की तरह साइड में क्यों नहीं होता
दरअसल ट्रैक्टर का डिजाइन कुछ ऐसा है कि इसे ट्रक से कंपेयर नहीं कर सकते। हालांकि दोनों वजन उठाने के ताकतवर वाहन है परंतु दोनों का डिजाइन अलग-अलग है। ट्रक में ड्राइवर का केबिन आगे, इंजन नीचे और साइलेंसर साइड में होता है। जबकि ट्रैक्टर में इंजन आगे, साइलेंसर आसमान की तरफ और ड्राइवर की कुर्सी साइलेंसर के नीचे कुछ इस तरह से होती है कि साइलेंसर से निकलने वाला काला धुआं ड्राइवर को पार करते हुए आसमान में घुल जाए। यदि उसे ट्रक की तरह साइड में लगा दिया तो ट्रैक्टर का ड्राइवर कुछ ही दिनों में अंधा हो जाएगा।