What is Mucormycosis?

वेश्विक महामारी कोविड -19 से ठीक हो चुके लोगों की जान का दुश्मन बन रही इस बीमारी का नाम म्यूकोरमाइसिस है,। जिसे ब्लैक फंगस (Black Fungus) कहा जाता है। यह बीमारी देश में लगातार पैर फैला रही हैl आइये इस पर चर्चा करते है।

कोरोना वायरस महामारी के हर दिन बढ़ते नए मामलों ने देशभर में कोहराम मचा रखा है। संक्रमण की दूसरी लहर से अभी लोगों को राहत मिली भी नहीं है कि अब एक और खतरा सामने आकर खड़ा हो गया है। कोरोना महामारी के बीच देश में एक नए जानलेवा रोग ने दस्तक दी है, लोगों की जान का दुश्मन बन रही इस बीमारी का नाम म्यूकोरमाइसिस है। जिसे ब्लैक फंगस भी कहा जा रहा है। यह बीमारी देश में लगातार पैर फैला रही है। महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और मध्य प्रदेश के बाद अब यह बीमारी उत्तर प्रदेश में पहुंच चुकी है. इस बीमारी खतरा इतना बढ़ गया है कि कुछ रोगियों की मौत तक हो जा रही है। म्यूकरमाइकोसिस एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है।  कोविड-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उन लोगों में आसानी से फैलता है जो अभी कुछ समय पूर्व ही कोविड-19 महामारी से रिकवर हुए है।

ब्लैक फंगस मुख्य बाते -

  • म्यूकरमाइकोसिस एक तरह का फंगल इंफेक्शन है, जो कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद पाया जा रहा है।
  • इस बीमारी में आंख या जबड़े में इंफेक्शन होता है, जिससे मरीज की जान जा सकती है।
  • इसके शुरुआती लक्षण आंखों और नाक के पास लाल‍िमा व दर्द होता है। साथ ही बुखार और खून की उल्‍टी भी आ सकती है।

ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइसिस) क्या है?

म्यूकोरमाइसिस फंगस (ब्लैक फंगस) इंफेक्शन से जुड़ी बीमारी है. यह बीमारी एक तरह के फंगस या फफूंद से फैलती है. इस फंगस के स्पोर्स या बीजाणु वातावरण में प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं. आमतौर पर इनसे कोई ख़तरा नहीं, लेकिन अगर शरीर का इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो, तो ये जानलेवा साबित हो जाते हैं. शुगर के मरीज इस बीमारी के ज्यादा ज्यादा शिकार हो रहे हैं. इस रोग में आंख की नसों के पास फंगस इंफेक्शन जमा हो जाता है, जो सेंट्रल रेटिनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है. इसकी वजह से आंखों की  नसों के पास फंगस इंफेक्शन जमा हो जाता है, जो सेंट्रल रेटिनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है. इसकी वजह से आंखों की रोशनी चली जाती है. कोरोना संक्रमित मरीज या कोरोना से स्वस्थ हुए कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन देखा गया है. यह इंफेक्शन आमतौर पर उन लोगों में पाया गया है, जिनका शरीर किसी बीमारी से लड़ने में कमजोर होता है।

ब्लैक फंगस शरीर को प्रभावित कैसे करता है ?

यह फंगस आंख, नाक के रास्ते से दिमाग तक पहुंचता है और इस दौरान रास्ते में आने वाली हड्डी और त्वचा को नष्ट कर देता है और इसमें मृत्यु दर काफी ज्यादा है. लखनऊ के सीवीओ हॉस्पिटल के वरिष्ठ डॉक्टर एमबी सिंह इस फंगस को घातक तो मानते हैं, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं मानते हैं. डॉक्टर का कहना है कि जो पेशेंट बहुत ज्यादा दिन तक ऑक्सीजन और वेन्टीलेटर्स के स्पोर्ट पर रहते हैं और जिनका सुगर अनकंट्रोल है, उनमें से भी किसी किसी को ही ये फंगस अपना शिकार बना रहा है।

ब्लैक फंगस के लक्षण क्या है?

अगर इसके लक्षणों की बात करें तो इस रोग में अभी तक सिर में बहुत ज्यादा दर्द, आंखों में रेडनेस, आंखों से पानी आना, आंखों के मूवमेंट का बंद हो जाना जैसी परेशानियां देखी गई हैं. इस बीमारी के लक्षणों में नाक जाम होना, आंखों और गालों पर सूजन या पूरा चेहरा की फूल जाना भी शामिल हैं. कई बार नाक पर काली पपड़ी जमने लग जाती है. आंखों के नीचे दर्द या सिर में दर्द और बुखार भी इसके लक्षण हैं. कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह इंफेक्शन नाक से शुरू होता है, जहां से यह ऊपरी जबड़े तक जाता है और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है।

इस लक्षणों को देखने पर डॉक्टर को तुरंत बताए-

-आंखों और नाक के पास लाल‍िमा 
- बुखार 

- स‍िरदर्द 

- खांसी 

- सांस लेने में तकलीफ 

- खून भरी उलटी 

- मानस‍िक स्‍थित‍ि में बदलाव
 

ब्लैक फंगस के फैलने के प्रमुख कारण क्या है?

इस बीमारी के बढ़ने के तीन प्रमुख कारण हैं जिसमें कोरोना, डायबिटीज और स्टेरॉइड्स का बेलगाम इस्तेमाल शामिल है. पहले से ही कुछ बीमारियों से पीड़ित कोविड मरीज में दूसरे रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है. मरीजों का शरीर बाहरी इंफेक्शन से मुकाबला नहीं कर पाता और इसी वक्त यह फंगस हमला बोलता है. इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों पर इसका दोगुना खतरा होता है. तीसरा कारण स्टेरॉइड्स का ज्यादा इस्तेमाल है, जिसका कोरोना के इलाज में भी उपयोग होता है. इससे भी प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है।

ब्लैक फंगस का उपचार क्या है?

डॉक्टरों की मानें तो म्यूकोरमाइसिस एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है, जो नाक और आंख से होता हुआ ब्रेन तक पहुंच जाता है और मरीज की मौत हो जाती है. अगर म्यूकोरमाइसिस बीमारी है का समय रहते पता चल जाए तो इलाज संभव है. इसका एक यह है इलाज कि लक्षणों को जल्द से जल्द पहचानें और डॉक्टर से संपर्क करें. कोविड से लड़कर आए लोगों को खासतौर पर इसके लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए. कुछ डॉक्टरों की मानें तो एक बार अगर इंफेक्शन दिमाग तक पहुंच गया तो फिर कोई इल कारगर नहीं हैl

इस बीमारी से बचने के लिए-

- शुगर को कंट्रोल में रखें ।
- कोव‍िड के इलाज और अस्‍पताल से ड‍िस्‍चार्ज होने के बाद भी ब्‍लड शुगर लेवल की जांच करते रहें ।

- स्‍टीरॉयड्स को डॉक्टर की सलाह से ही ले।

- ऑक्‍सीजन थेरेपी के दौरान साफ और स्‍टेराइल क‍िए गए पानी को प्रयोग में लाएं ।

- एंटीबायोट‍िक्‍स और एंटीफंगल दवाइयों का सावधानी से इस्‍तेमाल करें।


3 टिप्पणियाँ

If you have any idea or doubts related to science and society please share with us. Thanks for comments and viewing our blogs.

और नया पुराने