प्रस्तुतिकरण
ओम प्रकाश पाटीदार
शाजापुर (म.प्र.)
किसी कागज को मध्य से आप 11 से अधिक बार मोड ही नही सकते।।
पर यदि
किसी कागज को मध्य से 103 बार मोड़ने पर वह ब्रह्मांड से भी मोटा होगा.
यदि आप किसी कागज को मध्य से 103 बार मोड़े तो कागज की मोटाई कितनी होगी ?
उत्तर : इस मोड़े हुये कागज को रखने के लिये आपको संपूर्ण ब्रह्माण्ड कम पढ़ जायेगा! इसकी मोटाई हमारे देखे हुये ब्रह्माण्ड से भी ज्यादा अर्थात 93 अरब प्रकाश वर्ष होगी।
क्या आपको ये मजाक लग रहा है? ये सच है, उत्तर आसान है: घातांक संवृद्धि( Exponential growth)। किसी कागज के पृष्ठ की औसत मोटाई 1 मिलिमीटर का 1/10 भाग (0.0039 इंच) होती है। यदि आप पृष्ठ को मध्य से बराबर मोड़े तो उसकी मोटाई दुगनी हो जाती है। जल्दी ही यह मोड़ना आसान नही रह जाता है।
जैसे ही आप कागज को तीसरी बार मोड़ेंगे उसकी मोटाई एक नाखून के बराबर हो जाती है।
सात बार मोड़ने पर उसकी मोटाई एक 128 पन्नो वाली पुस्तिका के बराबर हो जाती है।
10 वी बार मोड़ीये , उसकी मोटाई आपके हाथ की चौडाई के बराबर हो जायेगी।
23 वी बार मोड़ने पर : एक किलोमीटर
30 वी बार मोड़ीये, अब आप अंतरिक्ष मे है, आपका कागज 100 किमी मोटा है।
मोड़ते जाईये, 42 मोड़ और आप चंद्रमा तक पहुंचेगे, 51 वी बार आप सूर्य पार कर जायेंगे।
81 वी बार मोड़ीये और आपका कागज 127,786 प्रकाशवर्ष मोटा अर्थात हमारी मंदाकिनी आकाशगंगा से भी विशाल!
90 वी बार आपके कागज की मोटाई होगी, 1308 लाख प्रकाशवर्ष, तुला आकाशगंगा महासमूह से विशाल जोकि 1100 लाख प्रकाशवर्ष चौड़ी है और उसके सदस्यो मे हमारी मंदाकिनी आकाशगंगा पड़ोसी देव्यानी(Andromeda) आकाशगंगा समेत 100 अन्य आकाशगंगा है।
और 103 वी बार मोड़्ने पर 93 अरब प्रकाशवर्ष, हमारे संपूर्ण ब्रह्माण्ड से भी बाहर.....
नोट : यह पोष्ट घातांकी संवृद्धि को समझने के लिये है। किसी कागज को प्रायोगिक रूप से आठ बार से अधिक बार मोड़ना कठीन है।