डकार (Belch)क्या है?
Om Prakash Patidar
खाना खाया डकार आ गई, पानी पिया डकार आ गई, चाय पी डकार आ गई। लेकिन कभी आपने सोचा है कि डकार क्यों आती है और बार बार डकार आना सही है या गलत। अगर नहीं सोचा है तो सोचिए और अगर सोचा है नहीं जानते हैं तो इस सवाल का जवाब आपको यहां मिल जाएगा। डकार लेना आमतौर पर ये समझा जाता है की जो खाना हम ने खाया है वो या तो हजम हो गया है या हमारे सिस्टम का संकेत है की अब और खाना नहीं लेकिन ऐसा नहीं है। डकार आना शारीरिक क्रिया का एक अंग है।
डकार आना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिस से पेट में एकत्रित हवा बाहर आती है। खाना खाते समय कई बार मुंह खोलने से हवा हमारे पेट के अन्दर चली जाती है। भोजन नली में छाती और पेट के बीच एक दरवाजे के कारण समान एक रचना होती है जो भोज्य पदार्थों को निगलते समय खुल जाता है और भोजन के पेट में प्रवेश करने के बाद बंद हो जाता है। यही दरवाजा पाचक रसों को बाहर आने से रोकता है। इस क्रिया के बाद हमारे पेट में कुछ हवा एकत्रित हो जाती है। जब पेट में काफी गैस और हवा एकत्रित हो जाती है तो मस्तिष्क से इन गैसों को बाहर निकालने का सन्देश आता है। इस सन्देश के कारण पेट की मांसपेशियां सख्त हो जाती है, जिस से यह दरवाजा पल भर के लिए खुलता है और डकार के रूप में हवा गले और मुंह से होती हुई बाहर निकलती है। जब हवा पेट से नली में आती है तो कम्पन्न करने लगती हैऔर इसी कारण से डकार में आवाज़ पैदा होती है।
डकार आना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिस से पेट में एकत्रित हवा बाहर आती है। खाना खाते समय कई बार मुंह खोलने से हवा हमारे पेट के अन्दर चली जाती है। भोजन नली में छाती और पेट के बीच एक दरवाजे के कारण समान एक रचना होती है जो भोज्य पदार्थों को निगलते समय खुल जाता है और भोजन के पेट में प्रवेश करने के बाद बंद हो जाता है। यही दरवाजा पाचक रसों को बाहर आने से रोकता है। इस क्रिया के बाद हमारे पेट में कुछ हवा एकत्रित हो जाती है। जब पेट में काफी गैस और हवा एकत्रित हो जाती है तो मस्तिष्क से इन गैसों को बाहर निकालने का सन्देश आता है। इस सन्देश के कारण पेट की मांसपेशियां सख्त हो जाती है, जिस से यह दरवाजा पल भर के लिए खुलता है और डकार के रूप में हवा गले और मुंह से होती हुई बाहर निकलती है। जब हवा पेट से नली में आती है तो कम्पन्न करने लगती हैऔर इसी कारण से डकार में आवाज़ पैदा होती है।
डकार को हम यू समझे जैसे कूकर में दाल, सब्जी या चावल पकाते समय गैस बन जाती है और वो सीटी मारने लगता है वैसे ही हमारे पेट में गैस बनती है और वो मुंह और गले के सहारे आवाज के साथ बाहर निकलती है जिसे हम डकार कहते हैं।
डकार क्यों आती है – जब हम खाना खाते हैं तो भोजन के साथ कुछ वायु पेट में प्रवेश कर जाती है। भोजन नली और पेट के मध्य एक दरवाजा होता है जो भोजन करते समय खुल जाता है। भोजन के पेट में प्रवेश हो जाने के बाद यह स्वत: ही बंद हो जाता है जिससे पेट में कुछ वायु इकट्ठी हो जाती है।
भोजन के पचने में भी कुछ गैस पेट में एकत्रित हो जाती है। लेमन सोडा आदि पेय पदार्थो के पीने से भी पेट में अधिक गैस पैदा हो जाती है, जिससे शरीर के कन्ट्रोल रूम रूपी मस्तिष्क का उक्त बेकार गैसों को बाहर निकालने का आदेश होते ही पेट की मांसपेशियां कुछ सख्त हो जाती हैं जिससे भोजन नली में छाती और पेट के बीच बना दरवाजा क्षण भर के लिए खुल जाता है। डकार के रूप में वायु गले और मुंह से होती हुई बाहर आ जाती है जिसे आमतौर से डकार आना कहा जाता है जो न तो पेट भरने का परिचायक है और न ही किसी विशेष क्षेत्र की असभ्यता का द्योतक है।
डकार आने पर आवाज का कारण – जब पेट में एकत्रित वायु क्षण भर के लिए दरवाजा खुलने पर पेट से भोजन नली में आती है तो एक प्रकार का कंपन करने लगती है जो गले और मुंह से बाहर निकलने पर आवाज करती है।
यदि पेट की वायु बाहर निकलने पर कंपन न करे तो आवाज नहीं हो सकेगी, जो असंभव है क्योंकि शारीरिक क्रिया स्वत: हर समय होती रहती है भले ही प्राणी जागृत अवस्था में हो या निद्रावस्था में। यह वायु चाहे डकार के रूप में निकले या अधोवायु (Fart) के रूप में निकले।
यदि पेट की वायु बाहर निकलने पर कंपन न करे तो आवाज नहीं हो सकेगी, जो असंभव है क्योंकि शारीरिक क्रिया स्वत: हर समय होती रहती है भले ही प्राणी जागृत अवस्था में हो या निद्रावस्था में। यह वायु चाहे डकार के रूप में निकले या अधोवायु (Fart) के रूप में निकले।
डकार नही आए तो क्या होगा – यदि डकार या बाय (पाद) न आएं यानी मस्तिष्क पेट में एकत्रित गैस को बाहर निकालने हेतु आदेश देने में कुछ विलम्ब कर दे अथवा छाती और पेट के बीच बने सैफ्टी बाल्व रूपी दरवाजा न खुले तो प्राणी बड़ा व्याकुल हो उठता है। उसे अनेक व्याधियां घेर लेती हैं। पेट में अक्सर दर्द की शिकायत रहने लगती है। भूख कम लगने लगती है। पाचन क्रि या शिथिल पड़ जाती है। शरीर टूटा-टूटा सा और कमजोरी की शिकायत होने लगती है।
ठीक प्रकार से न खाने और न पचने के कारण रक्त विभाग एवं प्रवाह में कमी आने पर व्यक्ति परेशानियों के जाल में फंस जाता है। शरीर की एक छोटी क्रिया के लापरवाही बरतने पर स्वास्थ्य खराब होने में जिन्दगी का आनन्द तक समाप्त होने की संभावनाएं बन जाती हैं।
कुकर में जिस प्रकार बेकार गैस न निकलने पर वह फट सकता है, स्टोव में अधिक गैस के भरने से जैसे उसकी टंकी फट सकती है, उसी प्रकार शरीर में पेट का बड़ा महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसमें एकत्रित बेकार गैसों की यदि निकासी न हो तो जिन्दगी दूभर हो जाती है। तो जीने के लिए स्वास्थ्य का और स्वास्थ्य के लिए डकार का आना अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। कुछ भी खाने के बाद डकार आना एक आम बात है। आमतौर पर यही कहा जाता है कि डकार आने से खाया हुआ भोजन पच जाता है जिससे पेट में कोई तकलीफ नहीं होती।
डकार की मुख्य वजह यही है कि खाने के साथ हवा भी पेट में चली जाती है जो डकार के रूप में शरीर से बाहर निकलती है लेकिन कई बार ज्यादा डकार आने लगें तो यह कोई गंभीर बीमारी भी हो सकती है। उम्मीद करते हैं कि डकार को लेकर आपके मन में जितने भी सवाल होंगे उनके जवाब आपको मिल गए होंगे। अगली बार जब डकार आए तो समझ लीजिए आपके कुकर की सीटी बज रही है।