विज्ञान में कुछ भी परमसत्य नहीं होता है
कुछ सौ सालो पहले तक विज्ञान जिस हवा, पानी को तत्व मानता आया था प्रयोग के आधार पर उसे अब मिश्रण, यौगिक स्वीकार लिया है। पहले माना जाता था कि पृथ्वी चपटी है, अब स्वीकार किया गया कि पृथ्वी गोल है।
कुछ सौ साल पहले तक स्वयं विज्ञान कहता था कि पृथ्वी केन्द्र मे है और सुर्य उसके चक्कर काटता है किन्तु अब विज्ञान कहता है सुर्य केंद्र मे है और पृथ्वी उसके चक्कर काटती है
विज्ञान मे हमें स्वयं प्रयोग कर, अवलोकन के आधार पर निष्कर्ष पर पहुँचना होता है।
विज्ञान में नई खोजो और सिद्धातों द्वारा पुराने सिद्धान्तों को प्रतिस्थापित कर दिया जाता हैं।।
कुछ सौ सालो पहले तक विज्ञान जिस हवा, पानी को तत्व मानता आया था प्रयोग के आधार पर उसे अब मिश्रण, यौगिक स्वीकार लिया है। पहले माना जाता था कि पृथ्वी चपटी है, अब स्वीकार किया गया कि पृथ्वी गोल है।
कुछ सौ साल पहले तक स्वयं विज्ञान कहता था कि पृथ्वी केन्द्र मे है और सुर्य उसके चक्कर काटता है किन्तु अब विज्ञान कहता है सुर्य केंद्र मे है और पृथ्वी उसके चक्कर काटती है
विज्ञान मे हमें स्वयं प्रयोग कर, अवलोकन के आधार पर निष्कर्ष पर पहुँचना होता है।
विज्ञान में नई खोजो और सिद्धातों द्वारा पुराने सिद्धान्तों को प्रतिस्थापित कर दिया जाता हैं।।
Tags:
Nature of Science