विज्ञान चिट्ठाकारी (science blogging) क्या है?

प्रस्तुतिकरण
ओम प्रकाश पाटीदार

विज्ञान चिट्ठाकारी: विज्ञान शिक्षण-अधिगम की एक अभिनव तकनीक

साइंस ब्लॉगिंग यानी कि विज्ञान चिट्ठाकारिता विज्ञान को हर विद्यार्थी, शिक्षक और जन सामान्य तक पहुँचाने का एक नया तरीका है। साइंस ब्लॉगिंग ने विज्ञान प्रचार के वैश्विक प्रयासों में एक नयी स्फूर्ति भर दी है। वैसे अंग्रेज़ी भाषा में तो विज्ञान के लिए बहुत कुछ है। अंतर्जाल की दुनिया में हिन्दी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अभी हाल ही में इस नवाचारी तकनीक का पदार्पण हुआ है। इस तकनीक का इस्तेमाल कुछ ही विज्ञान लेखक कर रहे हैं। निसंदेह विज्ञान शिक्षण-अधिगम और विज्ञान संचार के क्षेत्र में यह अभिनव प्रयास अंतर्जाल (इंटरनेट) के जरिये ही संभव हुआ है। आज का युग इंटरनेट का युग है। संचार के समस्त साधनों में अति उन्नत तकनीक है यह अंतर्जाल का महाजाल जिसका फैलाव विश्वव्यापी है। इंटरनेट की पहुँच आज जन सामान्य तक हो चुकी है और दुनिया में इसके उपयोगकर्ता बहुत तेजी से बढ़ रहें हैं। आज कोई यदि ज्ञान की खोज में निकलता है तो वो पुस्तकालय के साथ साथ इंटरनेट को भी प्राथमिकता देने लगा है। तो फिर ऐसे में विज्ञान शिक्षा क्यूँकर पीछे रहे?
आज हर घर, हर विद्यालय में शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों अंतर्जाल के माध्यम से विज्ञान शिक्षण-अधिगम की बुलंदियों को छू सकते हैं। इंटरनेट ने तो पिछले एक दशक से भी कम समय में विज्ञान संचार के तरीके में क्रान्ति ला दी है परन्तु हिन्दी विज्ञान चिट्ठाकारिता 2007-08 से ही प्रकाश में आई और आते ही द्रुतगति से फैली। आज हिन्दी में विज्ञान चिट्ठाकारिता के अच्छे-खासे लेखक और पाठक हैं। हिन्दी माध्यम के साथ साथ अंग्रेज़ी और क्षेत्रीय भाषाओं के भी पाठक विज्ञान चिट्ठों पर अपना ज्ञान बढ़ाते हैं। आजकल विज्ञान शोध, कोचिंग, मार्गदर्शन (व्यवसायिक व शैक्षणिक) जैसे कार्य अंतर्जाल पर किये जा रहे हैं। शोधकर्ता अपने शोधपत्र और संदर्भ  सूची भी खुली चर्चा के लिए ऑनलाइन रखते हैं। अंतर्जाल पर लिखी गई वैयक्तिक डायरियाँ ही ब्लॉग (हिन्दी नाम चिट्ठा) कहलाती हैं। इन चिट्ठों का लेखन, सम्पादन, प्रकाशन का कार्य खुद लेखक (चिट्ठाकार) का ही होता है। इस तकनीक की खास बात यह है कि इस में कम्प्यूटर का अधिक ज्ञान आवश्यक नहीं है। मात्र 5-6  दिनों के प्रशिक्षण के बाद कोई भी शिक्षित व्यक्ति चिट्ठाकारी शुरू कर सकता है। हिन्दी में टाइप करना न जानते हुए भी आजकल ट्रांसलिटरेशन सॉफ्टवेयर की मदद से रोमन स्टाइल में हिन्दी लिखी जा सकती है।

चिट्ठाकारिता के शब्दों की परिभाषाएँ
ब्लॉग (चिट्ठा) = वेब + लॉग
ब्लॉगर (चिट्ठाकार) = वह व्यक्ति जिस का कोई ब्लॉग हो और वो ब्लॉगिंग (चिट्ठाकारी) करता हो। दूसरे शब्दों में कहें तो ब्लॉग के लेखक को ब्लॉगर कहा जाता है।
ब्लॉगरोलिंग (चिट्ठाभ्रमण) = एक के बाद एक ब्लॉग देखते रहने की प्रक्रिया।
फॉलो करना (अनुसरण करना) = इस प्रक्रिया में कोई भी जी-मेल या अन्य उपयोक्ता अमुक ब्लॉग का प्रशंसक बन सकता है।
ऍग्रीगेटर (संकलक/संग्राहक) =ऐसी वेबसाइट जो कि विषय आधारित चिट्ठों और उन की पोस्टों को संकलित करके एक जगह दिखाती है।
आर आर ऍस (फीड) = इस सुविधा के जरिये चुने गए चिट्ठों की नयी प्रकाशित पोस्टों को चिट्ठे तक जाए बिना ही सीधे ही प्राप्त किया जा सकता है।           

विज्ञान चिट्ठाकारिता (साइंस ब्लॉगिंग) की आवश्यकता क्यों?
विज्ञान शिक्षण के क्षेत्र में नित नई चुनौतियों के मद्देनजर विज्ञान संचार के लिये यह आवश्यक हो जाता है कि विज्ञान संचारक, संचार के प्रत्येक उस उन्नत व नवाचार माध्यम को चुने जिसके जरिये वो विज्ञान के प्रत्येक ज्ञानपिपासु और जनसामान्य तक पहुँच सके। इन्फॉर्मेशन टैक्नोलोजी (I.T.) के द्वारा आज इस मकसद में कामयाबी प्राप्त हो चुकी है। जब कोई हिन्दी माध्यम में शिक्षा ग्रहण करने वाला पूर्व माध्यमिक या माध्यमिक स्तर का छात्र किसी विज्ञान जानकारी और विज्ञान प्रदर्शनी के लिए मॉडल बनाने के लिए अंतर्जाल तक पहुँचता है तो उसे विभिन्न वेबसाइटों पर सम्बन्धित ज्ञान का भण्डार मिलता है। परन्तु सब कुछ अंग्रेजी में, ऐसी स्तिथि में उसे भाषा माध्यम की दिक्कत पेश आती है।

विज्ञान ब्लॉगिंग शुरू करने के उद्देश्य
  1.     विज्ञान शिक्षा का प्रचार प्रसार।
  2.     विज्ञान क्लब व कक्षा की गतिविधियों को जन सामान्य तक पहुँचाना।
  3.     विज्ञान मॉडल बनाने की विधियों को हिन्दी व स्थानीय भाषा  में प्रचारित करना।
  4.     समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करना।
  5.     विज्ञान को सरल और मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत करना।
  6.     अंतर्जाल पर हिन्दी में विज्ञान प्रचार करना।
  7.     क्लब गतिविधियों का संचालन और लिखित संग्रह तैयार करना व विश्व समुदाय तक अपनी गतिविधियाँ पहुँचाना।
  8.     विज्ञान सूचनाओं की तत्क्षण रिपोर्टिंग।
  9.     शिक्षण सहायक सामग्री बनाने की विधियां व विज्ञान समाचार प्रसारित करना।
  10.     अंतरिक्ष, खगोल व विभिन्न वैज्ञानिक घटनाओं की आगामी सूचना प्रसारित करना ताकि विद्यार्थी व आम जन भी उस का अवलोकन करके आनन्दित हो सके व ज्ञान अर्जित कर सके।
हिंदी में अंतर्जाल पर कुछ बेहतरीन हिन्दी विज्ञान चिट्ठे
यहाँ विज्ञान के कईं जानकारी भरे हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण भारतीय विज्ञान चिट्ठों के लिंक दिए गए हैं जहां हिंदी में विज्ञान, क्लब गतिविधियों, माडल व परियोजना बनाना, क्यों और कैसे, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, खेतीबाड़ी, आयुर्वेद, कम्प्यूटर, विज्ञान साहित्य, विज्ञान गल्प, अंतरिक्ष ज्ञान, विज्ञान समाचार, विज्ञान शिक्षा आदि की जानकारी दी जाती है। अंतर्जाल पर अंग्रेजी के प्रभुत्व को टक्कर देती हिन्दी विज्ञान चिट्ठाकारी नित नये आयामों को छू रही है। बहुत से मानुष निस्वार्थ विज्ञान-प्रचार मुहिम को समृद्ध करने में ब्लॉगिंग के जरिए अपने ब्लॉगों पर हिन्दी और अन्य क्षेत्रीय भषाओं में विज्ञान संचार में जुटे हैं। यहाँ कुछ विज्ञान संचारकों ने अपने विज्ञान संगठन भी बना रखे हैं जिस के द्वारा वे दूर-दूर के और  विदेशों तक के विज्ञान ब्लॉगरों को सामुदायिक चिट्ठे पर महत्वपूर्ण विज्ञान लेखों को प्रकाशित करने के लिए अपने साथ जोड़े हुए हैं। निम्न सूची हिन्दी तथा अंग्रेज़ी के कुछ ही ब्लॉगों का संग्रह है जब कि इनकी संख्या बहुतायत में है।

नाम विज्ञान चिट्ठा                                 वेब पता (URL)
साईब्लॉग                                                http://indianscifiarvind.blogspot.com
विज्ञान विश्व                                            http://vigyan.wordpress.com
तस्लीम                                                  http://ts.samwaad.com
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया    http://sb.samwaad.com
मीडिया डॉक्टर                                        http://drparveenchopra.blogspot.com/
क्यों और कैसे                                          http://kk.sciencedarshan.in
विज्ञान गतिविधियाँ                                 http://sciencedarshan.in
ई-पण्डित (सूचना प्रौद्योगिकी)                    http://epandit.shrish.in
अंतर्राष्ट्रीय रसायन वर्ष-2011                     http://chemistryyear2011.blogspot.com
सर्प संसार                                               http://ss.samwaad.com
गणित और विज्ञान                                  http://scienceshilpa.blogspot.com
अंतरिक्ष                                                 http://antariksh.wordpress.com
स्वास्थ्य सब के लिए                               http://upchar.blogspot.com
पर्यावरण डाइजैस्ट                                  http://paryavaran-digest.blogspot.com
शोध या सर्वे                                           http://shodh-survey.blogspot.com
ना जादू ना टोना                                     http://sharadkokas.blogspot.com
विज्ञान चर्चा                                          http://vijnaan.charchaa.org
वायेजर                                                 http://sandeep-nigam.blogspot.com
खेती बाड़ी                                              http://khetibaari.blogspot.com/
हर रोज एक प्रश्न                                     http://darshansandbox.blogspot.in/
हिंदी विज्ञान फिक्शन                             http://hindisciencefiction.blogspot.com
राम राम भाई                                        http://veerubhai1947.blogspot.com
मेरा समस्त                                          http://merasamast.com/

इन विज्ञान ब्लॉगों पर अंतर्जाल से पाठक किस प्रकार आते हैं?
  1.  विषय वस्तु को खोजते हुए पाठक जो कि गूगल सर्च जैसे सर्च इंजन से आते हैं।
  2.  नियमित ब्लॉगर जो कि प्रतिदिन अपने पसंदीदा ब्लॉगरों के ब्लॉगों पर जाते हैं।
  3.  ब्लॉग के अनुसरणकर्ता, लाइव रीडर, ऍग्रीगेटर फीड और इमेज सर्चर (फोटो का पीछा करते हुए)।
  4.  संदर्भ सूचना से।
  5.  अन्य ब्लॉगों से लिंक के जरिए।
  6.  ब्लॉग संचालक के निमंत्रण पर।
  7.  अन्य सोशल नेटवर्किंग साइटों से।
  8.  अखबारों व पत्र पत्रिकाओं में ब्लॉग चर्चा से लिंक लेकर।
  9.  विकिपीडिया से बाह्य लिंक से।
  10.  ब्लॉग का अनुसरणकर्ता बन कर।

परम्परागत विज्ञान संचारक बनाम साइंस ब्लॉगर
परम्परागत विज्ञान संचार का तरीका यह है कि संचारक पहले किसी विज्ञान प्रशिक्षण में भाग नई जानकारियाँ हासिल करेगा या फिर विज्ञान पत्रिकाएँ, जर्नल और अन्य सामग्री खरीद कर खुद को अपडेट करेगा और फिर लाभार्थियों को बुला कर विज्ञान संचार करेगा, परन्तु अब अंतर्जाल ने इस अपडेशन को आसान बना दिया है। विज्ञान चिट्ठाकार घर बैठे इंटरनेट पर उपलब्ध विश्वस्तरीय पत्रिकाओं ‘नेचर’ व ‘साइंस’ या अन्यत्र शोध-पत्रों को पढ़ कर अतिशीघ्र सूचनाओं को आसान भाषा यहाँ तक की क्षेत्रीय भाषा में भी अपने पाठकों तक पहुँचा रहा है।
अत: स्पष्ट है कि पारम्परिक विज्ञान संचारकों की तुलना में विज्ञान चिट्ठाकार अधिक ‘अप-टू-डेट’ है।

साइंस ब्लॉगिंग विज्ञान संचारकों के लिए वरदान है।
विज्ञान संचारकों की विज्ञान शिक्षा के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ग्रामीण छात्र आमतौर पर वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर विज्ञान शिक्षा से बचना चाहता है क्योंकि यह खर्चीली और कठिन पढ़ाई मानी जाती है। ऐसी स्थिति में विज्ञान संचारक अपने प्रेरणादायक लेखों से विद्यार्थियों को प्रेरित कर सकता है और रुचिपूरक समाचारों से शोधकर्ताओं की नई-नई खोजों के समाचार दे कर छात्रों की रूचि को विज्ञान शिक्षा के लिए बढ़ा सकता है।

कैसे बनाए अपना विज्ञान ब्लॉग
ब्लॉगर.कॉम पर ब्लॉग बनाना पूर्णतया निःशुल्क एवं बिलकुल ही सरल है तथा कम्प्यूटर का सामान्य ज्ञान रखने वाला कोई भी व्यक्ति इसे स्वयं बना सकता है। ब्लॉग की सामग्री तो गूगल के सर्वर पर निःशुल्क होस्ट होती है तथा डोमेन नेम वैकल्पिक है। आप चाहें तो अपना ब्लॉग पता ब्लॉगर पर http://myblogname.blogspot.com जैसा रहने दे सकते हैं या फिर स्वयं का डोमेन नेम लेकर http://myblogname.comजैसा सैट सकते हैं। यदि आप अपने ब्लॉग के डिजाइन पर अधिक नियन्त्रण चाहते हैं तथा ब्लॉग को प्रोफैशनल लुक देना चाहते हैं तो वर्डप्रैस का प्रयोग करें। वर्डप्रैस सॉफ्टवेयर (http://wordpress.org) स्वयं तो निःशुल्क है लेकिन इसके लिये डोमेन नेम तथा वेब होस्टिंग अनिवार्यतः चाहिए होती है। डोमेन नेम 500-800 रूपये प्रति वर्ष तथा वेब होस्टिंग लगभग 1000 रुपये प्रतिवर्ष का खर्च है। दोनों चीजों का इकट्ठा पैकेज लेने पर कम में भी पड़ जाती हैं।
विज्ञान संचारकों को जल्द से जल्द अब अपने-अपने विज्ञान चिट्ठे बना कर एक मुहिम छेड़ देनी चाहिये।
विज्ञान चिट्ठाकारों को निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए।
ब्लॉग का नाम अलग और अच्छा सा रखना चाहिए। अच्छा सा नाम रखने से विज्ञान प्रेमी के साथ-साथ आम जन भी चिट्ठे की ओर आकर्षित होगा तथा नियमित पाठक एवं टिप्पणीकार बन जाएगा।
ध्यान रहे कि ब्लॉग नाम की पुनरावृत्ति ना हो। यह सुनिश्चित करने के लिये कि वाँछित नाम का ब्लॉग पहले से नहीं है, आप गूगल सर्च करके देख सकते हैं। कुछ नाम ऐसे हो सकते हैं जैसे ‘विज्ञान प्रवाह’, ‘विज्ञान सलिल’, ‘विज्ञान गंगा’, ‘भारतीय विज्ञान’, ‘विज्ञान प्रकाश’, ‘निहारिका’ आदि नाम रख सकते हैं।
विज्ञान चिट्ठे को ब्लॉग संकलक (ऍग्रीगेटर) से जोड़ कर ब्लॉग के पाठकों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।


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