कृष्ण विवर (Black Hole)क्या है?
ओम प्रकाश पाटीदारशाजापुर
नाभिकीय संलयन (nuclear fusion) से निकली हुयी प्रचंड ऊष्मा के कारण ही तारा गुरुत्वाकर्ष संतुलन में रहता है,इसलिए जब तारो में मौजूद हाइड्रोजन(Hydrogen) ख़त्म हो जाती है तो वह तारा धीरे धीरे ठंडा होने लग जाता है फिर अपने ही इंधन को समाप्त कर चुके सौर्य द्रव्यमान से 1.4 गुना द्रव्यमान (mass) वाले तारे जो अपने ही गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध खुद को नहीं संभाल पाते, तो ऐसी स्थिति में इन तारों के अन्दर एक विष्फोट (explosion) होता है जिसको हम सुपरनोवा,महानोवा या supernova कहते हैं कहते हैं ।इस विस्फोट के बाद यदि उस तारे का कोई घनत्व वाला अवशेष बचता है तो वह बहुत भयंकर घनत्व युक्त न्यूट्रॉन तारा (neutron star) बन जाता है।और ऐसे तारों में अपार गुरुत्वीय खिंचाव होने के कारण तारा संकुचित(Compress) होने लगता है और वह संकुचित होते होते अंत में एक निश्चित क्रांतिक सीमा(critical limit) तक संकुचित हो जाता है और इस अपार असाधारण संकुचन के कारण उसका space और Time भी विकृत(deform) हो जाता है और अपने में ही space और टाइम का अस्तित्व मिट जाने के कारण वह अदृश्य हो जाता और यही वह अद्रश्य पिंड होते हैं जिनको हम ब्लैक होल(black hole) कहते हैं ।
ब्लैक होल के बारे में दुनिया के सामने सबसे पहले अपने विचार professor John Michell ने 1783 में प्रकट किये थे जो cambridge university में एक अध्यापक थे ।उनके बाद 1796 में France के एक scientist Pierre simonने अपनी किताब The system of World में में black hole के बारे में बिस्तार से ज़िक्र किया ।यूँ तो michel ने अपना विचार दुनिया के सामने 1783 में रख दिया था मगर वैज्ञानिक प्रत्यक्षीकरण के साथ दुनिया के सामने आना वाला सबसे पहला black hole Cygnus X1 इस back holeकी प्रत्यक्ष पुष्टि 1972 में की गयी। का एक ऐसा पिंड है जिसका ग्रुत्वाकर्षण इतना तेज होता है की उसके पार रौशनी भी नहीं जा पाती और अंतरिक्ष में उसके आस पास या उसके गुरुत्वीय घेरे में आने वाली हर चीज को ब्लैक होल निगल जाता है सिर्फ यही नहीं black hole के जितने नजदीक जाते हैं उतना समय का प्रभाव भी कम होने लगता है और उसके अंदर समय का तो कोई अस्तित्व ही नहीं है ।
ब्लैक होल से जुडी अन्य जानकारियां
कसी ब्लैक होल का सम्पूर्ण द्रव्यमान एक छोटे से बिंदु में केन्द्रित रहता है जिसको जिसे central singularity point कहते हैं ।इस बिंदु के आस पास की गोलाकार सीमा या क्षितिज को event horizon कहा जाता है ।इस event horizon के बाहर प्रकाश या कोई और वस्तु नहीं जा सकती और ना ही वहां समय का कोई अस्तित्व है ।
Einstein के special theory of relativity के अनुसार इस ब्लैक हो की क्षितिज से कुछ दूर एक निश्चित सीमा पर खड़े प्रेक्षक की घडी बहुत slow हो जाएगी ,और वहां का Time बहुत slow चलेगा । याद रहे की समय निरपेक्ष है और समय का बहाव ब्रह्माण्ड की विभिन जगहों पर अलग अलग गति में है यानी की धरती पर जो टाइम चल रहा है ब्रह्माण्ड में कही दूर टाइम इस से Fast या slow टाइम चल रहा होगा । इसको time delusion कहते हैं ।माने या न माने पर यह एक भौतिकीय रोचक हकीकत है ।ब्लैक होल की क्षितिज के अन्दर आने वाली किसी भी चीज के अणु बिखर जायेंगे और वह धीरे धीरे अदृष्य हो जाएगी और ब्लैक होल के धनत्व में किसी अज्ञात (unknown) जगह पर चली जाएगी ।
South Union Laboratory के scientist ने अभी तक खोजा गया सबसे बड़े ब्लैक होल का पता लगाया है, इस ब्लैक होल ने अपनी मेजबान galaxy ADC का 1277 का 14% द्रव्यमान (mass)अपने अन्दर ले रखा है ।
ब्लैक होल के प्रकार | Types of Black hole
हमारे ब्रह्माण्ड में कई तरह के black hole हो सकते हैं लेकिन अभी तक scientist मुख्य रूप से तीन तरह के ही ब्लैक होल्स का पता लगा सके हैं-
stellar mass black hole-
ऐसा तारा जिसका द्रव्यमान हमारा सूर्य से कुछ गुना अधिक होता है और गुरुत्वीय संकुचन के कारण वह अंततः ब्लैक होल बना जाता है उसे stellar mass black hole कहा जाता हैsupermassive black hole-
ऐसे ब्लैक होल जिसका निर्माण आकाश गंगा(galeaxy) के केंद्र में होता है और जिसका घनत्व बहुत ही अपार होता है और विशाल होते हैं उनको supermassive black hole कहा जाता है ।ऐसे back hole का द्रव्यमान हमरे सूर्य से लाखो गुना अधिक होता है हमारी गैलेक्सी के बीच में भी एक supermassive black hole है जिसका घनत्व हमारे सूर्य से लगभग एक करोड़ गुना ज्यादा है ।primordial black hole-
कुछ ऐसे भी ब्लैक होल होते हैं जिनका द्रव्यमान (mass) हमारे सूर्य से कम होता है और जिनका निर्माण गुरुत्वीय संकुचन के कारण नहीं बल्कि अपने केंद्रता पदार्थ और ताप के संपीडित होने के कारण हुआ है उसे हम primordial black hole ब्लैक होल कहते हैं ।इनके बारे में scientist का मानना है की इन छोटे ब्लैक होल का निर्माण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के कारण हुआ होगा ।भौतिक बैज्ञानिक stephen hawking के अनुसार हम ऐसे ब्लैक होल का अध्यंक करके बहुत कुछ जान सकते हैं ।
scientist black hole का पता कैसे लगाते हैं
John Michell के अनुसार ब्लैक होल अदृश्य होने के बावजूद भी अपने आस पास निकटतम स्थित आकाशीय पिंडो पर अपना गुरुत्वीय प्रभाव डालते है ऐसे में बीच में अँधेरा होता है लेकिन आस पास की चीजे उस अँधेरे की तरफ खिच रही दिखाई देते हैं जिस से वह पर ब्लैक होल होने की स्थिति का पता चलता है ।
कभी कभी ब्रह्माण्ड में दो तारे या दो गृह एक दुसरे की परिक्रमा करते नजर आते है और उनके बीच में एक बहुत बड़ा काल धब्बा दिखाई देता दिया इस तरह वह पर balck hole होने की स्थिति पता चलती है ।
कभी कभी ब्लैक होल galexy के सभी तारो,पिंडो,ग्रहों को अपनी तरफ खीचकर निगलता हुआ नज़र आता है जिस से ब्लैक होल का होना स्पस्ट हो जाता है ।
क्या पृथ्वी ब्लैक होल में समां सकती है
अभी तक ऐसा कोई भी ब्लैक होल नहीं है जिसकी gravity इतनी तेज हो जो पृथ्वी को अपने अन्दर निगल सके यदि कोई ब्लैक होल सूर्य के बराबर बड़ा भी हो जाये तो भी हमारी पृथ्वी उसके orbit (कक्ष) में होगी जैसे अभी सूर्य के कक्ष में है ।और कोई भी ब्लैक होल अपने गुरुत्वीय घेरे में आने वाली चीजो को ही निगल सकता है उस से बहार ही नहीं ।
अतः पृथ्वी ब्लैक होल में नही समाएगी।।।
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