प्लुटो(Pluto) को अब ग्रह क्यो नही माना जाता है?
Om Prakash Patidar
प्लूटो हमारे सौरमंडल का एक ऐसा ग्रह है जो हमारे सौरमंडल का सबसे दूर दराज का और सबसे ठंडा ग्रह है।Pluto को American Astronomer क्लाइड विलियम टॉमबॉ (Clyde William Tombaugh) सन 1930 में खोज निकाला था और तब से ही प्लूटो हमारे सौरमंडल का नौवा ग्रह के रूप में शामिल हो गया।
लेकिन सन 2006 में प्लूटो को हमारे सौरमंडल से बेदखल कर दिया गया प्लूटो को हमारी सौरमंडल की लिस्ट से किसने और क्यों हटाया। उसके बारे में अभी भी बहस ही चल रही है ।कुछ वैज्ञानिको का मानना है की हटाना चाहिए और कुछ का मानना है की प्लूटो को नहीं हटाना चाहिए |
दरअसल हुआ यु की 2006 में IAU यानी International Astronomical Union की चेक गणराज्य की राजधानी Prague में एक मीटिंग हुई जहां पर ऑफिशियली सौरमंडल के ग्रह प्लूटो को नौवे स्थान से हटा दिया गया ।अब यहाँ पर तो कुछ वैज्ञानिको ने जो करना था वो कर दिया प्लूटो हटाना था हटा ही दिया,लेकिन जब यह खबर बाकी वैज्ञानिको को पता चली तो दुनिया के कई वैज्ञानिको ने इस फैसले की अलोचना भी की, कि बिना किसी वजह के प्लूटो को हटाना सही नहीं है।
वैज्ञानिको की इस खिलाफत का एक कारण तो यह था की IAU में दुनिया भर के लगभग दस हज़ार वैज्ञानिक शामिल हैं लेकिन चेक रिपब्लिक ने जब प्लूटो को सौरमंडल से ग्रह की लिष्ट से बेदखल किया गया तब मात्र 4% वैज्ञानिक ही इस फैसले के साथ थे।
यानी करीब 400 वैज्ञानिक ऐसे थे जो हटाना चाहते थे। और बाकी के 9600 वैज्ञानिक ऐसे थे जो इस फैसले से सहमत नहीं थे फिर भी साइंटिस्ट इतने छोटे से पैनल ने यह निर्णय ले लिया जिसको दुनिया के कई वैज्ञानिक और कई संगठन अवमान्य घोषित कर चुके हैं।
हमारे सौर मंडल में ग्रहो के होने की और उनकी पहचान के लिए भी कुछ सिधांत तय किये गए हैं। जिनको आधार मानकर हम यह तय कर सकते हैं की वह ग्रह हैं उपग्रह हैं या और कोई पिंड लेकिन प्लूटो के एक ग्रह होने के लिए उसके पास काफी प्रमाण थे फिर भी उसे ग्रहों की लिस्ट से हटा दिया गया आइये एक नज़र डाले इस पर भी कि।
सौर मंडल का ग्रह किसे माना जा सकता है ?
वैज्ञानिको का मानना है कि सौरमंडल का ग्रह उसे ही माना जा सकता है जो अवकाशी पिंड सूर्य की परिक्रमा करते वक़्त अपने रास्ते में आने वाले छोटे-बड़े लघु ग्रह, उल्का और अवकाशी पिंडो को अपनी गुरुत्वीय शक्ति से अपनी ओर खींच लें और अपनी सूर्य की परिक्रमा का रास्ता एकदम साफ़ सुथरा रखे। और प्लूटो इस नियम पर खरा नहीं उतर पाया इसलिए उसको गृह की लिस्ट से हटा दिया गया।
इस फैसले के विरोधकर्ताओ का कहना है कि सौरमंडल के जिस वीरान स्थान पर प्लूटो स्थित है ।उस अवकाश में कोई भी छोटा-बड़ा उल्का, उल्का पिंड, अवकाशी पिंड मौजूद नहीं हैं। तो इस स्थिति में तो हमारी पृथ्वी भी वहाँ रहती तो किसी भी अवकाशी पिंड कप अपनी ओर नहीं खींच पाती तो क्या हमारी पृथ्वी को गृह नहीं माना जाता ? खैर आगे बढ़ते हैं और और वैज्ञानिको की दूसरी व्याख्या पढ़ते हैं । जिस से किसी अवकाशी पिंड को ग्रह माना जा सके।
इस नियम के अनुसार यदि कोई अवकाशी पिंड गोल हो और सूर्य की परिक्रमा कर रहा हो उसे ग्रह माना जा सकता है। लेकिन इस तरह तो हमारा चन्द भी गोल है। और पृथ्वी के साथ साथ सूर्य की परिक्रमा कर है। और इतना ही नहीं इस से बड़ा तो ब्रहस्पति उपग्रह Ganymede है जो चाँद से कई गुना अधिक बड़ा है वह भी गोल है। और ब्रहस्पति के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा कर रहा है और इतना ही नहीं एरिस खगोलीय पिंड भी गोल है और बाकि ग्रहों की तरह ही सूर्य की परिक्रमा करता है ।
तोह इस तरह तो ये सारे भी ग्रहों में शामिल होने चाहिए मगर इन नियमो के अनुसार तो कही न कही वैज्ञानिको की व्याख्याय में ही अधूरापन लगता है। इसलिए अब तक यह गुत्थी उलझी हुई है उलझी हुई है ।और यह मामला पेचीदा होता जा रहा है ।और प्लूटो को फिर से ग्रहों में शामिल करवाने वालो की तादाद बहुत ज्यादा है और उनके पासप्लूटो को ग्रह साबित करने के लिए कई सारी दलीले भी हैं ।
बचपन से हम पढ़ते आए हैं कि सौरमंडल मे नौ ग्रह है लेकिन सालों पहले एक ग्रह को इस श्रेणी से निकाल दिया गया था। अब आप कहेंगे कि ये भेदभाव क्यों तो हम बताते है कि इस श्रेणी से बाहर निकलने वाले ग्रह प्लूटो के छोटे और काफी दूर होने के कारण इसे ग्रह नहीं माना गया। इसे अब ‘बौना ग्रह’ (Dwarf Planet) के नाम से भी जाना जाता है। इस ग्रह को 24 अगस्त 2006 को खगोलीय वैज्ञानिकों ने ग्रहों की श्रेणी से बाहर कर दिया था। आइए बताते है आपको प्लूटो के बारें मे कुछ खास बाते…
इसलिए किया था प्लूटो को बाहर
प्लूटो को 24 अगस्त 2006 को ग्रहों की श्रेणी से बाहर किया गया था। इसके लिए प्राग में करीब ढाई हजार खगोलविद इकठ्ठे हुए और इस विषय पर उनका मतदान भी हुआ। अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ की इस मीटिंग में सभी के बहुमत से इस पर सहमति बनी और सौरमंडल के ग्रहों शामिल होने के लिए उन्होंने तीन मानक तय किए है…
1. यह सूर्य की परिक्रमा करता हो।
2. यह इतना बड़ा ज़रूर हो कि अपने गुरुत्व बल के कारण इसका आकार लगभग गोलाकार हो जाए।
3. इसमें इतना ज़ोर हो कि ये बाकी पिंडों से अलग अपनी स्वतंत्र कक्षा बना सके।
…और तीसरी अपेक्षा पर प्लूटो खरा नहीं उतरता है, क्योंकि सूर्य की परिक्रमा के दौरान इसकी कक्षा नेप्चून की कक्षा से टकराती है।
अब प्लूटो ग्रह कहलाने का हकदार नहीं रह गया है। लेकिन जब 1930 में प्लूटो को ढूँढा गया तो बड़े ही सम्मान के साथ उसे ग्रह का दर्जा दे दिया गया था। हालाँकि शुरू से ही खगोलविदों का एक वर्ग इसे ख़ास कर इसके छोटे आकार के कारण ग्रह माने जाने के खि़लाफ था।
-प्लूटो ब्रह्मांड का बड़ा दूसरा बौना ग्रह है। इसके अलावा बौने ग्रहों की श्रेणी मे 2003 यूबी 313 और सीरेंज भी शामिल है।
प्लूटो को यूं ही बौना ग्रह नहीं बोलते हैं, इस बौने ग्रह का व्यास लगभग 2370 किमी है।
प्लूटो, पृथ्वी के उपग्रह चंद्रमा से भी छोटा है।
प्लूटो कई रंगो का मिश्रण है इस तरह के रंगों का मिश्रण सौर मंडल के किसी भी ग्रह में नहीं पाया जाता है। प्लूटो पर रंगों का मिश्रण मौसम के बदलने के कारण होता है।
प्लूटो के पांच उपग्रह हैं, इसका सबसे बड़ा उपग्रह शेरन है जो 1978 में खोजा गया था इसके बाद हायडरा और निक्स 2005 में खोजे गए। कर्बेरास 2011 में खोजा गया और सीटक्स 2012 में खोजा गया।
प्लूटो का वायुमंडल बहुत ज्यादा पतला है जो मीथेन, नाईट्रोज़न और कार्बन मोनोऑक्साइड से बना है जिस समय प्लूटो परिक्रमा करते समय सूर्य से दूर चला जाता है तो इस पर ठंड बढ़ने लगती है और इस पर पाई जाने बाली गैसों का कुछ हिस्सा बर्फ़ बनकर उसकी सतह पर जम जाता है जिसके कारण प्लूटो का वायुमंडल और भी विरला हो जाता है। इस तरह जब प्लूटो धीरे-धीरे सूर्य के पास आने लगता है तो उन गैसों का कुछ हिस्सा पिघल कर वायुमंडल में फैलने लगता है ।
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