ओम प्रकाश पाटीदार
शाजापुर
आज 9 अक्टूबर को विश्व दृष्टि दिवस मनाया जा रहा है, इस अवसर पर आंखों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी आपसे शेयर कर रहा हु।
ईश्वर ने जो हमें सबसे विशेष उपहार दिया है, वो हैं हमारी आंखें। क्योंकि यह सबसे अनमोल होती है,इन्हीं से हमें अच्छे और बूरे का ज्ञान होता है। आंखें सबसे अनमोल रतन है। आंखों से हम प्राकृतिक नजारों का मजा लेते हैं। इसलिए इनकी केयर करना भी बहुत जरूरी है। अगर हम इनकी अच्छे से देखभाल करें तो काफी हद तक आंखों की परेशानियों से निजात पाई जा सकती है।
अच्छा खान-पान,विटामिन-ए युक्त आहार और कुछ अन्य बातों का ध्यान रखकर हम अपनी आंखों की सुंदरता बरकरार रख सकते हैं। चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताते हैं जिसकी मदद से आप अपनी आंखों की अच्छे से देखभाल कर सकते हैं।
– आंखों की सफाई : आंखों को स्वस्थ रखने के लिए इनकी सफाई रखना बहुत जरूरी है। कई बार आंखों में जलन, खुजली, पानी आना, आंखों का लाल होना जैसी समस्या भी आ सकती है। इसके लिए आप आंखों को दिन में 3-4 बार ठंडे पानी से अच्छीं तरह से धो लीजिए।
-पौष्टिक भोजन : अपने आहार में विटामिन -ए , प्रोटीन वाले भोजन शामिल कीजिए जैसे दूध, पनीर, मक्खन,अंंडे,फल शामिल कीजिए।
– खाली पेट पानी पीएं : सुबह उठकर पानी पीने से शरीर में से विषैले तत्व बाहर निकल जाते है। दिन में 8-9 गिलास पानी-पीना आंखों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
– अच्छी नींद : डाक्टरों के मुताबिक दिन में 8 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है। इससे आंखों को आराम मिलता है और काले घेरे भी कम हो जाते है।
– कंप्यूटर से उचित दूरी : कंप्यूटर पर कार्य करते समय स्क्रीन से दूरी बनाएं रखना चाहिए। लगातार आंखे गडाकर न बैठे बीच-बीच में इन्हे थोडा आराम भी दीजिए। कंप्यूटर पर काम करते वक्त अपनी कुर्सी को कंप्यूटर की ऊंचाई के हिसाब से रखें।
-आंखों का चेकअप : अगर आपको देखने में परेशानी हो रही है या सिर में दर्द होता है तो आपनी आंखों का चेकअप जरूर करवाएं। खासकर डायबिटीज के रोगियों को समय-समय पर आंखों का चेकअप जरूर करवाना चाहिए।
-अच्छी क्वालिटी का मेकअप: आंखों पर हमेशा बढिया क्वालिटी का ही मेकअप यूज कीजिए। काजल और शैडो का कम से कम इस्तेमाल कीजिए। रात को सोने से पहले आंखों का मेकअप जरूर हटाएं।
-चश्में का करे इस्तेमाल : आंखों में थकान होने पर गुलाब जल में रूई भिगोकर आंखों पर रखने से आंखों को राहत मिलती है। धूप में घर से बाहर जाते वक्त सूरज की तेज किरणों से बचने के लिए आंखो पर चश्मे जरूर लगाएं।
हमारे जाने के बाद क्या हमारी आंखे इस दुनिया को देख पाएगी।।
हमारी पांच इंद्रियों में आंखों का स्थान काफी महत्वपूर्ण है। आंखों में रोशनी न हो तो हम इस खूबसूरत दुनिया को देख नहीं सकते। इससे हम उन लोगों की तकलीफ का अंदाजा लगा सकते हैं जिनके पास आंखें नहीं हैं। तो इस नेत्रदान माह में हम आंखें दान करने का प्रण क्यों न लें।
हम दुनिया में हमेशा नहीं रहेंगे। क्यों न दुनिया से जाते समय किसी की अंधेरी दुनिया रोशन कर दें। नई तकनीक से तो आंखें दान करने के बाद शव का चेहरा भी नहीं बिगड़ता। मृत व्यक्ति की आंखों से सिर्फ कार्निया निकाला जाता है। एक व्यक्ति की आंखों से निकाले दो कार्निया को कार्नियल बीमारी से पीडित दो व्यक्तियों में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
क्या है नेत्रदान?
मृत्यु के बाद किसी जरूरतमंद को अपनी आंखें देने की प्रक्रिया नेत्रदान कहलाती है। दान की गई आंखें कार्निया संबंधी दृष्टिहीनता से प्रभावित लोगों के लिए ही उपयोगी होती है। इसमें किसी दृष्टिहीन व्यक्ति की आंख में दान किए गए कार्निया को ऑपरेशन द्वारा प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
मृत्यु के बाद किसी जरूरतमंद को अपनी आंखें देने की प्रक्रिया नेत्रदान कहलाती है। दान की गई आंखें कार्निया संबंधी दृष्टिहीनता से प्रभावित लोगों के लिए ही उपयोगी होती है। इसमें किसी दृष्टिहीन व्यक्ति की आंख में दान किए गए कार्निया को ऑपरेशन द्वारा प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
कैसे करें नेत्रदान
नेत्रदान करने के लिए अपने शहर के किसी भी आई बैंक या आई कलेक्शन सेंटर से संपर्क कर सकते हैं। ये सेंटर या बैंक अक्सर मेडिकल कॉलेज या आई हॉस्पिटल में होते हैं। यहां आप निजी तौर पर या फोन से संपर्क कर सकते हैं। वहां आप नेत्रदान के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इस रजिस्ट्रेशन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
नेत्रदान करने के लिए अपने शहर के किसी भी आई बैंक या आई कलेक्शन सेंटर से संपर्क कर सकते हैं। ये सेंटर या बैंक अक्सर मेडिकल कॉलेज या आई हॉस्पिटल में होते हैं। यहां आप निजी तौर पर या फोन से संपर्क कर सकते हैं। वहां आप नेत्रदान के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इस रजिस्ट्रेशन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
कब ली जाती हैं आंखें
किसी के द्वारा दान की गई आंखें उसकी मृत्यु के तुरंत बाद ली जाती हैं। सूचना मिलने पर आई कलेक्शन सेंटर के डॉक्टरों की टीम मृत व्यक्ति के घर जाती है और 15-20 मिनट के ऑपरेशन के बाद कार्निया निकाल लिया जाता है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मृत्यु के बाद 5-6 घंटे तक आंखें स्वस्थ रहती हैं।
किसी के द्वारा दान की गई आंखें उसकी मृत्यु के तुरंत बाद ली जाती हैं। सूचना मिलने पर आई कलेक्शन सेंटर के डॉक्टरों की टीम मृत व्यक्ति के घर जाती है और 15-20 मिनट के ऑपरेशन के बाद कार्निया निकाल लिया जाता है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मृत्यु के बाद 5-6 घंटे तक आंखें स्वस्थ रहती हैं।
कार्निया प्रत्यारोपण
कार्निया आंख की पुतली पर एक पारदर्शी फिल्म के समान होता है। दृष्टिहीनता का एक बड़ा कारण कार्निया की खराबी है। कार्निया में खराबी जन्मजात या चोट, बीमारी या पोषक तत्वों की कमी से हो सकती है। कार्निया प्रत्यारोपण में अपारदर्शी कार्निया को निकालकर पारदर्शी कार्निया लगा दिया जाता है। इस तरह की दृष्टिहीनता कार्निया प्रत्यारोपण से ठीक की जा सकती है। यह एक बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है जो केवल 20 मिनट में पूरी हो जाती है। इसकी सफलता दर भी 90 प्रतिशत है। मृत्यु के छह घंटे के भीतर कार्निया निकालना जरूरी है। इसका देना और लेना पूरी तरह मुफ्त होता है। जिन्हें कार्निया दिया जाता है उनकी पहचान गुप्त रखी जाती है। कानून जीवित व्यक्ति से कार्निया लेने की इजाजत नहीं देता।
कार्निया आंख की पुतली पर एक पारदर्शी फिल्म के समान होता है। दृष्टिहीनता का एक बड़ा कारण कार्निया की खराबी है। कार्निया में खराबी जन्मजात या चोट, बीमारी या पोषक तत्वों की कमी से हो सकती है। कार्निया प्रत्यारोपण में अपारदर्शी कार्निया को निकालकर पारदर्शी कार्निया लगा दिया जाता है। इस तरह की दृष्टिहीनता कार्निया प्रत्यारोपण से ठीक की जा सकती है। यह एक बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है जो केवल 20 मिनट में पूरी हो जाती है। इसकी सफलता दर भी 90 प्रतिशत है। मृत्यु के छह घंटे के भीतर कार्निया निकालना जरूरी है। इसका देना और लेना पूरी तरह मुफ्त होता है। जिन्हें कार्निया दिया जाता है उनकी पहचान गुप्त रखी जाती है। कानून जीवित व्यक्ति से कार्निया लेने की इजाजत नहीं देता।
इन बातों का रखें ख्याल
जिस व्यक्ति का नेत्रदान किया जाना है, अगर उसकी मृत्यु घर पर हुई हो तो डॉक्टरों की टीम के पहुंचने से पहले इन बातों का खास ख्याल रखें:
जिस व्यक्ति का नेत्रदान किया जाना है, अगर उसकी मृत्यु घर पर हुई हो तो डॉक्टरों की टीम के पहुंचने से पहले इन बातों का खास ख्याल रखें:
मृत व्यक्ति की दोनों आंखें बंद रखें और उसे गीले कॉटन से ढक दें।
शव जिस कमरे में रखा है, उसका पंखा बंद कर दें।
मृत व्यक्ति का सिर करीब छह इंच ऊंचा कर दें।
अगर संभव हो मृत व्यक्ति की आंखों में थोड़ी-थोड़ी देर में कोई एंटीबायोटिक आई ड्रॉप डालते रहें, ताकि संक्रमण का खतरा न बढ़े।
शव जिस कमरे में रखा है, उसका पंखा बंद कर दें।
मृत व्यक्ति का सिर करीब छह इंच ऊंचा कर दें।
अगर संभव हो मृत व्यक्ति की आंखों में थोड़ी-थोड़ी देर में कोई एंटीबायोटिक आई ड्रॉप डालते रहें, ताकि संक्रमण का खतरा न बढ़े।
कौन कर सकता है नेत्रदान
कोई भी स्वस्थ व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है।
आंखों की सर्जरी हो चुकी हो, तब भी नेत्रदान किया जा सकता है।
वे लोग भी नेत्रदान कर सकते हैं जो चश्मा या कांटेक्ट लैंस पहनते हों।
आंखें दान करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती है।
डायबिटीज, हाइपरटेंशन, अस्थमा और तपेदिक से पीडित व्यक्ति भी आंखें दान दे सकते हैं।
किसी भी मृत व्यक्ति की आंखों को दान दिया जा सकता है, चाहे उसने नेत्रदान के लिए रजिस्ट्रेशन कराया हो या नहीं।
पानी में डूबकर मरने वाले व्यक्ति की आंखें दान नहीं की जा सकतीं।
एड्स, पीलिया, ब्रेन टय़ूमर, फूड प्वॉयजनिंग, सेप्टोसेमिया और मांस में सड़न वाले रोगी नेत्रदान नहीं कर सकते।
आंखों की सर्जरी हो चुकी हो, तब भी नेत्रदान किया जा सकता है।
वे लोग भी नेत्रदान कर सकते हैं जो चश्मा या कांटेक्ट लैंस पहनते हों।
आंखें दान करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती है।
डायबिटीज, हाइपरटेंशन, अस्थमा और तपेदिक से पीडित व्यक्ति भी आंखें दान दे सकते हैं।
किसी भी मृत व्यक्ति की आंखों को दान दिया जा सकता है, चाहे उसने नेत्रदान के लिए रजिस्ट्रेशन कराया हो या नहीं।
पानी में डूबकर मरने वाले व्यक्ति की आंखें दान नहीं की जा सकतीं।
एड्स, पीलिया, ब्रेन टय़ूमर, फूड प्वॉयजनिंग, सेप्टोसेमिया और मांस में सड़न वाले रोगी नेत्रदान नहीं कर सकते।
भारत में नेत्रदान
वर्तमान स्थिति और आवश्यकता
हमारे देश में हर 1000 में से 25 लोग दृष्टिहीन हैं, जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा 3 व्यक्ति प्रति 1000 व्यक्ति है। हमारे यहां करीब 50 लाख लोग कार्निया की खराबी के कारण दृष्टिहीन हैं। दुख की बात है कि अधिकतर लोगों को उपयुक्त इलाज ही नहीं मिलता, क्योंकि उन्हें कभी उपयुक्त कार्निया ही नहीं मिल पाता।
हमारे देश में नेत्रदान के प्रति जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अभी भी यह बढ़ोतरी संतोषजनक नहीं है। भारत में हर साल करीब 1 करोड़ लोगों की मृत्यु होती है, लेकिन कार्निया दान करने का आंकड़ा कुछ हजार से आगे नहीं बढ़ पाता।
हमारे देश में हर 1000 में से 25 लोग दृष्टिहीन हैं, जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा 3 व्यक्ति प्रति 1000 व्यक्ति है। हमारे यहां करीब 50 लाख लोग कार्निया की खराबी के कारण दृष्टिहीन हैं। दुख की बात है कि अधिकतर लोगों को उपयुक्त इलाज ही नहीं मिलता, क्योंकि उन्हें कभी उपयुक्त कार्निया ही नहीं मिल पाता।
हमारे देश में नेत्रदान के प्रति जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अभी भी यह बढ़ोतरी संतोषजनक नहीं है। भारत में हर साल करीब 1 करोड़ लोगों की मृत्यु होती है, लेकिन कार्निया दान करने का आंकड़ा कुछ हजार से आगे नहीं बढ़ पाता।
कार्निया प्रत्यारोपण के औसतन 20,000 ऑपरेशन ही प्रतिवर्ष होते हैं, जबकि हर साल 30,000 नए दृष्टिहीन लोग इस सूची में जुड़ते जाते हैं। इसका सबसे प्रमुख कारण आम जनता में जागरूकता की कमी होना है। कई सामाजिक और धार्मिक मान्यताएं भी लोगों को नेत्रदान करने से रोकती हैं।
क्यों नहीं बढ़ रहे हैं नेत्रदान के आंकड़ेअब नेत्रदान के लिए न तो पहले से रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है और न ही मृत व्यक्ति को अस्पताल ले जाने की जरूरत होती है। नेत्रदान के लिए शहर में स्थित किसी आई बैंक (आई हॉस्पिटल) से तुरंत संपर्क कर नेत्रदान के बारे में कहा जा सकता है। डॉक्टरों की टीम आपके घर पहुंचकर सिर्फ बीस मिनट में छोटे से ऑपरेशन द्वारा मृत व्यकित की आंखों से कार्निया निकालकर ले जाएगी। इतनी आसान प्रक्रिया के बावजूद नेत्रदान के आंकड़े कुछ हजार से आगे नहीं बढ़ रहे हैं। इसकी वजह यह भी है कि लोग नेत्रदान की अहमियत नहीं समझ पाते।
हमारे देश में वैसे ही नेत्रदान के प्रति जागरूकता कम है और नेत्रदाताओं की औसत आयु 60 वर्ष होने से उनमें से कइयों के कार्निया काम के साबित नहीं हो पाते।
युवाओं से कार्निया बहुत ही कम संख्या में मिल पाते हैं। युवा लोग कार्निया दान करने से झिझकते हैं।
कईं धार्मिक मान्यताएं और सामाजिक परंपराएं भी नेत्रदान को निषिद्घ करती हैं।
हमारे यहां जो लोग अस्पतालों में मर जाते हैं या दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं, उनसे नेत्रदान के लिए संपर्क करने का कोई प्रयास नहीं किया जाता।
भारतीय बड़े भावुक होते हैं, जब परिजन और रिश्तेदार शोक मना रहे होते हैं, उन्हें प्रेरित करना ओर नेत्रदान के लिए तैयार करना बडम मुश्किल होता है।
युवाओं से कार्निया बहुत ही कम संख्या में मिल पाते हैं। युवा लोग कार्निया दान करने से झिझकते हैं।
कईं धार्मिक मान्यताएं और सामाजिक परंपराएं भी नेत्रदान को निषिद्घ करती हैं।
हमारे यहां जो लोग अस्पतालों में मर जाते हैं या दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं, उनसे नेत्रदान के लिए संपर्क करने का कोई प्रयास नहीं किया जाता।
भारतीय बड़े भावुक होते हैं, जब परिजन और रिश्तेदार शोक मना रहे होते हैं, उन्हें प्रेरित करना ओर नेत्रदान के लिए तैयार करना बडम मुश्किल होता है।
नेत्रदान के लिए जागरूकता है जरूरी
लोगों को यह समझाना जरूरी है कि मृत्यु के बाद जलाने या दफनाने से कार्निया यूं ही बेकार चले जाते हैं।
नेत्रदान जैसा पवित्र और परोपकारी काम धर्म के विरूद्घ नहीं हो सकता, यह समझना जरूरी है।
कॉलेजों और स्कूलों में कैंप लगाकर विद्यार्थियों को नेत्रदान का महत्व समझाया जाना जरूरी है, ताकि समाज में नेत्रदान के प्रति जागरूकता बढ़े।
गांवों और आदिवासी क्षेत्रों के प्राथमिक चिकित्सा केंद्रो के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया जाए, ताकि वे मृत व्यक्ति के परिजनों को नेत्रदान के लिए समझा सकें।
नेत्रदाता के परिजनों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करना चाहिए, ताकि लोगों को इस अनमोल दान के लिए प्रेरित किया जा सके।
लोगों को यह समझाना जरूरी है कि मृत्यु के बाद जलाने या दफनाने से कार्निया यूं ही बेकार चले जाते हैं।
नेत्रदान जैसा पवित्र और परोपकारी काम धर्म के विरूद्घ नहीं हो सकता, यह समझना जरूरी है।
कॉलेजों और स्कूलों में कैंप लगाकर विद्यार्थियों को नेत्रदान का महत्व समझाया जाना जरूरी है, ताकि समाज में नेत्रदान के प्रति जागरूकता बढ़े।
गांवों और आदिवासी क्षेत्रों के प्राथमिक चिकित्सा केंद्रो के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया जाए, ताकि वे मृत व्यक्ति के परिजनों को नेत्रदान के लिए समझा सकें।
नेत्रदाता के परिजनों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करना चाहिए, ताकि लोगों को इस अनमोल दान के लिए प्रेरित किया जा सके।
आइये हम आज ये प्रतिज्ञा करे कि हम इस दुनिया से जाने से पहले अपनी आंखें किसी को देकर जाएंगे।।
ओम प्रकाश पाटीदार
शाजापुर
Tags:
Educational Resources