पौधों में पत्तियां क्यो गिर जाती है?

पतझड़ में पौधों की पत्तियां क्यो गिर जाती है?
Om Prakash Patidar

सर्दी का मौसम आते ही पेड़ों का इंतजार शुरू हो जाता है। ठंडे इलाके में उगने वाले कई पेड़ अपनी पत्तियां गिरा देते हैं। और ऊर्जा बचाते हुए चुपचाप वसंत का इंतजार करने लगते हैं।

पत्तियां हरी होती हैं। ये सच है। लेकिन सच यह भी है कि कई पेड़ों की पत्तियां सिर्फ वसंत और गर्मियों में हरी होती हैं। पतझड़ आते ही वह पीली। भूरी और लाल पड़ने लगती है। लेकिन ये रंग अचानक कहां से आते हैं?

जिस तरह आम जीव जन्तुओं की बहुत सारी ऊर्जा खाना पचाने में खर्च होती है। वैसे ही पेड़ों पौधों की भी सबसे ज्यादा ऊर्जा प्रकाश संश्लेषण में खर्च होती है। सिर्फ हरी पत्तियां प्रकाश संश्लेषण कर सकती हैं। क्लोरोफिल की मदद से पौधे धूप को सोखते हैं और पानी और कॉर्बन डाय ऑक्साइड को शर्करा में बदलते हैं। पतझड़ वाले पेड़ सर्दियों में इस प्रक्रिया को रोक देते हैं।

सर्दियों से ठीक पहले दिन छोटे होने लगते हैं। पौधे इस बात को समझ लेते हैं और तैयारी करने में जुट जाते हैं। वे क्लोरोफिल को छोटे छोटे अणुओं में बदलकर तने और जड़ों में जमा कर लेते हैं। क्लोरोफिल जैसी अहम चीज को पौधे बिल्कुल बर्बाद नहीं करते।

क्लोरोफिल के साथ ही पत्तियों में लाल और पीले वर्णक (पिगमेंट्स) होते हैं। वसंत और गर्मियों के दौरान क्लोरोफिल इतना ज्यादा हावी होता है कि ये दो रंग छुप जाते हैं। लेकिन अक्टूबर-नवंबर में क्लोरोफिल तने और जड़ों की तरफ जाने लगता है और पीला और लाल रंग सामने आने लगता है।

कारोटेनॉएड्स की वजह से पत्तियां सुनहरी या नारंगी दिखायी पड़ती हैं। एंथोसाइनिस उन्हें लाल और गुलाबी रंग देता है। लेकिन यह रंग तभी दिखायी देते हैं जब हरा गुम हो जाता है।

क्लोरोफिल को पूरी तरह अणुओं में तोड़ने के बाद पेड़ को पत्तियों की बिल्कुल जरूरत नहीं रहती। इसके बाद टहनी और पत्तियों की शाखा के बीच पेड़ एक परत बनाते हैं। इस परत को विलगन परत कहते है। यह परत पत्तियों में पानी और पोषक तत्वों की सप्लाई को काट देती है। फिर पत्तियां मरने और गिरने लगती है।

पत्तियों की कोशिकाओं में बहुत सारा पानी जमा होता है। अगर पेड़ पत्तियां नहीं गिराएंगे तो कड़ाके की सर्दी में पत्तों में मौजूद पानी जम जाएगा और पेड़ को गलाने लगेगा। इससे बचाव करने में बहुत ज्यादा ऊर्जा खर्च होगी। इसीलिए पेड़ पत्तों को पहले ही गिरा देते हैं।

कड़ाके की सर्दी में जब पानी जम जाता है तो पेड़ों को प्रकाश संश्लेषण के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता। इस लिहाज से भी पत्तियों का कोई मतलब नहीं बनता। लिहाजा पेड़ नग्न खड़े रहते हैं और चुपचाप वंसत का इंतजार करते हैं।

करीब पांच महीने के इंतजार के बाद दिन फिर लंबे होने लगते हैं। तापमान बढ़ने लगता है और तने व जड़ों में जमा क्लोरोफिल फिर ऊपर आने लगता है। और कोपलें फूट पड़ती हैं। इस तरह पेड़ों का इंतजार खत्म होता है।

साभार
विज्ञान विश्व

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