व्रत/उपवास क्या है?

ओम प्रकाश पाटीदार
शाजापुर


आज भारत सहित पूरे विश्व मे महिलाये करवा चौथ का व्रत कर रही है दुनिया के सभी धर्मों में उपवास का महत्व है। आयुर्वेद में बीमारी को दूर करने के लिए शरीर के विषैले तत्वों को दूर करने की बात कही जाती है और उपवास करने से इन्हें शरीर से निकाला जा सकता है। इसीलिए 'लंघन्‌म सर्वोत्तम औषधं' यानी उपवास को सर्वश्रेष्ठ औषधि माना जाता है।
उपवास के महत्व को देखते हुए संभवतः सभी धर्मों के प्रणेताओं ने इसे धार्मिक रीति-रिवाजों से जोड़ दिया है ताकि लोग उपवास के अनुशासन में बँधे रहें।
उपवास के धार्मिक, आध्यात्मिक महत्व के साथ साथ इसका शारीरिक और भेषजीय महत्व को देखते हुए हमें कम से कम सप्ताह में एक बार उपवास करना चाहिए।
सनातन धर्म मे करवा चौथ, हड़तालिका तीज,निर्जला ग्यारस, जैनिज़्म में पर्युषण तथा इस्लाम मे रौजे में भोजन के साथ-साथ पेय पदार्थ,जल आदि भी वर्जित किये गए है।
उपवास के लाभ
* मानसिक स्पष्टता में वृद्धि होती है तथा मस्तिष्क का धुंधलका छँट जाता है। 
* तत्काल एवं सुरक्षित तरीके से वजन घटता है। 
* तंत्रिका तंत्र में संतुलन कायम होता है। 
* ऊर्जा का स्तर बढ़ने से संवेदी क्षमताओं में वृद्धि होती है।
* शरीर के सभी अवयवों में ऊर्जा का संचार होता है। 
* सेल्युलर बायोकेमेस्ट्री में संतुलन कायम होता है। 
* त्वचा संवेदनशील, नर्म और रेशमी हो जाती है। 
* आपके हाथ-पैरों का संचालन सरलता से होने लगता है। 
* पाचन तंत्र ठीक होकर सुचारु रूप से काम करने लगता है। 
* आंतों में भोजन से रस सोखने की क्रिया में वृद्धि होती है।
सावधानियाँ
उपवास करने वालों को यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि यदि वे किसी असाध्य बीमारी से पीड़ित हैं या किसी बीमारी के लंबे इलाज को ले रहे हैं तो आपको अपने चिकित्सक की सलाह लिए बिना उपवास नहीं करना चाहिए। डायबिटीज के रोगियों व गर्भवती महिलाओं व स्तनपान करा रही माताओं को भी उपवास नहीं करना चाहिए। उपवास अपनी शारीरिक सामर्थ्य से अधिक नहीं करना चाहिए।

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