सफर में जी घबराना , उल्टी या चक्कर आना – (Nausea/Vomit during journey)
प्रस्तुतीकरण
ओम प्रकाश पाटीदारशाजापुर
सफर करना और घूमना फिरना सभी को बहुत अच्छा लगता है। परंतु किसी किसी को सफर करने के नाम से ही डर लगने लगता है।
विशेष कर बस कार आदि का लंबा सफर। क्योकि उन्हें सफर के समय उल्टियां होती है या जी घबराता है। किसी किसी के चक्कर आते है
या सिरदर्द हो जाता है। इससे घूमने फिरने का मजा किरकिरा हो जाता है।
सफर में जी घबराना या उलटी होने का कारण
सफर के समय जी घबराना , चक्कर आना या उल्टी होने का मुख्य कारण मोशन सिकनेस होता है।
आइये समझें मोशन सिकनेस क्या होता है , और क्यों होता है।
हमारे शरीर की सारी प्रक्रिया दिमाग द्वारा संचालित होती है। हमारा देखना , सुनना आदि तभी संभव होता है जब दिमाग तक इनके संकेत
पहुँचते है। यानि अगर हम कुछ देख रहे है तो सिर्फ आँख ही काम नहीं आ रही आँख से दिखने वाले दृश्य दिमाग तक पहुँचने के कारण दृश्य
समझ में आता है। इसी प्रकार कान से सुनाई देने वाली आवाज के संकेत दिमाग तक पहुँचने के बाद ही आवाज की पहचान होती है। इसी
प्रकार जब हम चलते है तो हमारे शरीर की चलने की क्रिया दिमाग द्वारा ही संचालित होती है ।
जब हम चलते है तब दिमाग में देखने , सुनने और गति से सम्बंधित तीन प्रकार के संकेतों में सामंजस्य बनता है। इसी वजह से हम सही तरीके
से चल पाते है। यदि इन संकेतो में किसी कारण से सामंजस्य नहीं बन पाए या ये संकेत समझने में दिमाग भ्रमित हो जाये तो उसका विपरीत
प्रभाव शरीर पर पड़ने लगता है।
जब दिमाग शरीर को चलाता है तब कोई समस्या नहीं होती। लेकिन जब दिमाग शरीर को नहीं चला रहा हो तो हमारा दिमाग गति , दृश्य और आवाज में होने के संकेतों में तालमेल नहीं बिठा पाता जिसका विपरीत प्रभाव शरीर पर जी घबराना , चक्कर आना या उल्टी होने के रूप में
सामने आता है। बस या कार के सफर में यही होता है। इसे ही मोशन सिकनेस कहते है। जब बस या कार ऊपर नीचे ज्यादा होती है या
मुड़ती है तो ये प्रभाव बढ़ जाता है।
सफर में जी मचलने या उल्टी होने से बचने के उपाय
— सफर से पहले देर से पचने वाला भारी खाना और तेज मिर्च मसाले तथा वसा युक्त खाना खाने से बचें। अधिक मात्रा में ना खाएं।
बहुत हल्का खाना लेना चाहिए। बिल्कुल खाली पेट होने से भी परेशानी हो सकती है।
— यदि संभव हो तो बाहर की ताजी हवा के लिए खिड़की के पास बैठे और शीशा खुला रखें।
दचके अधिक लगने से समस्या बढ़ती है। दचके कम लगें इसके लिए आगे की तरफ बैठने से आराम मिलता है। अतः कार या बस में आगे
की तरफ बैठे। नाव या पानी के जहाज में नीचे की तरफ के केबिन की तथा बीच वाली सीट इसके लिए उपयुक्त होती है। हवाई जहाज में पंखों
के ऊपर की तरफ बीच वाली सीट पर बैठना चाहिए । इसने सफर में जी घबराना कम हो जाता है।
— जिस दिशा में वाहन चल रहा हो उसके विपरीत दिशा में मुँह करना पड़े ऐसी सीट पर ना बैठे।
— आँखें बंद रख कर सोने की कोशिश करें।
— किताब पढ़ने से या मोबाइल पर गेम्स आदि नहीं खेलें। इससे सफर में जी घबराना बढ़ता है।
— हिलने वाली चीजें जैसे दूसरे वाहन को देखने के बजाय सामने सड़क के लेवल से थोड़ा ऊपर देखने से ठीक लगता है।
— किसी किसी को तेज गंध से सफर में जी घबराना बढ़ जाता है । ऐसे में नींबू सूंघने से आराम मिलता है।
— यदि आस पास किसी को उल्टी हो रही हो तो नाक को रुमाल आदि से ढक लें और उस तरफ नहीं देखें। न ही उस बारे में बात करें।
अन्यथा आपको भी परेशानी हो सकती है।
— सफर लंबा हो तो कुछ देर नीचे उतरकर थोड़ी चहलकदमी करने , ठंडा पानी आदि पीने और गहरी लंबी सांसे लेने से आराम मिलता है।
— गाड़ी में बैठे हुए भी लंबी गहरी साँस लेने आराम मिलेगा।
— आँखें बंद करके संगीत सुनने से भी सफर में जी घबराना ठीक होता है।
— यदि इस तरह की परेशानी हमेशा होती है तो सफर के समय खाली पॉलीथिन की थैली आदि अवश्य साथ में रखें। ताकि जरूरत के समय
काम आ सके।
बहुत जी घबराने पर उलटी हो जाने से कुछ आराम मिल जाता है। इसलिए उलटी ना रोक पाएं तो हो जाने दें। इससे आराम आ जाता है।
बाद में पानी से अच्छे से कुल्ला करके सुगन्धित टॉफी या सुपारी आदि मुँह में रखें।
— खट्टे मीठे चूर्ण जैसे अनारदाना चूर्ण या अदरक पाचक आदि खाने से भी सफर में जी घबराना मिटता है।
— अदरक वाली चाय पीने से आराम मिलता है। अदरक का टुकड़ा मुँह में रखकर रस चूसने से उल्टी आना ठीक होता है।
लौंग मुंह में रखने से जी घबराना ठीक होता है। लौंग को चूसना चाहिए।
साभार
दादी माँ के नुस्खे
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