पटाखों से रंगीन रोशनी क्यो निकलती है?

जानें पटाखों से निकलने वाली रोशनी और आवाज का कारण क्या है?








दीपावली पर अलग-अलग किस्म के पटाखे खरीदने एवं उसे जलाने का शौक हम में से अधिकांश लोगों को होता है. खासकर छोटे बच्चों में पटाखों के प्रति आकर्षण ज्यादा होता है. हम छोटे बम से लेकर कलग-अलग किस्म की रॉकेट खरीदते हैं और उन्हें जलाकर उसका आनंद उठाते है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रॉकेट हवा में इतनी ऊंचाई तय करके ही क्यों फटता है? बम में इतनी आवाज क्यों होती हैं? या अलग-अलग किस्म के बम एवं अनार से अलग-अलग तरह की रोशनी क्यों निकलती है? यदि इन प्रश्नों के उत्तर से आप अनभिज्ञ हैं तो इस लेख को पढ़कर आप अवश्य जान जाएंगे कि पटाखों से निकलने वाली अलग-अलग किस्म की रोशनी और आवाज का कारण क्या है?

पटाखों के प्रकार

मुख्य रूप से पटाखे दो प्रकार के होते हैं- (i) आवाज वाले पटाखे (ii) हवा में फूटने वाले पटाखे
(i) आवाज वाले पटाखे: ये वो पटाखे होते हैं जिन्हें जलाने पर धमाके की आवाज होती है. आवाज वाले पटाखों के निर्माण में तीन तरह के रॉ मैटेरियल अर्थात पोटेशियम नाइट्रेट, एलुमिनियम पाउडर और सल्फर की जरूरत होती है. इसके अलावा पटाखे का कागज और अन्य सामग्री की भी जरुरत होती है.

(ii) हवा में फूटने वाले पटाखे: ये वो पटाखे होते हैं जो ऊपर जाकर फटते हैं. जैसे रॉकेट और तरह-तरह के स्काई शॉट्स. इन पटाखों में बारूद डाला जाता है, जिससे इनको एक झटका लगता है और ये हवा में उड़ जाते हैं.
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पटाखों से निकलने वाली अलग-अलग किस्म की रोशनी का कारण

अक्सर हम देखते हैं कि विभिन्न प्रकार के पटाखे फटने के बाद आसमान में रंगबिरंगी रोशनी बिखेरते हैं. इन पटाखों में रोशनी प्राप्त करने के लिए खास तरह के रसायनों का प्रयोग किया जाता है. अलग-अलग रसायनों के हिसाब से ही पटाखों के रंगों की रोशनी अलग-अलग होती है. 

किस रोशनी के लिए डाला जाता है कौन सा रसायन

रसायन विज्ञान में मौजूद तरह-तरह के रसायनों को यदि किसी और वस्तु के साथ मिलाया जाए तो वह रसायनिक तत्व उसके साथ मिश्रित होने पर अपना रंग बदल लेता है.

हरे रंग के लिए बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल

पटाखों से हरे रंग की रोशनी निकालने के लिए उसमें बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाता है. बेरियम नाइट्रेट को अनकार्बनिक रसायन भी कहा जाता है. यह विस्फोटक पदार्थ का काम करता है. बारूद में मिश्रण होने पर यह अपना रंग बदलता है और हरे रंग में बदल जाता है. बेरियम नाइट्रेट के हरे रंग में बदलने के कारण जब पटाखे में आग लगाई जाती है तो उसमें से हरे रंग की ही रोशनी निकलती है. इसका इस्तेमाल ज्यादातर आतिशबाजी एवं अनार में किया जाता है.

लाल रंग के लिए सीजियम नाइट्रेट का इस्तेमाल

पटाखों से लाल रंग की रोशनी निकालने के लिए उसमें सीजियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाता है. सीजियम नाइट्रेट को बारूद के साथ मिलाने पर इसका रंग लाल हो जाता है. इसके बाद मिश्रण को ठोस बनाकर पटाखे में भरा जाता है और आग लगाने पर इसमें से लाल रंग की रोशनी बाहर आती है. इसका इस्तेमाल ज्यादातर अनार और रॉकेट में किया जाता है.

पीले रंग के लिए सोडियम नाइट्रेट का इस्तेमाल

सोडियम नाइट्रेट का रंग देखने में ही हल्का पीला नजर आता है. पटाखों में इस्तेमाल होने वाले बारूद के साथ इसे मिलाकर एक ठोस पदार्थ तैयार किया जाता है. इसमें नाइट्रेट की मात्रा बढ़ाई जाती है, जिससे इसका रंग और भी गाढ़ा पीला हो जाता है. यही वजह है कि आग लगाने के बाद यह पीले रंग की रोशनी छोड़ता है. इसका इस्तेमाल अमूमन हर पटाखे में होता है, लेकिन चकरी में इसका इस्तेमाल सबसे अधिक होता है
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