लैप्रोस्कोपी एक प्रकार की सर्जरी है। लैप्रोस्कोप नामक यन्त्र के माध्यम से पेट के अंदरूनी हिस्से की जांच को लैप्रोस्कोपी कहा जाता है। लैप्रोस्कोप एक दूरबीन-नुमा यन्त्र है जिसके एक छोर से प्रकाश नाभि के नीचे एक छोटे से चीरे के माध्यम से पारित किया जाता है। यह चिकित्सक को उदर गुहा में देखने और अंगों की जांच करने में सहायता करता है।
"खुली" सर्जरी में त्वचा में एक चीरा किया जाता है, अर्थात् पेट में चीरा लगाया जाता है जो कई इंच लम्बा हो सकता है। लैप्रोस्कोपी छोटे चीरों (आम तौर पर करीब 1/2 इंच लंबा) के उपयोग के द्वारा सर्जरी करने का एक तरीका है।लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को कभी कभी "न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी" या "की-होल सर्जरी भी कहा जाता हैै।
लैप्रोस्कोपिक सर्जरी कैसे की जाती है? यह सामान्य ओपरेशन से कैसे अलग होता है ?
सामान्य ओपरेशन में जहाँ का ओपरेशन करना है वहां पर कम से कम 3 CM का चीरा लगाया जाता है , और जरूरत पड़ने पर बढाया जा सकता हैं
दूरबीन से एक ओपरेशन के बाद का फोटो : लगभग सभी ओपरेशन 4 से 5 इस तरह के Key holes से किये जा सकते हैं .
लेप्रोस्कोपी तकनीक में मरीज को बेहोश करने के बाद पेट के ओपरेशन के लिए नाभि में एवं पेट के अन्य भाग में जरूरत के अनुसारले 5MM से ले के 10MM तक के चीरे रख के अन्दर दूरबीन डाली जाती है. एवं पेट को CO2 गैस डाल कर फुलाया जाता है, इससे अन्दर काम करने की जगह बनाकर दूरबीन से मोनिटर पर देख के ओपरेशन किया जाता है .ओपरेशन के बाद गैस निकाल कर टाँके लगा कर छेद बंद कर दिए जाते हैं .
लेप्रोस्कोपी के फायदे क्या क्या हैं?
लेप्रोस्कोपी पेट के जिन रोगों में की जाती है उनमे मरीज को होने वाले फायदे , जो मरीज स्वयं एवं सगे सम्बन्धी प्रत्यक्ष रूप से महसूस कर सकते है और देख सकते हैं ,इस प्रकार हैंपेट में छोटे छोटे चीरे लगाये जाते हैं , जिससे ओपरेशन के बाद मरीज को दर्द कम होता हैंअस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है.कम टाँके लगते हैं तो ड्रेसिंग में होने वाला दर्द भी कम होता है,अधिक समय तक आराम करने की आवश्यकता भी नही होती.इसके अलावा ,मरीज को और भी कुछ और फायदे हैं जो मरीज नहीं महसूस सकता परन्तु शरीर के लिए लाभदायक होते हैं जैसे-सामान्य ओपेरेशन में ज्यादा गहरा तक देखने के लिए बड़ा चीरा लगाना पड सकता है जबकि दूरबीन से पेट का हर कोना अच्छी तरह बड़ा करके (zoom) देखा जा सकता है, कभी कभी अधिक से अधिक 5 MM का एक और चीरा लगाने की आवश्यकता होती है . दूरबीन से पेट के और भी किसी अन्य रोग ,जिसका पता जांच में ना चल पाया हो, चाहे वो पेट के किसी और कोने में हो ,उसका भी निदान और उसी ओपरेशन के साथ या बाद में उपचार किया जा सकता है.चीरे एवं विच्छेदन कम होने से शरीर के अन्दर सूजन कम आती है फलस्वरूप घाव जल्दी से भरते हैं .ओपरेशन में रक्तस्त्राव कम होता है ,खून कम लगता है, तो खून चढाने की जरूरत भी कम होती हैकम टाँके लगने से उनके पकने की सम्भावन अभी कम होती है.ये उन मरीजों के लिए ज्यादा लाभदायक होता है जिनका वजन ज्यादा होता है य पेट में चर्बी ज्यादा होती है.शरीर इस तरह के ओपरेशन को अच्छे से सहन कर सकता है,होस्पिटल में कम समय रहने से मरीज घर पर ज्यादा अच्छा महसूस करता है और जल्दी ठीक होता है.मरीज का खाना पीना जल्दी शुरू हो जाता है , इससे कमजोरी नहीं आती है और मरीज.1-2 दिन यात्रा कर सकता है।
लैप्रोस्कोपी द्वारा कौन कौन से ओपरेशन से किये जा सकते हैं?
सभी पेट के ओपेरेशन जैसे
अपेंडिक्स,
पित्ताशय की पथरी (गाल ब्लेडर स्टोन )
पित्त नली की पथरी,
अन्ननली की रूकावट,
पेट के अल्सर ,
लिवर , पैंक्रियास , तिल्ली (स्प्लीन) की गाँठ,
किडनी की गाँठ एवं पथरी ,
गर्भाशय की गाँठ अंडाशय की गाँठ,
सामान्य ओपरेशन के बाद हुई गाँठ (INCISIONAL HERNIA).
नाभि की गाँठ(umbilical hernia)आँतों का आपस में चिपक जाना ,
आँतों का उलझ जानामल मार्ग का बहार आना,
पेट के समस्त कैंसर जठर, अन्ननली, आंत, गाल ब्लेडर, लीवर, पैंक्रियास,-निदान और उपचार,
प्रोस्टेट से पेशाब में रूकावट या कैंसर किडनी प्रत्यारोपण इत्यादि,
वजन कम करने के ओपरेशन (Obesity Surgery)
इस तरह, लेप्रोस्कोपी से लगभग सारे सामान्य एवं जटिल से जटिल ओपरेशन दूरबीन से किये जा सकते हैं।
