रक्त : संरचना और कार्य
रक्त लाल रंग का तरल पदार्थ होता है जो हमारे शरीर में संचारित होता है | यह लाल रंग का इसलिए होता है क्योंकि इसकी लाल कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन नाम का लाल रंग पाया जाता है| रक्त संयोजी ऊतक (connective tissue) होते हैं, इसमें चार चीजें पाईं जाती हैं – प्लाज्मा, लाल रक्त कण ( लाल रक्त कोशिया या आरबीसी), श्वेत रक्त कण ( सफेद रक्त कोशिकाएं या डब्ल्यूबीसी) और प्लेटलेट्स (बिम्बाणु) |
प्लाजमा तरल द्रव्य होता है | इसे फ्लूड मैट्रिक (Fluid matrix) भी कहते हैं | इसमें तीन प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जो उसमें तैरती रहती हैं। ये कोशिकाएं हैं – लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स (बिम्बाणु) है |
रक्त के कार्य
मनुष्य के शरीर में रक्त का तीन मुख्य काम होता है यानि शरीर के एक अंग से दूसरे अंग में पदार्थों का परिवहन जैसे श्वसन गैस, अपशिष्ट पदार्थ, एंजाइम आदि, रोगों से रक्षा करना और शरीर के तापमान का नियंत्रण करना |
- रक्त शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है |
- यह फेफड़ों से ऑक्सीजन लेता है और उसे शरीर के अन्य अंगों में पहुंचाता है|
- यह सांस बाहर छोड़ने के लिए शरीर की कोशिकाओं से कार्बन डाईऑक्साइड लेकर उसे फेफडों में पहुंचाता है |
- यह छोटी आंत में पचाए गए भोजन को लेता है और उसे शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाता है |
- यह अंतःस्रावी ग्रंथियों से हार्मोन लेता है और उसे शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाता है |
- यह जिगर से अपशिष्ट उत्पाद यूरिया लेता है और उत्सर्जन हेतु उसे गुर्दे में ले जाता है |
- संक्रमण से बचाता है |
औसतन, एक स्वस्थ्य पुरुष के शरीर में करीब 5 लीटर रक्त होता है जबकि महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले करीब 500 मिली कम रक्त होता है | इसलिए, कुल रक्त शरीर के वजन का 60-80 मिली/ किग्रा के करीब होता है |
प्लाज्मा
तरल या रक्त के तरल हिस्से को प्लाज्मा कहते हैं | यह रंगहीन तरल होता है जिसमें 90% पानी, प्रोटीन और अकार्बनिक लवण होते हैं | इसमें घुलनशील रूप में ग्लूकोज, एमिनो एसिड, वसा, यूरिया, हार्मोन, एंजाइम आदि जैसे कुछ कार्बनिक पदार्थ भी होते हैं | शरीर में यह इन घुलनशील पदार्थों को एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुंचाता है | प्लाज्मा के प्रोटीन में एंटीबॉडीज होते हैं जो बीमारियों और संक्रमण के खिलाफ शरीर की रक्षा प्रणाली में सहायता करते हैं |
लाल रक्त कण (आरबीसी)
इसे एरिथ्रोसाइट्स (erythrocytes) भी कहते हैं | डिस्क के आकार वाली ये कोशिकाएं मध्य में अवतल होती हैं और इन्हें माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है | आरबीसी फेफड़ों से ऑक्सीजन लेते हैं और उसे शरीर के सभी कोशिकाओं तक पहुंचाते हैं | इनमें नाभिक नहीं होता, हीमोग्लोबीन नाम का वर्णक होता है | यह हीमा नाम के लौह वर्णक और ग्लोबीन नाम के प्रोटीन से मिल कर बनता है | आरबीसी प्लीहा (spleen) और अस्थिमज्जा (bone marrow) में बनता है और चूंकि इनमें नाभिक नहीं होता इसलिए करीब चार माह तक ही जीवित रह पाता है | इसलिए, जब हम किसी व्यक्ति के जीवन को बचाने के लिए रक्त दान करते हैं तब हमारे शरीर में होने वाली खून की कमी एक ही दिन में पूरी हो जाती है क्योंकि अस्थिमज्जा में लाल रक्त कोशिकाएं बहुत तेजी से बनती हैं | आरबीसी का जीवन करीब 100-120 दिनों का होता है|
कार्य
आरबीसी में पाया जाने वाला हीमोग्लोबीन खुद में एक रसायनिक यौगिक का निर्माण कर फेफड़े के ऊतकों से ऑक्सीजन प्राप्त करता है | यह ऑक्सीजन ऊतकों तक ले जाया जाता है जहां इसका प्रयोग ऊर्जा उत्पादित करने के लिए रयानिक प्रतिक्रिया में किया जाता है | इसके बाद यह इन प्रतिक्रियाओं से उत्पादित हुए कार्बन डाईऑक्साइड से मिलता है और हृदय के साथ फेफडों में वापस जाता है जहां चक्र फिर से शुरु होता है|
श्वेत रक्त कण (डब्ल्यूबीसी)
डब्ल्यूबीसी को ल्यूकोसाइट्स (leukocytes) भी कहा जाता है | ये संक्रमण से लड़ते हैं और हमें बीमारियों से बचाते हैं क्योंकि ये रोग के कारक कीटाणुओं को खा जाते हैं | इसी कारण इन्हें शरीर की रक्षा प्रणाली का "सैनिक soldiers" भी कहते हैं | ये गोल या अनियमित आकार वाले, अर्धपारदर्शी कोशिकाएं नाभिक वाली होती हैं और इन्हें माइक्रोस्को में देखा जा सकता है | ये आरबीसी से थोड़े से बड़े होते हैं | कुछ श्वेत रक्त कोशिकाएं संक्रमण का मुकाबला करने के लिए'एंटीबॉडीज' कहे जाने वाले रसायन बना सकती हैं और इस तरह हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती हैं| रक्त में डब्ल्यूबीसी की संख्या लाल रक्त कोशिकाओँ की संख्या के मुकाबले बहुत कम होती है|
कार्य
मोटे तौर पर, डब्ल्यूबीसी शरीर में रक्षा प्रणाली के तौर पर काम करता है|
डब्ल्यूबीसी के कई प्रकार होते हैं जो विशेष प्रकार के काम करते हैं जैसे न्यूट्रोफिल्स (कुल डब्ल्यूबीसी का 65 से 70%) हमला करने वाले बैक्टीरिया पर हमला कर देते हैं और उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं | लिम्फोसाइट्स ( डब्ल्यूबीसी का 25%) एंटीबॉडीज उत्पादित करते हैं जो एंटीजेन्स से शरीर की रक्षा करता है और संक्रमण के खिलाफ हमें प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है | बासोफिल्सथक्कारोधी तरल जिसे हेपरिन कहते हैं, का स्राव करता है जो विशिष्ट एंटीजेन्स के खिलाफ रक्त कोशिकाओं में थक्के जमने से रोकता है|
ब्लड प्लेटलेट्स (बिम्बाणु)
ब्लड प्लेटलेट्स को थ्रम्बोसाइट्स भी कहते हैं| ये छोटे, गोलाकार या अंडाकार, रंगहीन कोशिकाएं होती हैं जो अस्थि मज्जा में बनती हैं | इनमें नाभिक नहीं होता और कटने या घाव लगने पर यह रक्त को जमाने (खून का थक्का बनने) में मदद करता है, जिसके कारण खून का बहना रूक जाता है| अस्थि मज्जा में कोशिकाओं से बनने वालीं सभी रक्त कोशिकाएं स्टेम सेल्स ( स्टेम कोशिकाएं) कहलाती हैं |
रक्त का थक्का जमना खून के बहने को रोकने के लिए शरीर की रक्षा प्रणाली है | प्लाज्मा में रक्त का घुलनशील प्रोटीन ब्रिनोजेन पाया जाता है जो अघुलनशील प्रोटीन फाइब्रिन बनाता है | यह खून को जमाने के लिए अनिवार्य है और जिगर (liver) में बनता है |