विज्ञान गीत संग्रह

विज्ञान से संबंधित गीत कविताये।।
संग्रह- ओम प्रकाश पाटीदार


कण कण में है ज्ञान जो
गए अगर पहचान वो
दुनियां अपनी सारी है
हाँ ऐसी सोच हमारी है
वैज्ञानिक सोच हमारी है ।

धरती को है नापा हमने
रहस्य चंद्र का जाना हमने
शून्य में भी तैर लिये
अब अन्य ग्रहों की बारी है
वैज्ञानिक सोच हमारी है ।

खोज हमारी आदत है
प्रयोग हमारी फितरत है
छोटे छोटे भले ही हम
हममे क्षमता भारी है
वैज्ञानिक सोच हमारी है ।

तप्त न और धरती हो
विलुप्त न अपनी सृष्टि हो
सुंदर सुखी समष्टि जगत हो
ऐसी दृष्टि हमारी है
हाँ ऐसी सोच हमारी है
वैज्ञानिक सोच हमारी है ।

साभार-  डॉ मीनाक्षी दूबे



बच्चे और विज्ञान


पापा जी सुन लीजिये, बात लीजिये मान.
आडंबर सब छोड़िये, यह कहता विज्ञान.

हम बच्चे यह जानते, रखते मन में ध्यान.
सर्वोपरि इस विश्व में, योग और विज्ञान.

सरकारों को चाहिए, करें तुरंत यह काम.
आवश्यक विज्ञान हो, पढ़े सभी अविराम.

पल में हल कर दे सदा, प्रश्न बड़ा ही यक्ष,
इसका यह सबसे बड़ा, सकारात्मक पक्ष.

अगर बनाना चाहते हो, सब को ज्ञानेंद्र.
गाँव-गाँव में खोलिये, विज्ञानों का केन्द्र.

ज्ञान और विज्ञान के, करके नये प्रयोग.
सबका हल पा लीजिये, यह इनका उपयोग.

भरते अभिनव चेतना, करते स्वस्थ विकास.
ज्ञान और विज्ञान से, बढ़े आत्मविश्वास.

धर्म सदा विज्ञान का, करता रहा विरोध.
नहीं मानते देख लो, करके इस पर शोध.

सभी दुखों का मूल है, एक अंधविश्वास.
अपनायें विज्ञान हम, अपना करें विकास.

बच्चों का विज्ञान से, होता स्वस्थ विकास.
आडंबर का शत्रु यह, करता इसका नाश.

तर्क शक्ति विकसित करें, भर के अभिनव ज्ञान.
ज्ञान और विज्ञान की, यह असली पहचान.

पढ़ने से विज्ञान के, आते नये विचार.
ये विचार बदलें सदा, बच्चों के व्यवहार.

चाँद नहीं है देवता, मान गये सब आज.
इस पर बसने जा रहा, देखो एक समाज.

चमत्कार विज्ञान का, नहीं एक सयोंग.
मंगल पर भी जा रहे, अब धरती के लोग.

मानव हित विज्ञान ने, किये बहुत से काम.
फ्रिज ,ऐ.सी, कूलर सभी, देते हैं आराम.

मेल एक्सप्रेस गाड़ियाँ, करें सफ़र आसान.
यूरोप तक पहुँच रहे, कुछ घंटो में यान.

पंडित जी करते रहे, कोरे कर्मोंकांड.
देखो नव विज्ञान अब नाप रहा ब्रह्मांड.

घर के भीतर देखिये,टी वी करे कमाल.
मनोरंजन के साथ में, सारे जग का हाल.

बच्चों के संग खेलते, बिना किये आराम.
मानव से बढ़ कर करें, रोबो सारे काम.

अपनाता विज्ञान को, जो चाहे कल्याण.
मोबाइल ने दे दिया, इसका आज प्रमाण


जय जवान जय किसान जय विज्ञान 


जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान,
प्राणों की आहुति दे देते, तत्पर सदा जवान,
भारत की इस बलि बेदी पर, कर में ले हथियार,
अगणित अमर जवानों ने बिछा दिये हैं प्रान,
आँच न आने दी भारत पर, छोड़ा सब संसार,
साक्षी है इतिहास, और जग करता सत्कार।
जय जवान, जय जवान, जय जवान।
.
नव संसाधन मिले, हरियाली छायी देश में,
सहकारिता को बढ़ाया, खुशहाली छायी देश में,
अपनाई नई तकनीकें, कृषि के देश में,
खाद्यानों से परिपूर्ण भंडार भरे देश में,
स्वावलंबी बने हम, निर्यात भी करते हैं।
जय किसान, जय किसान, जय किसान।
.
विज्ञान में पीछे नहीं अग्रिम चुने देशों में,
संभाव्य किया सब कुछ हमने जो मानव को प्राप्य,
विखंडन कर परमाणु का, असीमित ऊर्जा भंडार,
आर्यभट्ट, रोहिणी, एप्पल, इंसेट अंतिरक्ष में साकार,
भयकंपित रखते शत्रु को, नाग, पृथ्वी, आकाश।
विज्ञान, जय विज्ञान, जय विज्ञान।
.
लेकिन क्या है कमी, जो भारत पिछड़ा देश!
करना आत्मचिंतन हमें, देना बंद कर उपदेश,
मुट्ठीभर कुछ राजनेता न बदल सकते परिवेश,
कोसना बंद करें उनको, जब आये आवेश,
हम लाखों बुद्धिजीवियों को वहन करना संदेश।
आज जरूरत हम सब की है, पुकारे भारत देश।
.
कोटि कोटि जन तब होंगे साथ।
बढ़ेंगे आगे लिये फ़िर हाथों में हाथ।
साभार-कुलवंत सिंह

आया विज्ञान अनूठा

दुनिया में एक अजूबा ,
आया विज्ञान अनूठा .
जिसने रची एक माया ,
सारा संसार जिसमे समाया .
आविष्कार कि लगा दी लड़ी ,
मनुष्य कि जिंदगी बदली.
हर मुश्किल कर दी आसान ,
जिंदगी को दिया नया आधार .
नयी उम्मीदे चमत्कार ,
किया कल्पना को साकार .
बुद्धि और ज्ञान से ,
बना उसका संसार .
नवयुग का ऐसा अवतार ,
जैसे भगवन का सस्तकार.
लाया विज्ञानं ज्ञान आपार .
बच्चे और विज्ञानं
पापा जी सुन लीजिये, बात लीजिये मान.
आडंबर सब छोड़िये, यह कहता विज्ञान.

हम बच्चे यह जानते, रखते मन में ध्यान.
सर्वोपरि इस विश्व में, योग और विज्ञान.

सरकारों को चाहिए, करें तुरंत यह काम.
आवश्यक विज्ञान हो, पढ़े सभी अविराम.

पल में हल कर दे सदा, प्रश्न बड़ा ही यक्ष,
इसका यह सबसे बड़ा, सकारात्मक पक्ष.

अगर बनाना चाहते हो, सब को ज्ञानेंद्र.
गाँव-गाँव में खोलिये, विज्ञानों का केन्द्र.

ज्ञान और विज्ञान के, करके नये प्रयोग.
सबका हल पा लीजिये, यह इनका उपयोग.

भरते अभिनव चेतना, करते स्वस्थ विकास.
ज्ञान और विज्ञान से, बढ़े आत्मविश्वास.

धर्म सदा विज्ञान का, करता रहा विरोध.
नहीं मानते देख लो, करके इस पर शोध.

सभी दुखों का मूल है, एक अंधविश्वास.
अपनायें विज्ञान हम, अपना करें विकास.

बच्चों का विज्ञान से, होता स्वस्थ विकास.
आडंबर का शत्रु यह, करता इसका नाश.

तर्क शक्ति विकसित करें, भर के अभिनव ज्ञान.
ज्ञान और विज्ञान की, यह असली पहचान.

पढ़ने से विज्ञान के, आते नये विचार.
ये विचार बदलें सदा, बच्चों के व्यवहार.

चाँद नहीं है देवता, मान गये सब आज.
इस पर बसने जा रहा, देखो एक समाज.

चमत्कार विज्ञान का, नहीं एक सयोंग.
मंगल पर भी जा रहे, अब धरती के लोग.

मानव हित विज्ञान ने, किये बहुत से काम.
फ्रिज ,ऐ.सी, कूलर सभी, देते हैं आराम.

मेल एक्सप्रेस गाड़ियाँ, करें सफ़र आसान.
यूरोप तक पहुँच रहे, कुछ घंटो में यान.

पंडित जी करते रहे, कोरे कर्मोंकांड.
देखो नव विज्ञान अब नाप रहा ब्रह्मांड.

घर के भीतर देखिये,टी वी करे कमाल.
मनोरंजन के साथ में, सारे जग का हाल.

बच्चों के संग खेलते, बिना किये आराम.
मानव से बढ़ कर करें, रोबो सारे काम.

अपनाता विज्ञान को, जो चाहे कल्याण.
मोबाइल ने दे दिया, इसका आज प्रमाण

विज्ञान की उलझन

जग मे आए तीन कदरदान ,
इलेकट्रान् प्रोट्रान और न्युट्रान्
रब ने दिया इन्हे वरदान्,
दी इन्हे अपनी-अपनी पहचान्.
जोडा चक्र्व्यूह से तीनो को,
दिया इन्हे अलग- अलग स्थान ,
फिर भी हॅ न जाने क्यो ?
अपनी हालत पर हॅरान्.
करते हॅ शिकवा भगवान से.
होकर नाराज कहे इलेक्ट्रान्,
क्यो निकाला मुझे सेन्टर से,?
भ्रमण करने को चक्र्व्यूह मे,
रखा दोनो को न्यूकलियस के घर मे
डाला मुझे निगेटिव चार्ज मे,
रख दिया क्न्धे पर मेरे सारा काम,
एक पल भी न मिले आराम.
तभी बोला तपाक से न्युट्रान,
क्यो बनाया मुझे न्युट्र्ल ?
न कर सकु मॅ कोई हलचल,
दिया दोनो को एक सा नम्बर ,
कॅद कर रखा मुझे तो अन्दर्,
वही हूआ नाराज प्रोट्रान्,
कहने लगा होकर परेशान्,
चाहु मॅ तो आजादी,
लगा दी क्यो मुझपर पाबन्दी.
दिल कहे दुनिया देखना,
तुम कहो न्युक्लियस मे रहना.
पोसीटीव चार्ज न छोडकर जाना,
चाहु मॅ भी घुमना फिरना,
सुनकर बाते इनकी बोले भगवान,
होगा कॅसे पुरा मेरा प्लान्
सीखो खुश रहना हर हालात मे,
पहचानो अपने जीवन का वरदान्.

शारीरिक रसायन 

परमाणुओं की अदभुत संरचना से बनी देह हमारी ,
अनूठी रासायनिक प्रक्रिया सदा इसमें चलती ,
पाचन तंत्र में प्रस्तुत नन्हें जीवाणु,
भोजन को तोड़ देते छोटे-२ कणों में 1

जब पाचन तंत्र के भोजन के सूप में,
जोरों शोरों से प्रक्रिया करते ये जीवाणु ,
कर्बोन डाइऑक्साइड , नाइट्रोजन एवं ,
हाइड्र्ज्नस्ल्फ़ईड गैसों के बुलबुले,
इठलाते ,गुनगुनाते निष्कासित होते,
हमारी नशवर देह काया से 1

हम गुमरहित हो यह समझते ,
यह सब होता है ,हमारे कर्मों से ,
यानि अनुचित भोजन एवं पेय लेने से ,
कदापिऐसा नहीं है ,दोस्त मेरे प्यारे !
यह संभव होता जीवाणुओं ,
गट- बैक्टीरिया की हरकतों की वजह से1


हमारी पाचन तंत्र से , जब ये गैसें,
निष्कासित होती,अपनी पहचान महक लिए,
हमारे डॉक्टर के लिए राहत का ,
तो कभी हमारे दोस्तों के बीच हसीं का,
सबब बनती -----------1

परमाणु ब्रहमांड
परमाणु तो सहभागी हैं ,
इस अदभुत ब्रहमांड के ,
क़ुछ अहम् कार्यों के लिये ,
मानो उधार दिये गये हैं ये ,
डीएनए को मेरे l

हैरत गंज अन्दाज़ में, मैं सोचती ,
मुँह में दबाये उंगली ,
कि जब मैं इस जहाँ से कूच कर जाऊँगी ,
जा कर कहाँ रहेंगे ,ये नन्हे परमाणु मेरे ,
यह प्रशन बार बार घूमता ,
जिज्ञासा लिये ज़हन में मेरे !

अदभुत ब्रह्मांड को कोटि कोटि प्रणाम ,
एवं अनंत शुभ कामनाओं सहित -----

Manav Aur Vigyan
साल हजारों पहले मानव,
इस धरती पर आया।
बच्चो! जीवजगत में होमो,
सीपियन्स कहलाया।।

हाथी, गैंडा, भालू जैसे,
जीव अनेक विचरते।
लेकिन बुद्धिमान मानव से,
प्रायः सारे डरते।।

प्रकृति धनी थी, भोजन भी था,
मानव सबका राजा।
खाता कभी मार जीवों को,
और कभी फल खाता।।

धीरे - धीरे इस मानव के,
बात समझ में आयी।
जीव पालने में अपनी ही,
उसको लगी भलाई।

गाय, बकरियाँ, भेड़ आदि को,
मानव खूब चराता।
चारागाह मिलें यदि अच्छे,
तो कुछ दिन रुक जाता।।

देख उर्वरा शक्ति भूमि की,
नये विचार बनाए।
जंगल जला-जला कर उसने,
अपने खेत सजाए।।

ईश्वर से डरनेवाला अब,
बना तर्क का ज्ञाता।
कर विवाह घर-द्वार बसा कर,
जोड़ा सबसे नाता।।

बुद्धि और कौशल से उसने,
ज्ञान विवेक बढ़ाया।
और नया विज्ञान रचा कर,
चमत्कार दिखलाया।।

मोटर, रेल, जहाज, रेडियो,
टीवी, सेल, कम्प्यूटर।
चैड़ी सड़के चम-चम करतीं,
बादल से ऊँचे घर।।

इनके साथ बनाया उसने,
अणुबम बड़ा निराला।
मानव बन कर मानवता का,
सर्वनाश कर डाला।।

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