टिटेनस क्या है?
Om Prakash Patidar
- किसी घाव/चोट में संक्रमण होने पर टिटनेस हो सकता है।
- टिटनेस होने पर पेशियों में रुक-रुक कर ऐंठन होती है।
- टीकाकरण से निवारण योग्य एकमात्र रोग टिटेनस ही है।
- संक्रमण के कारण होने पर भी यह संक्रामक रोग नहीं है।
टिटनेस होने पर शारीरिक मांसपेशियों में रुक-रुक कर ऐंठन की समस्या होती है। यह अवस्था किसी गहरी चोट के संक्रमण के बाद शुरू हो सकती है और घाव के साथ सारे शरीर में फैल जाती है। इसके गंभीर परिणाम स्वरूप मृत्यु भी हो सकती है। जानें टिटनेस क्या है, कैसे होता है, इसके लक्षण और उपचार आदि क्या हैं।
क्या है टिटनेस?
टिटेनस शारीरिक पेशियों में रुक-रुक कर ऐंठन होने की एक अवस्था को कहा जाता है। टिटनेस किसी चोट या घाव में संक्रमण होने पर हो सकता है। टिटनेस होने पर व उपचारित न होने पर इसका संक्रमण सारे शरीर में फैल सकता है। टिटनेस के कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं, हालांकि इस रोग के साथ अच्छी बात यह है कि यदि चोट लगने के बाद टीकाकरण हो जाए तो यह ठीक हो जाता है।
कैसे होता है टिटनेस?
यह संक्रमण 'टिटेनोस्पासमिन' से होता है। टिटेनोस्पासमिन एक जानलेवा न्यरोटॉक्सिन होता है, जो कि क्लोस्ट्रिडियम टेटेनाई नामक बैक्टिरिया से निकलता है। ये बैक्टिरिया धूल, मिट्टी, लौह चूर्ण कीचड़ आदि में पाये जाते हैं। जब शरीर का घाव किसी कारण से इस बैक्टिरिया के संपर्क में आता है तो यह संक्रमण होता है। संक्रमण के बढ़ने पर, पहले जबड़े की पेशियों में ऐंठन आती है (इसे लॉक जॉ भी कहते हैं), इसके बाद निगलने में कठिनाई होने लगती है और फिर यह संक्रमण पूरे शरीर की पेशियों में जकड़न और ऐंठन पैदा कर देता है।
जिन लोगों को बचपन में टिटनेस का टीका नहीं लगाया जाता, उन्हें संक्रमण होने का खतरा काफी अधिक होता है। टिटेनस भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर में होने वाली समस्या है। लेकिन नमी के वातावरण वली जगहों, जहां मिट्टी में खाद अधिक हो उनमें टिटनेस का जोखिम अधिक होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिस मिट्टी में खाद डाली जाती है उसमें घोडे, भेड़, बकरी, कुत्ते, चूहे, सूअर आदि पशुओं के स्टूल उपयोग होता है। और इन पशुओं के आंतों में इस बैक्टीरिया बहुतायत में होते हैं। खेतों में काम करने वाले लोगों में भी ये बैक्टीरिया देखे गए हैं।
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