इन्सुलिन क्या है? यह कहा और कैसे बनता है?
Om Prakash Patidar
जब कभी अपने किसी खुशी के अवसर पर मिठाई खिलाई होगी तो किसी ने मजबूरी वस कहा होगा कि मुझे डाइबिटीज है। इन्सुलिन लेने के बाद ही कुछ खा पहुँगा।
इन्सुलिन क्या है :
हमारे शरीर में भोजन पचाने की जिम्मेदारी “पाचनतंत्र” की होती है| अग्नाशय (पैंक्रियाज) इसी पाचनतंत्र का एक हिस्सा होता है| अग्नाशय हमारे लिवर के ओर स्थित होता है और यह छोटी आंत के आरम्भिक सिरे से जुड़ा हुआ होता है|
हमारे अग्नाशय में तीन प्रकार की सेल्स (ऊतक) होती हैं
1. अल्फ़ा सेल्स
2. बीटा सेल्स
3. गामा सेल्स
2. बीटा सेल्स
3. गामा सेल्स
अग्नाशय में मौजूद बीटा सेल्स ही “इन्सुलिन हार्मोन” का निर्माण करती हैं| ज्यादा तनाव, अनिंद्रा और चिंता की स्थिति में यह बीटा सेल्स मरने लगती हैं और इनके नष्ट होने से इन्सुलिन नहीं बन पाता इसीलिए टेंशन में शुगर का लेवल बहुत तेजी से बढ़ता है|
इन्सुलिन का रासायनिक सूत्र “C45H69O14N11S.3H2O” होता है| इन्सुलिन की रासायनिक संरचना की खोज सबसे पहले ब्रिटिश आण्विक जीवशास्त्री “फ्रेड्रिक सैंगर” ने की थी और उनके इस प्रयास के लिए उनको “नोबेल पुरस्कार” भी दिया गया था|
इन्सुलिन की कार्यप्रणाली –
हमारे अग्नाशय में लाखों “आइलैंड्स” बने होते हैं और प्रत्येक आइलैंड्स में 80 से 100 के करीब बीटा सेल्स होती हैं| ये बीटा सेल्स हर दस सेकेण्ड में हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को चेक करती रहती हैं| अगर ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा हुई तो बीटा सेल्स इन्सुलिन बनाना शुरू कर देती हैं और अगर ग्लूकोज की मात्रा कम हुई तो यह बीटा सेल्स ग्लूकोज बना भी सकती हैं| इस प्रकार बीटा सेल्स शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित रखती हैं|
जब हम भोजन करते हैं तो हमारे शरीर में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है| इस समय बीटा सेल्स एक्टिवेट को जाती हैं और इन्सुलिन हार्मोन का स्राव करना शुरू कर देती हैं|
यह इन्सुलिन ग्लूकोज को ग्लाइकोजन में बदल देता है| यह ग्लाइकोजन ही के लिए एनर्जी का कार्य करता है| ग्लाइकोजन रक्त में माध्यम से हमारी मांसपेशियों में पहुँचने लगता है और मांसपेशियां ग्लाइकोजन को ऊर्जा के रूप में संचित कर लेती हैं| इस प्रकार भोजन से हमारे शरीर को एनर्जी प्राप्त होती है|
यह ग्लाइकोजन हमारे लिवर में काफी मात्रा में संचित रहता है इसीलिए लिवर को ग्लूकोज का गोदाम कहा जाता है| जब शरीर में ग्लूकोज की कमी होती है जैसे जब हम उपवास रखते हैं या कई बार भोजन नहीं कर पाते तो हमारा लिवर उस इकट्ठे हुए ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में बदल कर मांसपेशियों को ऊर्जा देता रहता है ताकि शरीर अपना कार्य सुचारु रूप से करता रहे|
क्या होता है जब इन्सुलिन नहीं बनता –
मधुमेह के रोगियों में इन्सुलिन सही मात्रा में नहीं बन पाता और अगर बनता भी है तो शरीर उसका इस्तेमाल सही से नहीं कर पाता इसे ही “मधुमेह” कहते हैं इसमें अग्नाशय की बीटा सेल्स की कार्यक्षमता बहुत कम हो जाती है|
मधुमेह का रोगी जब भोजन करता है तो उसके शरीर में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है लेकिन बीटा सेल्स पर्याप्त इन्सुलिन नहीं बना पातीं और ग्लूकोज पूरी तरह “ग्लाइकोजन” परिवर्तित नहीं हो पाता औरकाफी सारी शुगर रोगी के रक्त में ही रह जाती है| मांसपेशियों में भी जरुरत के अनुसार एनर्जी नहीं पहुंच पाती इसीलिए मधुमेह के रोगी को ज्यादा भूख लगती है क्यूंकि पेट तो भर जाता है लेकिन मांसपेशियां भूखी रह जाती हैं उनको पर्याप्त एनर्जी नहीं मिल पाती|
जब रक्त में बहुत अधिक ग्लूकोज बढ़ने लगता है तो यह रक्त के प्रवाह और अन्य अंगों पर दुष्प्रभाव डालने लगता है| इस अवस्था में हमारा शरीर ग्लूकोज को पेशाब के मार्ग से शरीर के बाहर निकालना शुरू कर देता है| बार बार पेशाब का आना या मधुमेह की पहचान भी है|
कृत्रिम इंसुलिन –
मधुमेह रोगियों के लिए वैज्ञानिकों ने कृत्रिम इन्सुलिन बनाना आरम्भ किया है| जब शरीर में ग्लूकोज बहुत ही अधिक बढ़ जाता है तो इन्सुलिन का इंजेक्शन लगाया जाता है| इन्सुलिन शरीर में पहुंचते ही अपना कार्य शुरू कर देता है और जल्दी ही ग्लूकोज का लेवल नियंत्रित हो जाता है|
सबसे पहले इन्सुलिन बैल के अग्नाशय से बनाया गया था जिसे “वोभाइन इंसुलिन” का नाम दिया गया था| इसके बाद वैज्ञानिकों ने सूअर के अग्नाशय से “पोरसीन इंसुलिन” बनना शुरू किया परन्तु इसमें सूअर और बैलों को मारना पड़ता था|
आधुनिक समय में डी.एन.ए. रीकोम्बीनेट नामक तकनीक से शुद्धतम “मानव इंसुलिन” बनाया जाता है|
इन्सुलिन का सेवन डॉक्टर के परामर्श पर ही करना चाहिए क्यूंकि जरुरत से ज्यादा इन्सुलिन लेना आपका ग्लूकोज का लेवल बहुत कम भी कर सकता है जिससे व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है|
प्राकृतिक रूप से इन्सुलिन का निर्माण –
अगर आपको मधुमेह है और इन्सुलिन पूरी तरह से नहीं बन पा रहा है तो आप कुछ प्राकृतिक तरीकों से इन्सुलिन का उत्पादन बढ़ा सकते हैं|
1. सुबह 30 मिनट जरूर टहलें
2. कपालभाति योगा करें
3. अग्निसार क्रिया करें
4. भोजन एकसाथ अधिक ना खाकर कम कम खाएं
5. एलोवेरा जूस पियें
6. करेले के रस का सेवन करें
7. तनाव बिल्कुल ना लें
2. कपालभाति योगा करें
3. अग्निसार क्रिया करें
4. भोजन एकसाथ अधिक ना खाकर कम कम खाएं
5. एलोवेरा जूस पियें
6. करेले के रस का सेवन करें
7. तनाव बिल्कुल ना लें
शरीर में इन्सुलिन बनाने का नुस्खा –
सबसे पहले आप एक कटोरी में थोड़ी हल्दी लें| इसके बाद एलोवेरा का एक टुकड़ा लें| एलोवरा के इस टुकड़े को छीलकर इसके अंदर से जैल वाला भाग निकाल लें| एलोवेरा का जैल एकदम पारदर्शी होता है|
इस जैल को कटोरी में लें और इसमें दो चुटकी हल्दी मिला दें| अब चम्मच से एलोवेरा जैल और जल्दी को मिलाकर इसका पेस्ट बना लें| सुबह खाली पेट इस पेस्ट का सेवन करने से शरीर में इन्सुलिन का निर्माण बढ़ जाता है|
मधुमेह के रोगियों को यह नुस्खा रोजाना अपनाना चाहिए| जिन लोगों के शरीर में इन्सुलिन बिल्कुल नहीं बनता उनके शरीर में भी इस नुस्खे से इन्सुलिन का निर्माण होने लगेगा|
इसके विपरीत अगर आप दवाइयों का सेवन करते हैं तो सावधान हो जाएँ क्यूंकि यह दवाइयां बीटा सेल्स को झकझोर कर उनसे जबरदस्ती इन्सुलिन का निर्माण कराती हैं और जब बीटा सेल्स की कार्यक्षमता बेहद कम हो जाती है तो एक समय के बाद दवाइयां भी कार्य करना बंद कर देती हैं|