उल्लू (Owl) अंधेरे में कैसे देख लेता है ?
Om Prakash Patidar
उल्लू (Stririgiformes) अँधेरे में भी देखने में सक्षम जबकि हम मनुष्य क्यों नहीं. जैसे की हम सब जानते है की दुनिया में भिन्न भिन्न प्रकार के जिव जंतु पाए जाते है और इनमे अलग अलग विशेषताएं होती है. जैसे हम मनुष्य ने अपने दिमाग के शक्ति इस कदर बढ़ा लिए है, और इस कारण हम मनुष्य सारे जीव जन्तुओ में श्रेस्ट है.
उल्लू एक ऐसा पक्षी है जिसे दिन कि अपेक्षा रात में अधिक स्पष्ट दिखाई देता है। इसके कान बेहद संवेदनशील होते हैं। रात में जब इसका कोई शिकार (जानवर) थोड़ी सी भी हरकत करता है तो इसे पता चल जाता है और यह उसे दबोच लेता हैl इसके पैरों में टेढ़े नाखूनों-वाले चार पंजे होते हैं जिससे इसे शिकार को दबोचने में विशेष सुविधा मिलती हैl चूहे इसका विशेष भोजन हैंl उल्लू लगभग संसार के सभी भागों में पाया जाता हैl
जिन पक्षियों को रात में अधिक दिखाई देता है, उन्हें रात का पक्षी (Nocturnal Birds) कहते हैं। बड़ी आंखें बुद्धिमान व्यक्ति की निशानी होती है और इसलिए उल्लू को बुद्धिमान माना जाता है। हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है।
उल्लू अंधेरे में कैसे देख लेता है ?
देखने का काम आंखे करती है. दिखाई देने वाली वस्तुओं से आने वाले प्रकाश से हमारी आंख के पर्दे पर उनका उलटा चित्र बनता है, जो दिमाग में पहुंचकर सीधा हो जाता है और हमें वस्तुए दिखाई देने लगती है. आंख के पर्दे पर यह प्रकाश आंख की पुतली से होकर जाता है. पुतली का आकार कैमरे के प्रकाश क्षेत्र की तरह प्रकाश के अनुसार फ़ैल और सिकुड़ सकता है. अंधेरा होने पर प्रकाश ना आने से हमें दिखाई नहीं देता. लेकिन इस अंधेरे में भी धीरे-धीरे पुतली का आकार जब फ़ैल कर बड़ा हो जाता है तो हमें भी कुछ देर के बाद हल्का हल्का दिखाई देने लगता है.
आंखों के रेटिना में दो तरह की कोशिकाएं होती है (1) शंकु (Cones) तथा (2) शालाकाये (Rods) शंकु कोशिकाएं हमे विभिन्न रंगों का ज्ञान करती है, जबकि शालाकाये अंधेरे में देखने मे सहायक होती है। उल्लू की आंखों में शालाकाये कोशिकाएं अधिक मात्रा में होती है। जो इसे अंधेरे में देखने की शक्ति प्रदान करती है।।
आंखों के रेटिना में दो तरह की कोशिकाएं होती है (1) शंकु (Cones) तथा (2) शालाकाये (Rods) शंकु कोशिकाएं हमे विभिन्न रंगों का ज्ञान करती है, जबकि शालाकाये अंधेरे में देखने मे सहायक होती है। उल्लू की आंखों में शालाकाये कोशिकाएं अधिक मात्रा में होती है। जो इसे अंधेरे में देखने की शक्ति प्रदान करती है।।
- उल्लू की आंखों की पुतलियां हमारी आंखों की पुतलियों की तुलना में बड़ी होती है.
- इसके अलावा इनके फैलने की क्षमता भी अधिक होती है. इसलिए रात के समय हल्के से हल्का प्रकाश भी इनकी इन से हो कर के पर्दे तक पहुंच जाता है.
- उल्लू की आंख का पर्दा लेंस से कुछ अधिक दूर होने से उस पर चित्र भी बड़ा बनता है.
- उल्लू की आंख के लेंस में चित्र को फोकस करने की क्षमता भी होती है.
- उल्लू की आंख को संवेदनशील बनाने वाली कोशिकाएं भी हमारी आंख की तुलना में लगभग 5 गुनी अधिक होती है.
- इसके अतिरिक्त उल्लू की आंखों में प्रोटीन से बना लाल रंग का एक पदार्थ भी होता है जिससे उल्लू की आंखें रात के प्रकाश में अधिक संवेदनशील हो जाती है अपनी और की इन विशेषताओं के कारण उल्लू अंधेरे में भी देख सकता है
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