पक्षियों में प्रवास।
पक्षियों के बिना आसमान अधूरा है। आकाश में रचना में उड़ते हुए पक्षियों का झुंड एक बहुत ही प्रेरणादायक दृश्य है। प्रवास, किसी भी जाति के लिए, गर्मी और सर्दी के निवास स्थानों के बीच एक बड़े स्तर पर किया गया आवधिक गमन-आगमन है। ये पक्षियों का, अपना जीवन बचाने के लिए, समय के साथ हुआ क्रम-विकास (Evolution) है।
Om Prakash Patidar
पक्षियों के बिना आसमान अधूरा है। आकाश में रचना में उड़ते हुए पक्षियों का झुंड एक बहुत ही प्रेरणादायक दृश्य है। प्रवास, किसी भी जाति के लिए, गर्मी और सर्दी के निवास स्थानों के बीच एक बड़े स्तर पर किया गया आवधिक गमन-आगमन है। ये पक्षियों का, अपना जीवन बचाने के लिए, समय के साथ हुआ क्रम-विकास (Evolution) है।
पक्षी नीचे दिये गए कारणों से प्रवास करते हैं:
- भोजन की खोज: कीड़ों और नए अंकुर वाले पौधों की खोज में पक्षी ठंडे जलवायु से गरम जलवायु की तरफ प्रवास करते हैं।
- घोंसलों के स्थान की खोज: उचित घोंसलों के स्थान की खोज में भी पक्षी गरम जलवायु की तरफ प्रवास करते हैं।
- जलवायु: पक्षियों के पंखों का समय के साथ विकास हुआ है। अत्यंत ठंडे और अत्यंत गरम जलवायु में पक्षियों की कुछ प्रजातियों, विशेष रूप से उनके बच्चों, का जीवित रहना कठिन होता है।
- शिकारी पक्षी: पक्षियों के वो निवास स्थान जहां पर भोजन की भरमार पूरे वर्ष रहती है अधिक शिकारी पक्षियों को आकर्षित करते हैं। कुछ पक्षी इन शिकारी पक्षियों से बचने के लिए प्रवास करते हैं।
- बीमारी: जिन पक्षियों के निवास स्थान में कम जगह में अधिक संख्या में पक्षी रहते हैं, वहाँ पर बीमारी फैलने और इन्फ़ैकशन से सारे पक्षियों की आबादी का विनाश हो सकता है।
प्रवास और शीतनिद्रा (hibernation) में अंतर ये है कि कुछ जानवर (जैसे भालू), कड़ाके की ठंड से बचने के लिए, सर्दी का पूरा मौसम सो कर निकालते हैं। यह वे अपने निवास स्थान पर ही करते हैं और इसलिए शीतनिद्रा में यात्रा नहीं होती है।
- साइबेरियाई सारस (Siberian cranes)
- ग्रेटर फ्लेमिंगो (Greater Flamingo)
- रफ्फ़ (Ruff)
- ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट (Black Winged Stilt)
- कॉमन टील (Common Teal)
- कॉमन ग्रीनशेंक (Common Greenshank)
- उत्तरी पिनटेल (Northern Pintail)
- येल्लो वैगटेल (Yellow Wagtail)
गर्मियों के मौसम में भारत में प्रवास करने वाले कुछ आम प्रवासी पक्षी हैं:
- एशियाई कोयल (Asian Koel)
- ब्लैक क्राउन नाईट हीरोन (Black Crown Night Heron)
- यूरेशियन सुनहरा पोलक (Eurasian Golden Oriole)
- कोम्ब बत्तख (Comb Duck)
- ब्लू चीक्ड बी ईटर (Blue-Cheeked Bee-Eater)
- ब्लू टेल्ड बी ईटर (Blue-tailed Bee-Eater)
- कोयल (Cuckoos)
पक्षी अभयारण्य (Bird-Sanctuaries) प्रवास के समय पक्षियों को जीवित रहने के लिए उचित वातावरण देते हैं। ये उन पक्षियों को भी सुरक्षित वातावरण देते हैं जो विलुप्त होने की कगार पर हैं। भारत में 50 से अधिक पक्षी अभयारण्य हैं, जिनमे सबसे प्रसिद्ध हैं:
- भरतपुर पक्षी अभयारण्य, राजस्थान
- चिल्का झील पक्षी अभयारण्य, ओड़ीशा
- सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य, गुड़गाँव
- कुमारकोम पक्षी अभयारण्य, केरल
- नल सरोवर पक्षी अभयारण्य, गुजरात
प्रवास के कठोर परिश्रम की तैयारी करने में, बहुत सारे पक्षी हाइपरफेजिया (hyperphagia) की स्थिति अपना लेते हैं, जिसमे वे प्रवास से पहले वाले बहुत सारे सप्ताहों में चर्बी इकट्ठी करने के लिए अधिक भोजन खाते हैं। इस चर्बी को वे बाद में अपनी लंबी यात्रा में ऊर्जा के लिए उपयोग में लाते हैं।
मनोरंजक सच: आर्कटिक टर्न जो 125 ग्राम से कम वज़न की होती है, प्रवास के लिए एक वर्ष के अंदर 80,000 किलोमीटर की यात्रा करती है। यह आर्कटिक से अंटार्कटिका तक एक पूरा गोल चक्कर तय करती है।