सूरजमुखी (Sunflower) सूर्य की दिशा में क्यो मुड़ जाते है?

सूरजमुखी के पौधों में हलिओट्रॉपिसम क्या है?
(The Heliotropism of a Sunflower)



Om Prakash Patidar


पूरब की ओर मुँह किए सूरजमुखी के फूल ।
होते ही भोर खिल उठे सूरजमुखी के फूल ।
उड़ने लगीं हवाइयाँ चेहरे पे ओस के,
जब खिलखिला के हँस पड़े सूरजमुखी के फूल ।

विनय मिश्र जी की इस कविता में सूरजमुखी के फूल को सूरज की तरफ मुह किये हुए रहने की बात कही गयी है।किसी टेबल पंखे तरह सूर्यमुखी (Helianthus annuus)  का पौधा सुबह की पहली किरण से सूरज को तकता रहता है। जैसे-जैसे सूरज पूरब से पश्चिम की तरफ जाता है, सूर्यमुखी के पौधे का भी मुंह वैसे-वैसे घूमता जाता है और रात को फिर वापस अपनी जगह आकर सुबह होने का इंतजार करता है, लेकिन जैसे ही सूर्यमुखी का पौधा पूर्णविकसित होता है वह पूर्व दिशा की तरफ रुक जाता है।
सूरजमुखी के पौधों का मुडऩा उसके तने के हिस्सों का दिन के अलग-अलग समय में विकसित होना है। इसके तने का एक हिस्सा दिन में और दूसरा रात में बढ़ता है। इसका बढऩा उस जीन से जुड़ा है जो प्रकाश से प्रतिक्रिया करता है।
सूर्यमुखी के पौधे में भी वैसी ही एक आंतरिक घड़ी होती है जैसी मनुष्यों में होती है। इसे हम बायोलॉजिकल क्लॉक कहते हैं। प्रोफेसर यूसी डेविस का कहना है कि यह पहला उदाहरण है, जब हमें किसी पौधे में इस तरह की घड़ी के बारे में जानकारी मिली है, जो पौधे की वृद्धि से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है।
सूर्यमुखी के पौधे में इस प्रक्रिया को कार्केडियन रिद्म (एक तरह की जैविक प्रक्रिया जो 24 घंटे के क्रम में चलती है) के माध्यम से समझा जा सकता है। सूरजमुखी में इस घटना को हेलियरोपिसम कहा जाता है।

हेलियोट्रोपिसम क्या है?

कोपल अवस्था में सूरजमुखी हेलिओट्रोपिज़्म (heliotropism) प्रदर्शित करते हैं।
सूर्योदय के समय, अधिकतम सूरजमुखियों के चेहरे पूर्व की ओर मुड़े होते हैं। दिन के दौरान, वे पूर्व से पश्चिम तक सूरज का पीछा करते हैं, जबकि रात में वे एक पूर्वाभिमुख उन्मुखीकरण पर वापस आ जाते हे. यह गति, मोटर कोशिकाओं द्वारा पल्विनस में प्रदर्शित की जाती है, जो कली के ठीक नीचे तने का एक लचीला क्षेत्र होता है। जैसे ही कोंपल अवस्था समाप्त होती हे, तना सकत हो जाता है और फूल खिलने का चरण शुरू हो जाता हे.
अपने फूल खिलने के चरण में सूरजमुखी अपनी हेलिओट्रोपिक क्षमता खो देते हैं। तना "स्थिर" हो जाता है, विशिष्ट रूप से एक पूर्वाभिमुख उन्मुखीकरण में. तना और पत्ते अपना हरा रंग खो देते हैं। जंगली सूरजमुखी आम तौर पर सूर्य की ओर नहीं मुड़ता है; परिपक्व होने पर उसका पुष्पित सर बहुत सी दिशाओं में अभिमुख हो सकता है।

हार्मोनल सिद्धान्त के अनुसार इस घटना का कारण-

सूरजमुखी के पौधे में ऑक्सिन (Auxin ) नाम का एक हॉरमोन होता है. यह हॉर्मोन सूरज की किरणों के प्रति संवेदनशील होता है. पौधे में यह तने के छाया वाले हिस्से में जमा होता है. फूल से छाया बनती है. छाया में ही यह बढ़ता है. इसलिए इसका तना सहज रूप से छाया की ओर घूमता है, जिसके कारण फूल का मुख सूरज की ओर हो जाता है.

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