सूर्य का उत्तरायण और दक्षिणायन क्या है?
बचपन से ही हमे पढा़या जाता है की सूर्य पूरब से निकलता है पर अगर खगोलविज्ञान का अध्ययन करें तो साल में सिर्फ दो दिन ही होते है जब सूर्य ठीक पूरब से निकलता है व अन्य पूरे साल सूर्य कुछ उत्तर या दक्षिण की तरफ होता है, यही घटना सूर्य का उत्तरायण होना या दक्षिणायन होना है ।
अब सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन की बात करें तो सूर्य का केंद्र दिसम्बर माह की 21 तारीख को दक्षिण-पूर्व के शीर्ष बिंदु पर होता है और उसी दिन से सूर्य उत्तर की तरफ गति करना शुरू कर देता है साथ ही इस दिन सूर्य मकर रेखा के ऊपर चमकता है । इस तरह सूर्य 21 दिसम्बर से निरंतर उत्तर दिशा में गति करता रहता है और 21 जून के आसपास वह उत्तर-पूर्व के शीर्ष पर पहुंच जाता है जिसके बाद सूर्य फिर से दक्षिण दिशा में गति करनी शुरू कर देता है । इस प्रकार क्रमशः छः-छः माह सूर्य उत्तरायण और दक्षिणायन रहता है ।
Om Prakash Patidar
उत्तरायण सूर्य, सूर्य की एक दशा है। मकर संक्रांति से लेकर कर्क संक्रांति के बीच के छः मास के समयान्तराल को उत्तरायण कहते हैं। 'उत्तरायण' (= उत्तर + अयन) का शाब्दिक अर्थ है - 'उत्तर में गमन', अर्थात् सूर्य का उत्तर में आना या सूर्य का ठीक पूर्व से न निकलकर थोड़ा उत्तर दिशा से निकलना। इसके विपरीत कर्क संक्रांति से लेकर मकर संक्रांति के बीच के छः मास के काल को दक्षिणायन कहते हैं।
उत्तरायण का आरंभ १४ जनवरी (या कभी-कभी १५ जनवरी) को होता है। जब सूर्य देव मकर राशि मे प्रवेश करते है। उत्तरायण के बाद दक्षिणायण का आरंभ १४ जुलाई को होता है। सूर्य देव के उत्तरायण मे प्रवेश करने के उपलक्ष मे हिन्दुओ द्वारा मकर संक्राति का पर्व मनाया जाता है।
अगर हम उत्तरायण और दक्षिणायन शब्द पर ध्यान दें तो दोनों दो-दो शब्दों से मिल कर बने है- उत्तर व अयन और दक्षिण व अयन जहां अयन का अर्थ गमन होता है अर्थात् उत्तर में गमन व दक्षिण में गमन । साल में सिर्फ दो दिन ही होते है जब मध्यामह्न में सूरज हमारे ठीक ऊपर होता है और उस समय हमारी परछाई नहीं दिखाई देती । ये दो दिन 21 मार्च और 21 सितम्बर के आसपास आते है । इन दो दिनों को विज्ञान की भाषा में शुन्य छाया दिवस कहते है । हम जानते है की पृथ्वी अपने अक्षांश में 23.5 डिग्री झुकी हुई है और निरंतर अपनी धुरी में घूमती रहती है साथ ही सूर्य के चारों तरफ भी घूमती रहती है । निरंतर अपनी धुरी में घूमने की वजह से दिन व रात्रि होती है और झुके होने की वजह से दिन और रात्रि का समय बराबर नहीं होता है । इन सभी वजहों से पृथ्वी में सूर्य की किरणे निरंतर बराबर नहीं पड़ती है और ऋतुओं में परिवर्तन होता रहता है । अब सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन की बात करें तो सूर्य का केंद्र दिसम्बर माह की 21 तारीख को दक्षिण-पूर्व के शीर्ष बिंदु पर होता है और उसी दिन से सूर्य उत्तर की तरफ गति करना शुरू कर देता है साथ ही इस दिन सूर्य मकर रेखा के ऊपर चमकता है । इस तरह सूर्य 21 दिसम्बर से निरंतर उत्तर दिशा में गति करता रहता है और 21 जून के आसपास वह उत्तर-पूर्व के शीर्ष पर पहुंच जाता है जिसके बाद सूर्य फिर से दक्षिण दिशा में गति करनी शुरू कर देता है । इस प्रकार क्रमशः छः-छः माह सूर्य उत्तरायण और दक्षिणायन रहता है ।