क्या जानवर भी खुदकुशी (Sucide)करते हैं?

क्या  जानवर भी खुदकुशी करते हैं?

Om Prakash Patidar

सिर्फ इंसान ही नहीं जानवर भी करते हैं आत्महत्या !! जानिए, जानवरों से जुड़ी आत्महत्याओं के बारें में

आपने कई बार सुना होगा, कि प्रेमी जोड़ें ने ट्रेन के आगे कुदकर जान दी, एक परिवार ने जहर खाकर आत्महत्या की। दुनिया में कई जगहों पर लोग आत्महत्या करते है। लेकिन,  अगर आपसे कोई पूछे कि क्या जानवर सुसाइड कर सकते हैं, तो शायद आपके पास इस सवाल का जवाब नहीं होगा। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह से जानवरों ने सुसाइड करने की कोशिश की, हालांकि विशेषज्ञ अभी इस बात पर एकमत नहीं हैंए लेकिन इन तस्वीरों को देखकर आपको ये यकीन ज़रूर हो जाएगा कि एनिमल्स सुसाइड जैसी घटनाएं भी हुई हैं। तो जानते है जानवरों की आत्महत्याओं के बारें में-
सन 1845 में लंदन के अखबार, 'इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज' में अजीबो-गरीब खबर छपी। खबर ये थी कि काले रंग के एक बेहद खूबसूरत कुत्ते ने पानी में कूदकर जान दे दी। जब वो पानी में कूदा तो उसने तैरने के लिए पैर मारने की कोशिश तक नहीं की, जबकि आम तौर पर कुत्ते ऐसा नहीं करते। जब उस कुत्ते को पानी से निकालकर बाहर लाया गया तो वो दोबारा पानी में कूद गया और अपनी जान देकर ही माना। उस दौर के अखबारों के मुताबिक, किसी जानवर के खुदकुशी करने की ये पहली घटना नहीं थी। इसके कुछ दिनों बाद ही दो ऐसी और खबरें छपीं। जिनमें से एक में बतख ने खुद को डुबोकर मार डाला था। वहीं दूसरी खबर के मुताबिक, एक बिल्ली ने पेड से लटककर जान दे दी। ऐसा बिल्ली ने अपने बच्चों की मौत के बाद किया था। आखिर इन खबरों में कितनी सच्चाई है? हमें ये तो मालूम है कि जानवर भी दिमागी बीमारी के शिकार होते हैं। हमें ये भी पता है कि इंसानों की तरह कई जानवर भी तनाव और डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। इंसान अक्सर इन्हीं वजहों से खुदकुशी करता है। इंसानों जैसी कई आदतें दूसरे जानवरों में पाई गई हैं, लेकिन क्या आत्महत्या उनमें से एक है? क्या वाकई जानवर, जान-बूझकर अपनी जान देते हैं?  

भारत मे असम में जतिंगा नामक एक गाँव है, जिसकी कछार नामक घाटी की तलहटी में कूदकर हजारों पक्षी एक साथ एक मानसून के समय आत्महत्या कर लेते हैं, इसका रहस्य क्या है, इस बारे में वैज्ञानिक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं। आश्चर्य की बात तो ये है कि कोई अकेला पक्षी यहां आत्महत्या करने नहीं आता, बल्कि समूह में ही वे घाटी की तलहटी में कूद जाते हैं, देखने वालों का कहना है कि मानसून की बोझिल रात में एक रोशनी की तरफ झुंड के झुंड पक्षी मुड़ जाते हैं और देखते ही वे सब देखते काल के गाल में समा जाते हैं।

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