जीआइ (Geographical Indication) टैग क्या है?
Om Prakash Patidar
Shajapur (M.P.)
क्या है जीआई टैग –
जो चीज़ें एक ख़ास मौसम, पर्यावरण या मिट्टी में पैदा होती हैं उनके लिए जियोग्राफ़िकल इंडिकेशन(जीआई) टैग दिया जाता है. यह एक प्रकार के बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत आता है. किसी ख़ास क्षेत्र के उत्पाद विशेष को जीआई टैग दिया जाता है. जीआई टैग किसी सांस्कृतिक उत्पाद या कृषि उत्पाद को दिया जा सकता है.
जैसे स्कॉटलैंड में जो स्कॉच बनती है उसे स्कॉटलैंड का माना जाता है क्योंकि उसे जीआई टैग मिला है. ब्रिटेन में बनी स्कॉच अलग ही होती है. दुनिया में दूसरी जगहों पर स्कॉच जैसी शराब बनती है लेकिन उसे स्कॉच नहीं माना जाता.
दूसरे शब्दों में कहे तो जीआइ यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशेन टैग एक नाम या चिन्ह होता है जो किसी उत्पाद विशेष से जुड़ा होता है। इसका असल में किसी भौगोलिक क्षेत्र जैसे कस्बे, शहर, इलाके या देश से ही मुख्यत: लेनादेना होता है। विश्व व्यापार संगठन का सदस्य होने के नाते भारत ने इस व्यवस्था यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट-1999 को 15 सितंबर, 2003 को अपनाया था। जीआइ टैग का मतलब है कि अधिकृत निर्माता के अलावा कोई अन्य देश या इलाका उस उत्पाद के मशहूर नाम का इस्तेमाल खुद से जोड़कर नहीं कर सकता। यह उत्पादों के प्रमाणीकरण में काम आता है और बताता है कि किसी उत्पाद का निर्माण किस पारंपरिक विधि से हुआ है और यह किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में ही उत्पन्न हुआ है। इसी आधार पर वस्तु के पेटेंट तय किए जाते हैं।
यह भी गौरतलब है कि देश में जीआइ टैग पाने वाला पहला उत्पाद दार्जिलिंग चाय थी। इसे 2004-05 में जीआइ टैग प्रदान किया गया था। तिरुपति के मंदिर में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डू को 2009 में ऐसी ही जीआइ टैगिंग प्रदान की गई थी। किसी उत्पाद को उसकी भौगोलिक पहचान से जोड़ने वाली जीआइ टैगिंग का वैश्विक महत्व है। वल्र्ड इटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन इसकी ने परिभाषा और मान्यता तय की है। इसके अनुसार जियोग्राफिकल इंडिकेशेन टैग ही वह प्रतीक है, जो किसी उत्पाद विशेष के बारे में यह जानकारी देता है कि उसका किस क्षेत्र विशेष से संबंध है और उसकी विशेषताएं क्या हैं। साथ ही, वह चीज असल में सबसे पहले कहां पैदा हुई या बनाई गई थी।