मच्छर कान में ही क्यों गुनगुनाते हैं और उनकी यह आवाज बर्दाश्त क्यों नहीं होती?
Om Prakash Patidar
अक्सर लोग इस बात की शिकायत करते नजर आते हैं कि अंधेरे में भी मच्छरों को कैसे पता चल जाता है कि उनका कान किधर है. मजे-मजे में अगर इस बात का जवाब देना हो तो यही कहा जाता है कि मच्छर रोशनी रहते समय ही आपकी निशानदेही कर जाते हैं. लेकिन यह मजाक इस सवाल की गंभीरता को कहीं से भी कम नहीं करता कि मच्छर हमेशा कान के पास आकर ही क्यों भिनभिनाते हैं और उनका यह भिनभिनाना बर्दाश्त क्यों नहीं होता. मच्छर काटते हैं तो कम से कम इस लिहाज से ही हम उन्हें एक सेकंड भी बर्दाश्त करना नहीं चाहते पर मक्खियां (घरों में आमतौर पर नजर आने वालीं) तो ऐसा नहीं करतीं, फिर भी उनके आसपास मंडराने से हमें चिढ़न होने लगती है. चलिए जानते हैं ऐसा क्यों होता है.
इस सवाल का जवाब ढूंढ़ते हुए सबसे पहले जानने लायक बात यह है कि मच्छर-मक्खियों की भिनभिन हमारे कान के पास आने पर ही शुरू नहीं होती. असल में यह उनके पंख फड़फड़ाने की आवाज होती है. मच्छर सहित ऐसे ज्यादातर कीटों के पंख बहुत छोटे होते हैं इसलिए उड़ते हुए वे अपने पंखों को तेजी से खोलते-बंद करते हैं. चूंकि यह आवाज दूर से सुनाई नहीं देती इसलिए हमें लगता है कि मच्छर हमारे कान के पास आकर ही अपना गाना शुरू करते हैं. मच्छरों की भिनभिनाहट के पीछे कुछ वैज्ञानिक यह अनुमान भी लगाते हैं कि ऐसा करने से उन्हें सही साथी (विपरीत लिंग का) की तलाश करने में मदद मिलती है.
मच्छरों की आवाज हमारे अंदर इतनी चिढ़न क्यों पैदा करती है, इसके पीछे कोई एक ठोस कारण नहीं मिलता. फिर भी कुछ प्रयोग बताते हैं कि हर व्यक्ति मच्छरों की आवाज के लिए अलग तरह से संवेदी होता है. जब बहुत सारे मच्छर एक साथ भिनभिनाते हुए मंडराते हैं तो उनकी भिनभिन की फ्रीक्वेंसी इतनी होती है कि इसके वाइब्रेशन्स न सिर्फ कान के परदों पर महसूस होते हैं बल्कि ये मस्तिष्क के सूचना तंत्र पर एक विशेष प्रभाव भी डालते हैं. दरअसल यह भिनभिनाहट स्पर्श की सूचना देने वाली तंत्रिकाओं को भी उत्तेजित करती है. इसीलिए ये आवाजें सुनने के साथ ही व्यक्ति लगभग तिलमिलाते हुए प्रतिक्रिया जताता है.
इसके अलावा कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आवाजों के प्रति खासतौर पर संवेदी होते हैं. इन्हें सामान्य से अलग कोई भी आवाज देर तक याद रह जाती है. ऐसे व्यक्ति आवाज के साथ जुड़े शारीरिक अनुभव भी याद रखते हैं. इन्हें मच्छरों की भिनभिनाहट उनके काटने सा अनुभव देती है. यही वजह है कि मच्छरों की भिनभिनाहट के प्रति इन लोगों का दिमाग अतिसक्रिय रहता है और यह सुनाई पड़ने पर संबंधित व्यक्ति तुरंत प्रतिक्रिया देने लगता है.