मस्तिष्क की मौत (Brain death) कैसे होती है?

मस्तिष्क की मौत क्या होती हैं?

Om Prakash Patidar

कभी आपने सुना होगा कि अमुक नगर नगर में ग्रीन कॉरिडोर बना कर ब्रेन डेड हो चुके इंसान का हृदय को किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर मे ट्रांसप्लांट करने के लिए ले जाया गया।
आपने कभी न कभी ऐसे शख़्स के बारे में ज़रूर सुना होगा जो ब्रेन डेड हो, लेकिन फिर भी उसे मृत नहीं कहा जाता। पहले हमें ये समझने की ज़रूरत है कि ब्रेन डेथ यानी दिमाग की मौत क्या है? लोग अक्सर इसे कोमा की स्थिति जैसा ही समझ लेते हैं। जो कि गलत है। कोमा के बाद कई बार इंसान स्वस्थ हो जाता है लेकिन ब्रेन डेड इंसान मृत ही होता है।
यहां एक हैरान करने वाली बात ये है कि ब्रेन डेड होने के बावजूद ऐसा संभव है कि इंसान का दिल दो से तीन दिन तक धड़कता रहे। 

मस्तिष्क की मौत क्या होती हैं?

मानव मस्तिष्क के दो भाग होते हैं. (1) Cortex और (2) Brain Stem. Cortex दिमाग का बड़ा हिस्सा होता हैं. और Brain Stem दिमाग का छोटा हिस्सा होता हैं. Cortex के कारण हमारे शरीर की आम गतिविधियां होती हैं. जैसे पढ़ना, लिखना ,बातें करना आदि संचालित होती है.  यदि किसी आदमी के Cortex में चोट लग जाती हैं तो आदमी कॉमा में पहुंच जाता हैं.

कॉमा होने के बाद भी वह आदमी अपने शरीर में दर्द महसूस कर सकता हैं. कई बार वह कॉमा में जाने के बाद वापस भी ठीक हो जाता हैं. लेकिन मस्तिष्क की मृत्यु कॉमा से अलग होती हैं. मस्तिष्क की मृत्यु मतलब दिमाग की मौत हो चुकी हैं. 
Cortex और Brain Stem दोनों हमारे शरीर का केंद्रीय Nervous सिस्टम और चेतना का केंद्र होता हैं.. यदि हमारे शरीर में Brain Stem मर जाए तो हमारी सांस बंद हो जाएगी और जब दिल को ऑक्सीजन मिलनी बंद हो जाएगी तो वह भी मर जाएगा और दिल धड़कना बंद कर देगा और ऐसे धीरे-धीरे बाकी सभी अंग ऑक्सीजन की कमी से मर जाएंगे

मस्तिष्क की मौत कैसे होती हैं?

यदि किसी आदमी के सिर पर बहुत ज्यादा गहरी चोट लग जाती हैं. तो उस समय दिमाग में सूजन शुरू हो जाती हैं. क्योंकि हमारा सिर बहुत सख्त हड्डी का बना होता हैं. इसलिए वह दिमाग को फैलने नहीं देता हैं. डॉक्टर चोट लगने के बाद दवा देकर या ऑपरेशन करके उस सूजन को कम करने की कोशिश करते हैं. लेकिन यदि वह इस काम को नहीं कर पाते हैं. और यह काम अगर उनसे नहीं हुआ तो धीरे-धीरे दिमाग पर बहुत ज्यादा दिमाग दबाव बढ़ जाएगा जोकि दिल की धड़कन से भी ज्यादा दबाव होता हैं.. और इस स्थिति में दिल ऑक्सीजन से मिला हुआ खून दिमाग तक पहुंचाने में कामयाब नहीं होता हैं.. यदि दिमाग को जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन नहीं मिलेगी तो Brain Stem मर जाएंगे. वैसे तो Brain Stem एक बार में नहीं मरते हैं. इससे धीरे-धीरे एक प्रक्रिया शुरू होती हैं. जिसके बाद Brain Stem अपने आप गलने शुरू हो जाते हैं. और फिर जब गलने शुरू हो जाते हैं. तो उसके बाद Brain Stem की स्थिति को बदल नहीं जाएगा और यदि एक बार Brain Stem मर जाता हैं. तो आदमी सांस लेना बंद कर देता हैं. और दिल के बाकी सभी भाग ऑक्सीजन ना मिल पाने के कारण मर जाते हैं.. इस तरह से हमारे मस्तिष्क की मौत हो जाती हैं.

Brain Stem की मौत का पता कैसे लगाया जाता हैं?

आज के समय में वैसे तो किसी भी बीमारी का पता लगाना या किसी भी तरह की चोट का पता लगाना नामुमकिन नहीं हैं. आज के समय में अगर आपको किसी भी तरह की चोट हैं. तो आप बहुत ही जल्दी आराम से पता लगा सकते हैं. कि कितनी गहरी चोट हैं. और यह चोट कितनी पुरानी हैं. या किस तरह की चोट हैं. आज के समय में Brain Stem की मौत का पता लगाने के लिए बहुत से अलग-अलग तरीके हैं. जैसे उन न्यूरोलॉजिकल गतिविधियों की जांच करना कि जिनको Brain Stem नियंत्रित करता हैं.. यदि कोई आदमी बेहोश हैं. या वह सांस नहीं ले पा रहा हैं. या वह अपने अंदर किसी चीज को निगल नहीं सकता या वह खांस नहीं सकता या वह रोशनी की और ध्यान नहीं कर रहा हैं.. इन सभी बातों से आप बहुत ही आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं. कि Brain Stem की मौत हो चुकी हैं.
भारत में Transplantation Human Organs ने 1994 में कुछ ऐसे टेस्ट के बारे में बताया हैं. जिनको 4 डॉक्टरों की टीम मिलकर करती हैं. और उसके बाद ही किसी आदमी को Brain Stem की मौत घोषित किया जाता हैं. और यह टेस्ट 6 घंटों के बाद एक बार फिर से किया जाता हैं. और यह दो टेस्ट होते हैं.. और यदि डॉक्टर दोनों टेस्टों में मरीज का ब्रेन मौत घोषित कर देते हैं. तो फिर उसको कोई नहीं बदल सकता हैं.
कई बार आपके आसपास भी ऐसे किसी आदमी को ब्रेन डेट घोषित किया गया होगा या आपने ऐसे किसी मरीज के बारे में सुना भी होगा लेकिन इसके साथ कभी आपने यह भी जरूर सुना होगा कि किसी आदमी को ब्रेन डेट घोषित करने के बाद उसका दिल दो-तीन दिन धड़कता रहता हैं. और ना ही वह आंखें खोल रहा हैं. और ना ही वह किसी चीज पर प्रतिक्रिया दे रहा हैं. तो आप यह जरूर सोचते होंगे कि अगर उसकी मौत हो चुकी हैं. तो वह धड़क किस लिए रहा हैं.. मरीज का ब्रेन डेट घोषित करने पहले आदमी को सांस् लेने में अगर दिक्कत होती हैं. तो उसको वेंटिलेटर के साथ सांस जाती हैं. और उसके बाद Brain Stem अगर मर जाता हैं. और यदि Brain Stem मर चुका होता हैं. और उसके फेफड़े काम ना कर रहे हो . फिर भी दिल धड़कता रहता हैं. क्योंकि उसको वेंटीलेटर से सांसे यानी ऑक्सीजन मिलती रहती हैं.
और यदि Brain Stem की मौत हो चुकी हो और बाकी सारा दिमाग मर चुका हूं एक चीज दिल को धड़कने में मदत देती हैं. वैसे तो दिल दिमाग से अलग होता हैं. क्योंकि यह एक ऑटोमेटिक पंप होता हैं. जब तक दिल को वेंटीलेटर से ऑक्सीजन मिलती रहेगी कुछ समय तक वह दिल धड़कता रहेगा यदि ब्रेन डेथ के बाद मरीज को वेंटीलेटर पर रखा जाता हैं. उसके बाद दिल कुछ घंटों तक धड़कता रहता हैं. कभी-कभी दिल कई हफ्तों तक धड़कता रहता हैं. और एवरेज के हिसाब से दिल दो या तीन दिन तक ही धड़कता हैं. बाद में मर जाता हैं.
जब किसी आदमी का मस्तिष्क पूरी तरह से मर जाता हैं. तो सिर्फ उसका दिल कुछ दिनों तक धड़कता रहता हैं. और फिर उसका दिल भी मर जाता हैं. ऐसे धीरे-धीरे ऑक्सीजन ना मिलकर मिलने के कारण पूरा शरीर मर जाता हैं. और इस बात की पुष्टि भी हो चुकी होती हैं. जब किसी आदमी का मस्तिष्क मरता हैं. तो ऐसा होना संभव नहीं हैं. कि वह आदमी कभी बच सकता हैं. और मस्तिष्क जैसे ही मर जाता हैं. तो बाकी शरीर के किसी भी अंगों को मरने से रोका भी नहीं जा सकता हैं. क्योंकि वह किसी भी तरह से मेरे मरने से बच नहीं सकते हैं. और अगर हम बात करें तो जब किसी भी आदमी का मस्तिष्क मरा हैं. तो वह आज तक जीवित नहीं हो पाया हैं.

ब्रेन डेथ के बाद भी मरीज के शरीर में गर्माहट क्यों होती हैं?

जब किसी मरीज का मस्तिष्क मर जाता हैं. तब भी उसके अंगों दिल को कुछ दिनों तक जीवित रखा जाता हैं. जिससे वह सोता हुआ था नजर आता हैं और किसी भी शरीर के अंग को बाहर रखकर और उसे ऑक्सीजन देकर जीवित रखा जा सकता हैं. लेकिन यदि एक बार किसी आदमी के दिमाग की मौत हो जाती हैं. तो उसका सीधा सा यह मतलब होता हैं. कि इंसान मर चुका हैं लेकिन उसके शरीर के अंग ऑक्सीजन मिलते रहने पर कार्यशील रह सकते है. जब तक ब्रेन डेथ हो चुके व्यक्ति को वेंटिलेटर पर रख कर ऑक्सीजन दी जाती रहे तो उसके शरीर के अंग दो से तीन दिन तक कार्यशील रह सकते  है, और ब्रेन डेड हो चुके व्यक्ति के शरीर मे गर्माहट महसूस की जा सकती है।
ब्रेन डेथ हो चुके व्यक्ति के शरीर के अंगों को दान किया जा सकता है, ताकि दूसरे लोगों की जिंदगी बचाई जा सके. इस तरह से किसी भी ब्रेन डेथ आदमी के अंगों को दूसरे आदमी के लिए काम में लिया जा सकता हैं.

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