कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac arrest) क्या है?

कार्डिएक अरेस्ट और कार्डिएक अटैक क्या है?

Om Prakash Patidar


बॉलिवुड की सुपरस्टार श्रीदेवी को अचानक आई मौत की खबर से हर कोई स्तब्ध था। समाचार आया कि कार्डिएक अरेस्ट होने से शनिवार(24/02/2018) देर रात उनकी मौत हो गई। 

अभी तक हार्ट अटैक (Cardiac attack) तो सुना था,लेकिन ये कार्डिएक अरेस्ट क्या है?


कार्डिएक अरेस्ट अचानक मौत होने की सबसे बड़ी वजहों में से एक है। कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक दोनों अलग समस्याएं हैं। लेकिन हार्ट अटैक के ठीक बाद या रिकवरी के बाद कार्डिएक अरेस्ट हो सकता है। वैसे तो कार्डिएक अरेस्ट होने से पहले कोई लक्षण दिखाई नहीं देते, यह एक मेडिकल इमरजेंसी है और अगर आपके सामने किसी को यह समस्या हो जाए तो उसे तुरंत सीपीआर (CPR) देकर उसके बचने के चांसेज बढ़ा सकते हैं। 

क्या होता है कार्डिएक अरेस्ट?
कार्डिएक अरेस्ट या पूर्णहृदरोध दिल के अंदर वेंट्रीकुलर फाइब्रिलेशन पैदा होने के कारण होता है. कार्डिएक अरेस्ट दिल के दौरे से अलग है, हालांकि ये हार्ट अटैक की वजह हो सकता है. कार्डिएक अरेस्ट में दिल खून पंप करना बंद कर देता है, जिससे अन्य अंगों पर दबाव बढ़ जाता है. उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. पीड़ित व्यक्ति की सांसे रुक जाती है. कुछ ही सेकंड में एक-एक कर अंग फेल होना शुरू हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति की कुछ ही सेकंड या मिनटों में मौत हो जाती है।

कार्डिएक अरेस्ट के इलाज के लिए मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (सीपीआर) दिया जाता है, इससे दिल की धड़कन को बनाए रखने और व्यक्ति को सांस लेने में मदद मिलती है. कार्डिएक अरेस्ट के बाद व्यक्ति की जान बचाने के लिए मरीज को 'डिफाइब्रिलेटर' से बिजली का झटका दिया जाता है. इससे दिल की धड़कन को नियमित होने में मदद मिलती है।

क्या होता है दिल का दौरा?
दिल का दौरा तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों को ऑक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह रुक जाता है. ये दिल की किसी धमनी में क्लॉट या किसी अवरोध के कारण हो सकता है. हार्ट अटैक होने पर दिल के भीतर की कुछ पेशियां काम करना बंद कर देती हैं. अधिकांश दिल के दौरे कोरोनरी हृदय रोग (CHD) की वजह से होते हैं. कोरोनरी धमनियों की दीवारें भीतर के वसायुक्त पदार्थ के एक क्रमिक बिल्ड-अप से संकुचित हो जाती हैं. हार्ट अटैक में दिल की धड़कन बंद नहीं होती, लेकिन कार्डिएक अरेस्ट में दिल धड़कना बंद कर देता है. यही वजह है कि दिल के दौरे में मरीज के बचने की उम्मीद ज्यादा होती है।


कार्डिएक अरेस्ट आने पर क्या करें?

  • यदि किसी व्यक्ति को कार्डिएक अरेस्ट हुआ है तो उसे तुरंत सीपीआर दिया जाए. इसमें दोनों हाथों को सीधा रखते हुए मरीज की छाती पर जोर से बार-बार दबाव दिया जाता है.
  • मुंह के जरिए मरीज को हवा पहुंचाएं. इससे सांस को जारी रखने में मदद मिलती है.
  • मरीज को इलेक्ट्रिक शॉक देकर रिकवर किया जा सकता है. इसके लिए डिफिब्रिलेटर टूल का इस्तेमाल किया जाता है।

  • डिफिब्रिलेटर टूल अस्पतालों में आम तौर पर मौजूद होता है. इस टूल के सहारे व्यक्ति को शॉक दिया जाता है, जिससे दिल पंप करना शुरू कर देता है.
  • दिल के शुरू होते ही खून दोबारा पंप होने लगता है, जिससे मरीज के बचने की उम्मीदें बढ़ जाती हैं।

कार्डिएक  अरेस्ट के लक्षण -अगर किसी ठीकठाक व्यक्ति का बीपी अचानक डाउन हो जाए। शरीर पीला पड़ने लगे और वह लड़खड़ाकर जमीन पर गिर जाए। इसी के साथ उसकी धड़कन अनियमित हो जाए और पल्स बंद हो जाए तो यह कार्डिएक अरेस्ट का लक्षण हो सकता है। कभी-कभी सांस फूलना, उल्टी या चेस्ट पेन जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।

कार्डिएक  अरेस्ट के समय क्या करे?

 आपके सामने किसी व्यक्ति को कार्डिएक अरेस्ट हो जाए तो सीपीआर (Cardio-Pulmonary Resuscitation) देकर उसके सर्वाइवल रेट को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए ये स्टेप्स फॉलो करे... 

- मरीज को आराम से जमीन पर हवा वाली जगह पर लिटा दें। उसकी चिन को थोड़ा सा ऊपर करें सिर को इस तरह से ऊपर कर दें ताकि जीभ अंदर न गिरे। 
अब मरीज की चेस्ट के बीच में जोर-जोर से पुश करें या मुक्का मारें। इस प्रक्रिया का कार्डिएक थंप कहते हैं। इसके बाद सीपीआर शुरू करें। 

ऐसे शुरू करें सीपीआर -
- मरीज के पास बैठकर अपना दायां हाथ मरीज के सीने पर रखें, दूसरा हाथ इसी के ऊपर रखें और उंगलियों को आपस में फंसा लें। 

- हथेलियों से 10 मिनट के लिए सीने के बीच वाले हिस्से को जोर से दबाएं। 

- एक मिनट में 80 से 100 की रफ्तार से दबाएं। 

- इस प्रक्रिया में आपका जोर से और तेज-तेज दबाना जरूरी है। इतना तेज दबाएं कि हर बार सीना करीब डेढ़ इंच नीचे जाए। 

-इसी बीच किसी से डॉक्टर को बुलवा लें लेकिन जब तक डॉक्टर न आ जाएं रुकें नहीं। नब्ज देखने के लिए भी न रुकें। 
अगर बच्चों को सीपीआर देना हो तो इसके साथ-साथ मुंह-से-मुंह मिलाकर सांस भी देना चाहिए, बशर्ते कार्डिएक अरेस्ट की वजह डूबना न हो। बड़ों में मुंह-से-मुंह मिलाकर सांस देने की सलाह नहीं दी जाती। 

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