मील के पत्थर(Mile Stone) अलग-अलग रंगों के क्यो होते है?

रास्ते के ये पत्थर (Mile Stone) कुछ कहते है-
Om Prakash Patidar
बेरछा से शाजापुर जाते समय रास्ते मे मार्ग में लगे माइल स्टोन पर ध्यान चला गया, इनमे से कुछ माइल स्टोन सफेद-हरे, कुछ सफेद-नारंगी जबकि कुछ सफेद-पीले रंग के थे। मन में विचार आया ये माइल स्टोन अलग अलग रंग के क्यो होते है?
लोक निर्माण विभाग में कार्यरत मेरे मित्र से जब मैने पूछा तो उसने बताया कि इनके रंग कुछ संकेतो को दर्शाते हैं।
मित्र से प्राप्त जानकारी बड़ी रोचक है, जिसे में आपके साथ सांझा कर रहा हु।

हम सभी घर के बाहर किसी डेस्टिनेशन के लिए या टूअर पर निकलते हैं, तो हमें रास्ता दिखाने का काम अगर कोई करता है, तो वो होते हैं, सड़क पर लगे साइनबोर्ड और माइलस्टोन। ये मील के पत्थर हमें हमारी मंजिल के पते के साथ ही, ये भी बताते हैं, कि हमारा ठिकाना कितना दूर है। लेकिन आपको आपकी मंजिल तक ले जाने वाले इन पत्थरों के रंगों पर शायद ही आपने कभी गौर किया हो। कोई मील का पत्थर पीले का रंग का होता है, कोई हरा और काला और कुछ लाल। लेकिन ऐसा क्यों? 
दरअसल इन पत्थरों के कलर के पीछे भी सबकी अपनी पहचान है। अब अगर सफर पर आप निकलेंगे तो यकीनन इन रंगों पर गौर करेंगे। करना भी चाहिए, क्योंकि ये पत्थर सिर्फ आपको दूरी ही नहीं दिखाते बल्कि इनके रंग आपको सड़कों की खास पहचान बताते हैं। जीहां ये जानकारी शायद ही आपको हो लेकिन इन मील के पत्थरों पर पुते इस विशेष रंग का अपना मतलब होता है। तो आइए हम आपको बताते हैं, कि इन रंग-बिरंगे मील के पत्थरों के रंग आपको क्या बताते हैं।

नारंगी -सफेद रंग का मील का पत्थर

          

अगर आप ट्रैवल कर रहे हैं और रास्ता भटक जाए। जाना आपको शहर हो लेकिन आप जान नहीं पा रहे हैं, कि आप शहर जा रहे हैं या गांव तो घबराने की बात नहीं है। सड़क पर किनारे लगे पत्थरों पर नज़र दौड़ाइए। मुख्य सड़क के दायीं और  बायी और जाने वाली ग्रामीण सड़को पर इस प्रकार के नारंगी रंग के बोर्ड आपको जरूर नजर आ जाएंगे।
अगर आपको नारंगी रंग का मील का पत्थर नजर आ जाए, तो समझिए कि आप किसी गांव की ओर बढ़ रहे हैं। क्योंकि इस रंग के माइलस्टोन सिर्फ ग्रामीण सड़क पर ही लगे होते हैं। और इसका अर्थ ये हुआ, कि आप प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) से बनी सड़क पर सफर कर रहे हैं, जो आपको किसी गांव तक ले जाएगी।

हरा -सफेद मील का पत्थर

अापने सफर के दौरान सड़क किनारे इस रंग का पत्थर तो ज़रूर देखा होगा। अमूमन आपको इसी कलर के माइलस्टोन देखने को मिलते हैं। क्योंकि ज्यादातर इलाकों में यही लगे होते हैं। दरअसल आपको अगली बार अगर  इस रंक के पत्थर मिले तो आप समझ सकते हैं, कि आप किसी स्टेट हाई-वे से गुजर रहे हैं, जो एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ता है। इस सड़क का निर्माण राज्य सरकार करती है, इसलिए इसके रखरखाव की जिम्मेवारी राज्य सरकार की होती है। इसका निर्माण भी राज्य सरकारें ही करती हैं।

पीला -सफेद मील का पत्थर


सड़क किनारे बना हुआ पीला माइलस्टोन आपको राष्ट्रीय राजमार्ग पर होने का संकेत देता है। यानी जब आप नेशनल हाईवे पर सफर कर रहे हो, तो आपको रास्ते में इसी रंग के पत्थर मिलेंगे। ये केंद्र सरकार की ओर से बनाई सड़कों पर लगे होते हैं और इन सड़कों की निर्माण और रख-रखाव की जिम्मेवारी केंद्र की होती है।

काला -सफेद मील का पत्थर

इस रंग के पत्थर आपको किसी बड़े शहरों में ही देखने मिलते हैं। दिल्ली, गुड़गांव या फिर पुणे, मुंबई जैसे शहरों में दरअसल काले रंग पुते ये मील के पत्थर ये बताते हैं, कि आप किसी बड़े शहर या जिले की तरफ बढ़ रहे हैं। इन रंगों के माइलस्टोन वाली सड़कें शहर के प्रशासन के अंडर होती है। नगरीय निकाय इन सड़कों का निर्माण करता है। कई जगह पूरे सफेद रंग वाले मील के पत्थर भी लगे होते हैं, इनका मतलब भी यही है, कि आप किसी शहर की तरफ जा रहे हैं।

सफेद मील का पत्थर


सफेद रंग का मील का पत्थर अवर्गीकृत (Non-classified) सड़को पर लगे रहते है। यह सड़के लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधीन हो सकती है।इसका निर्माण राज्य शासन द्वारा लोकहित में आवश्यकतानुसार करवाया जाता है।

 हे, ना मज़ेदार, तो अब आप जब भी सड़क किनारे गुजरे तो, आपको सड़कों पर लगे पत्थर ही बता देंगे, कि आप गांव, शहर या फिर नेशनल हाईवे पर है, किसी से पूछने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

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