ब्रेन ट्यूमर (मस्तिष्क कैंसर) क्या है?

मस्तिष्क कैंसर (Brain Tumor) क्या है?
Om Prakash Patidar


  • ब्रेन हमारे शरीर का सबसे महत्व पूर्ण हिस्सा है।
  • इसके साथ थोड़ी सी लापरवाही भी हमारे लिए खतरा बन सकती हैं।
  • ट्यूमर यानी दिमाग में बहुत सारी कोशिकाओं का अनियंत्रि‍त होना।
  • आइए जानें ब्रेन कैंसर की शुरूआत कैसे होती है।

स्वस्थ्य शरीर मे स्वस्थ्य मस्तिष्क का होना जरुरी होता है जो पूरे शरीर से जुड़े अहम निर्णय लेता है और मेमोरी को भी बनाये रखता है लेकिन जब ब्रेन ही ठीक से काम करना बंद कर दे और गंभीर रूप से बीमार हो जाये तो स्वस्थ शरीर की कल्पना करना भी मुश्किल हो जाता है। ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क की ऐसी बीमारी है जो मस्तिष्क से शुरू होकर शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करने लगती है। ये ट्यूमर मस्तिष्क से जुड़े किसी भी भाग में विकसित हो सकता है और मस्तिष्क पर दबाव डालकर ऊतकों को नष्ट कर सकता है।

ब्रेन ट्यूमर क्या है?
इस बीमारी में ब्रेन के टिश्यूज (ऊतकों) में घातक कैंसर सेल्स विकसित होने लगती हैं। ये ब्रेन में ऊतकों के समूह या ट्यूमर के रूप में बढ़ती जाती है और ब्रेन की कार्यप्रणाली को बाधित करने लगती है जिससे ब्रेन द्वारा मांसपेशियों पर नियंत्रण रखना मुश्किल होने लगता है और याद्दाश्त भी कम होने लगती है। ऐसी कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं और समय बढ़ने के साथ पेचीदा होती चली जाती हैं।

ब्रेन ट्यूमर के क्या लक्षण होते हैं?


असामान्य स्वाद और गंध होना, 
मांसपेशियों में ऐंठन होना और 
पूरे शरीर में या आंशिक रूप से दौरे पड़ना।
बोलने, सुनने, देखने और समझने में समस्या होना।
शारीरिक कमजोरी और सुन्नता अनुभव होना।
कभी-कभी उल्टी और मतली के साथ सिर में दर्द होना, जो सुबह के समय बहुत ज़्यादा होता है।
इनके अलावा ब्रेन की कार्यगति में कमी आना, बहरापन होना, थकान, उनींदापन, डिप्रेशन और सोचने-समझने की क्षमता में परिवर्तन होना भी ब्रेन ट्यूमर के लक्षण हो सकते हैं।

ब्रेन ट्यूमर होने के कारण क्या हैं? 
ब्रेन ट्यूमर होने के कारणों की स्पष्ट जानकारी तो नहीं है लेकिन ऐसे फैक्टर्स के बारे में जरूर जाना जा सकता है जो इस ट्यूमर के बनने और विकसित होने में सहायक की भूमिका निभाते हैं-

लम्बे समय से किसी रेडिएशन या केमिकल के संपर्क में बने रहना। रेडियोथेरेपी, सिर का एक्स-रे और सीटी स्कैन करवाने वाले लोगों में ये ख़तरा बढ़ जाता है।बचपन में कैंसर से ग्रस्त रहे बच्चों में ब्रेन ट्यूमर होने की आशंका बनी रहती है और युवाओं में ल्यूकेमिया होने की स्थिति में भी इस कैंसर का ख़तरा मंडराता रहता है।आनुवंशिकता भी इस रोग को प्रभावित करती है यानि अगर किसी व्यक्ति के माता-पिता या भाई-बहन में से किसी को ब्रेन ट्यूमर हुआ हो तो उस व्यक्ति में भी इस रोग के होने का जोखिम काफी बढ़ जाता है।ब्रेन कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है और उम्र बढ़ने के साथ इसका जोखिम भी बढ़ता जाता है।

ब्रेन ट्यूमर को रोका कैसे जाए?

ब्रेन ट्यूमर को रोकने का कोई तरीका फिलहाल मौजूद नहीं है। इस ट्यूमर का जल्दी निदान और उपचार करके ही ट्यूमर बढ़ने के ख़तरे को रोका जा सकता है। अपनी लाइफस्टाइल में इस तरह का सुधार किया जाए जिससे रेडिएशन से दूरी बनायी रखी जा सके।


ब्रेन कैंसर को रोकने के उपाय 

  • नींद पूरी लें।
  • तनाव से दूर रहें।
  • नशा, एल्कोहल इत्यादि ड्रग्स ना लें।
  • नियमित रूप से व्या्याम करें।
  • पौष्टिक और संतुलित आहार लें।
  • जंकफूड से दूर रहें।
  • पानी अधिक मात्रा में लें।
  • अधिक से अधिक सक्रिय रहें।

ब्रेन ट्यूमर की जाँच कैसे होती है?

ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों का अंदेशा होने पर डॉक्टर द्वारा न्यूरोलॉजिक टेस्ट, एमआरआई, सीटी- स्कैन, एंजियोग्राम और बायोप्सी जैसे कुछ टेस्ट किये जाते हैं।
MRI और CT स्केन के बारे में जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें-



ब्रेन ट्यूमर का इलाज कैसे होता है?

सर्जरी – 
अगर मस्तिष्क में ट्यूमर ऐसी जगह पर है जिसे ऑपरेशन के जरिये निकाला जा सकता है तो सर्जरी से उस ट्यूमर को निकाल दिया जाता है।

रेडिएशन थेरेपी – 
इस थेरेपी में ट्यूमर वाली सेल्स को नष्ट करने के लिए एक्स-रे या प्रोटोन्स जैसी उच्च ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है।

कीमोथेरेपी – 
इस थेरेपी में दवाओं के जरिये ट्यूमर सेल्स को नष्ट किया जाता है। ये दवा टेबलेट के रूप में और नसों में इंजेक्शन के रूप में दी जाती हैं।

टारगेटेड ड्रग थेरेपी – 
ब्रेन कैंसर के दौरान उत्पन्न हुयी असामान्यताओं को रोकने के लिए ये थेरेपी काम में ली जाती है।

एक टिप्पणी भेजें

If you have any idea or doubts related to science and society please share with us. Thanks for comments and viewing our blogs.

और नया पुराने