प्रमुख क्रांतियां
Om Prakash Patidar
हरित क्रांति -- खाद्यान्न उत्पादन-
हरित क्रांति 1 9 20 और 1 9 30 के दशक में कृषि में होने वाली प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास एक सेट को परिभाषित करती है, जो दुनिया भर में कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है रासायनिक उर्वरकों और कृषि-रसायनों के साथ-साथ अनाज के नए किस्मों विशेष रूप से बौना वेट्स और राइस, और सिंचाई नियंत्रित व जल आपूर्ति और मशीनीकरण सहित खेती के नए तरीके शामिल हैं। हरित क्रांति के पिता नॉर्मन बोरलॉग हैं, जिन्होंने 1 9 70 में नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त किया था सिंचाई के बुनियादी ढांचे, अनाज के उच्च उपज देने वाली किस्मों के विकास, कृत्रिम उर्वरक और किसानों को कीटनाशक प्रबंधन तकनीकों का आधुनिकीकरण, संकरित बीज का वितरण का और एक अरब लोगों की बचत करने का श्रेय नॉर्मन बोरलॉग को जाता है इन नई खेती तकनीक और कृषि प्रौद्योगिकी को दुनिया भर के किसानों द्वारा उपयोग की गई थी।
श्वेत क्रांति -- दुग्ध उत्पादन-
ऑपरेशन फल्ड या श्वेत क्रान्तिविश्व के सबसे विशालतम विकास कार्यक्रम के रूप मे प्रसिद्ध है। सन् 1970 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा शुरु की गई योजना ने भारत को विश्व मे दुध का सबासे बढा उत्पादक बना दिया। इस योजना की सफलता के तहत इसे 'श्वेत क्रन्ति' का पर्यायवाची दिया गया। सन् 1949 मे डॉ कुरियन ने स्वेछापूर्वक अपनी सरकारी को त्याग कर कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (के डी सी एम पी ऊ एल), जोकि अमूल के नाम से प्रसिद्ध है, से जुड़ गए। तब ही से डॉ कुरियन ने इस सन्स्थान को देश का सबसे सफल संगठन बनाने मे सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया है। अमूल की सफलता को देख कर उस समय के प्राधानमंत्री ने राष्ट्रीय डेयऱी विकास बोर्ड का निर्माण किया और उसके प्रतिरुप को देश भर मे परिपालित किया। उन्होने डॉ कुरियन की उल्लेखनीय एवं ऊर्जस्वी नेतृत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्है बोर्ड के अध्यक्ष के रूप मे चुना। उस समय सबसे बड़ी समस्या धन एकत्रित करने की थी। इसके लिये डॉ कुरियन ने वर्ल्ड बैंक को राज़ी करने की कोशिश की और बिना किसी शर्त के उधार पाना चाहा। जब वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष 1969 मे भारत दर्शन पर आए थे। डॉ कुरियन ने कहा था-"आप मुझे धन दीजिए और फिर उसके बारे मे भूल जाये।" कुछ दिन बाद, वर्ल्ड बैंक ने उनके ऋर्ण को स्वीकृति दे दी। यह मदद किसी ऑपरेशन क हिस्सा था- ऑपरेशन फलड। डॉ कुरियन ने और भी कई कदम लिये जैसे दुध पाउडर बनाना, कई और प्रकार के डेयरी उत्पादों को निकालना, मवेशी के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना और टीके निकामना इत्यादि। ऑपरेशन फल्ड तीन चरणों मे पूरा किया गया। इस तीन टीयर मॉडल ने देश मे दुग्ध क्रांति लाने मे अहम भूमिका निभाई है।
नीली क्रांति -- मत्स्य उत्पादन-
भारत में मत्य्य उत्पादन में बृद्धि के लिए चलाई गई एक विशेष योजना को ‘नीली क्रांति’ का नाम दिया गया है| आर्थिक समीक्षा 2014-15 के अनुसार वर्ष 2013-14 में 95.8 लाख टन मछली का उत्पादन कर आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक राष्ट्र बन गया है |
भूरी क्रांति -- उर्वरक उत्पादन-
उर्वरक उत्पादन और गैर-परंपरागत ईंधन के उत्पादन के क्षेत्र में हुई प्रगति को भूरी क्रांति के रूप में जाना जाता है |

रजत क्रांति -- अंडा उत्पादन-
भारत में अंडा उत्पादन और मुर्गियों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए रजत क्रांति की शुरुआत की गयी। भारत की मुर्गी एक वर्ष में 65 अंडे देती है जबकि अमेरिका में 295 अंडे | भारत में आंध्र प्रदेश सबसे बड़ा उत्पादक है |

पीली क्रांति -- तिलहन उत्पादन-
पीली क्रांति तिलहन उत्पादन से सम्बन्धित हैं। इसके उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से यह योजना प्रारम्भ की गई। तिलहन उतपासन कार्यक्रम में 23 राज्यों के 337 जिले शामिल हैं। इस क्रांति के परिणामस्वरुप भारत के खाद्य तेलों और तिलहन उत्पादन में महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की हैं।
क्रांतियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी-
- हरित क्रांति: हरित क्रांति का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र में उत्पादन तकनीक के सुधार एवं कृषि उत्पादकता में वृद्धि करने से है। इस क्रांति का श्रेय मैक्सिको के डा. नॉर्मन बोरलॉग और भारत के डा.एम.एस. स्वामीनाथन को जाता है।
- पीली क्रांति: खाद्य तेलों और तिलहन फसलों के उत्पादन के क्षेत्र में अनुसन्धान और विकास।
- श्वेत क्रांति: दूध के क्षेत्र में क्रांति उत्पन्न करके उत्पादकता बढ़ाने के कार्यक्रमों को ही श्वेत क्रांति का नाम दिया गया। श्वेत क्रांति की गति को और तेज करने के उद्देश्य से ‘ऑपरेशन फ्लड’ नमक योजना आरम्भ की गयी। इस क्रांति का श्रेय भारत के डा. वर्गीस कुरियन को जाता है।
- नीली क्रांति: मछली उत्पादन के क्षेत्र में हुई प्रगति को नीली क्रांति के रूप में जाना जाता है।
- गुलाबी क्रांति: गुलाबी क्रांति झींगा मछली के उत्पादन से सबंधित है।
- रजत क्रांति: रजत क्रांति का सबंध अंडे उत्पादन से है।
- भूरी क्रांति: उर्वरक उत्पादन और गैर-परंपरागत ईंधन के उत्पादन के क्षेत्र में हुई प्रगति को भूरी क्रांति के रूप में जाना जाता है |
- सुनहरी क्रांति: बागवानी व शहद उत्पादन से संबंध रखती है।
- बादामी क्रांति: बादामी क्रांति का सबंध मसाले उत्पादन से है।
- लाल क्रांति: लाल क्रांति का सबंध मांस और टमाटर के उत्पादन से है।
- इन्द्रधनुष क्रांति: इन्द्रधनुष क्रांति का सम्बन्ध सभी क्षेत्रों के उत्पादन में वृद्धि करने से है।
- अमृत क्रांति: अमृत क्रांति का सम्बन्ध नदी जोड़ो परियोजना से है। सभी क्रांतियोँ पर निगरानी रखने हेतु क्रांति है।
- कृष्ण क्रांति: पेट्रोलियम उत्पादन को बढ़ावा देने से सम्बंधित है।
- गोल क्रांति: गोल क्रांति आलू उत्पादन को बढ़ावा देने से सम्बंधित है।
- सदाबहार क्रांति: कृषि के समग्र विकास से सम्बंधित है।
- सिल्वर फाइबर क्रांति: सिल्वर फाइबर क्रांति का सम्बन्ध कपास उत्पादन को बढ़ावा देने से है।
- गोल्डन फाइबर क्रांति: गोल्डन फाइबर क्रांति जूट उत्पादन को बढ़ावा देने से सम्बंधित है।
- ब्राउन क्रांति: ब्राउन क्रांति चमड़ा/गैर पारंपरिक (भारत)/कोको उत्पादन को बढ़ावा देने से सम्बंधित है।
भारत मे इन क्रांतियों के बारे महत्वपूर्ण तथ्य-
- भारत में हरित क्रांति की शुरुआत 1966-67 ई0 मेंहुई थी, तथा भारत में इसके अग्रदूत एम0 एस0 स्वामीनाथन को माना जाता है, तथा विश्व में इसका जनक नार्मन ई0 बोरलॉग को माना जाता है।
- हरित क्रांति का सबसे अधिक प्रभाव चावल और गेहूं फसल पर पड़ा । परन्तु चावल की तुलना में गेंहू के उत्पादन में अधिक वृद्धि हुई ।
- केसर का एकमात्र उत्पादक राज्य जम्मू-कश्मीर है।
- भारत मेंदुग्ध उत्पादन में श्वेत क्रांति लाने का श्रेय डॉ. वर्गीज कुरियन जाता है।
- भारत में नीली क्रांति जनक अरुण कृष्णन हैं।
- भारत में गुलाबी क्रांति का जनक दुर्गेश पटेल हैं।
- भारत में स्वर्णिम क्रांति का जनक निर्पख तुतेज हैं।
- भारत में लाल क्रांति का जनक विशाल तिवारी हैं।
- भारत में सिल्वर क्रांति का जनक इंदिरा गाँधी हैं।
- दुग्ध उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है।
- भारत में सर्वोत्तम चाय दार्जिलिंग पैदा की जाती है।
- स्वच्छ जलीय मछली का उत्पादन करने वाला राज्य पं. बंगाल है।
- भारत का उर्वरक उत्पादन में विश्व में तीसरा स्थान है।
- फल उत्पादन में भारत का द्वितीय स्थान है।
- सब्जी उत्पादन में भारत का द्वितीय स्थान है।
- पंजाब राज्य को ‘भारत का धान्य भंडार’ कहा जाता है।