फलो को कैसे पकाते है?
ओम प्रकाश पाटीदार
An apple in a day
Keep doctors away
फलो को खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। डॉक्टर द्वारा मौसमी फलों को खाने की सलाह दी जाती है। कुछ प्रजातियों को छोड़कर सामान्यतः अधिकतर फल वर्ष में एक बार ही पैदा होते हैं। लेकिन आजकल कुछ ऐसे फल भी पैदा किये जा रहे हैं जो कि हर समय पैदा हो सकते हैं। इनमें से केला, अंगूर तो सालभर मिलने लगे है। वेसे तो फल अपने समय पर ही पकते हैं लेकिन व्यापार की दृष्टि से उनको समय से पहले ही कृत्रिम तरीके से पकाया जाता है। फलों के पकने से उनमें खाने का स्वाद, मिठास तथा मुलायमियत बढ़ जाती है जिससे स्वाद तथा पोषक गुणवत्ता बढ़ जाती है।
प्राकृतिक रूप से फल कैसे पकते है?
प्रकृतिक रूप से फलों को पकाने में एथिलीन यौगिक का योगदान होता है एथिलीन फलो में उपस्थित स्टार्च को शर्करा में बदल देती है। पेक्टिनेज, पेक्टिन जो कि फल को कड़ा बनाता है, का जल अपघटन कर देती है। अन्य एन्जाइम फल के हरे भाग क्लोरोफिल को नीले, पीले या लाल वर्ण में बदल देते हैं। पकने की प्रक्रिया स्टार्च को शर्करा में बदला जाता है जिससे फल में वांछित सुगन्ध, स्वाद, रंग तथा बाहरी रूप बदल देती हैं। एथिलीन पौधों में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है जो कि पौधों में शारीरिक परिवर्तन भी करती है तथा जब इसकी मात्रा 0.1 से 1.0 पीपीएम हो जाती है तो यह फलों के पकने की क्रिया को प्रोत्साहित करता है.
एथिलीन क्या है?
एथिलीन(Ethylene) (IUPAC नाम: एथीन/ethene) है। यह एक हाइड्रोकार्बन है जिसका अणुसूत्र C2H4 or H2C=CH2 जिसकी गंध हल्की मीठी कस्तूरी होती है। एथिलीन एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक पादप हार्मोन भी है जिसका उपयोग फलों को जल्दी पकाने में किया जाता है।
कृतिम रूप से फलो का पकना क्या नुकसान दायक है?
संश्लेषित रसायनों का प्रयोग फलों को कृत्रिम ढंग से पकाने में किया जाता है जिससे फल ताजे लगते हैं तथा असामयिक पक जाते हैं। प्राकृतिक रूप से पके फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं लेकिन कृत्रिम रूप से पकाये फल विषालु तथा स्वास्थ्य हेतु हानिकारक होते हैं। अधिक समय तक एथिलीन का प्रयोग फलों को पकाने में होता रहा है लेकिन आजकल, एथेन, कैल्शियम कार्बाइड तथा एथीफोन का प्रयोग हो रहा है जो कि पकाने की क्रिया को तेज कर देता है लेकिन स्वास्थ्य हेतु हानिकारक होता है।
कुछ पदार्थ जैसे कैल्शियम कार्बाइड, ईथर तथा ऑक्सीटॉक्सिन का प्रयोग फलों तथा सब्जियों को पकाने तथा उनका आकार बढ़ाने हेतु किया जाता है। कैल्शियम कार्बाइड के अतिरिक्त कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, कैल्शियम क्लोराइड, कैल्शियम सल्फेट आदि का प्रयोग फलों के पकाने की क्रिया को धीमा करने के लिये किया जाता है। कैल्शियम कार्बाइड का प्रयोग विश्वव्यापी स्तर पर कम किया जा रहा है क्योंकि इससे स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। कैल्शियम कार्बाइड में अल्प मात्रा में आर्सेनिक तथा फास्फोरस होता है जो कि पानी में घुलने पर एसीटिलीन गैस पैदा करता है। एसिटिलीन, एथिलीन की तरह काम करती है तथा पकने की क्रिया को बढ़ा देती है। आर्सेनिक, फास्फोरस तथा एसिटलीन शरीर के कई भागों को प्रभावित कर सकते हैं तथा हानि पहुँचा सकते हैं।