सर्दियों में ठंड बचने के लिए हम ब्लोअर, हीटर या कोयले की सिगड़ी का इस्तेमाल करते है, लेकिन क्या आप जानते है कि सर्दियों में बंद कमरे में सोना जानलेवा हो सकता है?
जी हाँ यदि आप सर्दियों में साबधानी नहीं रखते है तो एक छोटी सी गलती से आपकी जान पे बन सकती है अक्सर आपने सुना होगा को कुछ लोग सिगड़ी या कोयला जलाके रात में बंद कमरे में सो जाते है और सुबह उनकी नींद नहीं खुलती उनकी दम घुटने से नींद में ही मौत हो जाती हैं।
ऐसा क्यों होता है?
हीटर, ब्लोअर या अंगीठी जलाते समय कमरे को पूरी तरह से बंद कर देने पर धीरे कमरे का ऑक्सीजन खत्म हो जाता है और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) ज्यादा होने लगता है। यह जहरीली गैस सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच कर खून में मिल जाती है। इस वजह से खून में हीमोग्लोबिन का लेवल घट जाता है और बेहोशी छाने लगती है और इंसान की मौत हो जाती है।
क्या करे?
कार्बन मोनोऑक्साइड का हमारे शरीर पर प्रभाव –
कार्बन मोनोऑक्साइड एक ज़हरीली गैस है। ऐसी किसी जगह पर जहां कोयला या लकड़ी जल रही हो और हवा की निकासी का कोई माध्यम न हो तो सांस लेने के दौरान हम कार्बन मोनोऑक्साइड और ऑक्सीजन दोनों अंदर लेते हैं।
कार्बन मोनोऑक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन में बदल जाता है।
दरअसल, खून में मौजूद आरबीसी, ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड से पहले जुड़ती है। अगर आप किसी ऐसी जगह पर हैं जहां ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड बहुत अधिक है तो धीरे-धीरे खून में ऑक्सीजन की जगह कार्बन मोनोऑक्साइड आ जाती है।
इससे शरीर के कई अहम अंगों को ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है। इससे हाईपोक्सिया की स्थिति बन जाती है जिससे ऊतक (टिशू) नष्ट होने लगते हैं और मौत की आशंका बढ़ जाती है।
क्या होते हैं शुरुआती लक्षण – What are the initial symptoms
यह जानना बहुत ज़रूरी है कि आप जिस माहौल में सांस ले रहे हैं वहां की हवा कहीं ज़हरीली तो नहीं।
अगर आप किसी ऐसी जगह हैं जहां कार्बन मोनोऑक्साइड का प्रतिशत अधिक है तो सिर दर्द, चक्कर आना, उल्टी महसूस होना जैसे लक्षण नज़र आएंगे। सर्दियों में बंद कमरे में सोना जानलेवा हो सकता है|
इसके अलावा सांस लेने में तक़लीफ आंखों में जलन की भी शिकायत हो सकती है।
त्वचा विशेषज्ञ के अनुसार, बहुत देर तक ब्लोअर, हीटर या फिर आग के सामने बैठने से ड्राईनेस की प्रॉब्लम हो सकती है, ख़ासतौर पर बुजुर्गों को|
इसके अलावा डैंड्रफ़ की परेशानी भी हो सकती है या बढ़ सकती है. बहुत देर तक इन उपकरणों के संपर्क में रहने से त्वचा की कुदरती नमी प्रभावित होती है|
क्या हैं बचाव के उपाय – What are the measures to prevent
अगर आप ब्लोअर या हीटर का प्रयोग करते हैं तो इसे थोड़े समय के लिए ही करें अगर आप इनमें से किसी भी साधन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो वेंटिलेशन का ख़ास ख्याल रखें।
बंद कमरे में कोयला या लकड़ी जलाने से परहेज़ करें।
अलाव जलाकर उसके पास न सोएं|
साथ में पानी से भरी बाल्टी जरूर रखें|
आग जलाएं तो जमीन पर सोने से बचें|
घर में अगर कोई बच्चा हो, तो आग न जलाएं तो ज्यादा बेहतर है|
यदि रात में हीटर, ब्लोअर या अंगीठी का इस्तेमाल करते हैं, तो इनके करीब प्लास्टिक, कपड़े, केमिकल्स न हो|
अगर आप हीटर या फिर ब्लोअर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो भी सावधानी रखें। बहुत अधिक इस्तेमाल ख़तरनाक हो सकता है।
सर्दियों में बंद कमरे में सोना जानलेवा हो सकता है|