अवशेषी अंग क्या है?

What is vestigial organs?
Om Prakash Patidar

जो अंग हमारे लिए किसी काम के नही है, अवशेषी अंग कहलाते है।  यह पहले हजारो साल पहले उपयोग में आते थे , अब इनकी उपयोगिता हमारे लिए अब समाप्त हो चुकी हैं|
मनुष्य के शरीर मे ऐसे लगभग 100 अंग है, जो कालांतर में उपयोगी थे, लेकिन अब अवशेषी अंग हो गए है। इनमें प्रमुख अंग निम्नलिखित है-

1. अपेंडिक्स-
यह हमारी बड़ी आंत का बड़ा हुआ हिस्सा होता है, हमारे पूर्वज घास फूंस खाया करते होंगे। घास फूंस के पाचन में सहायता करता था। कभी कभी यह बहुत तेज पेट दर्द का कारण बन जाता है, इसे में इसे आपरेशन द्वारा निकाल दिया जाता है।

2. साइनस-
यह नाक में पाई जसने वाली हड्डी है जो बेकार है, कुछ काम का नहीं है, सिवाय सिर में दर्द करने के। सायनस बड़ जाने से कभी कभी नाक बहने की समस्या जरूर हो जाती हैं।

3. अक्कल दाढ़-
इसका अक्ल से कोई संबंध है। सामान्यतः यह अधिक उम्र में निकलती है इसलिए इसे अक्ल की दाढ़ कहते है। यह किसी काम की तो नही है, उल्टा इसके निकलते समय दर्द बहुत होता है।

4. पूंछ की हड्डी-
हमारे पूर्वज जब पेड़ो पर रहते थे जब उनकी पंच हुआ करती थी, अब हमारी पूंछ तो नही , उसकी हड्डी जरूर है, शायद पुरातन काल की यादें अभी भी अवचेतन मन में अवशेष हैं।

5. कान की मांसपेशी-
जंगल मे रहने वाले प्राणियों को चारों तरफ से खतरे की आहट को सुनने के लिए हमारे कान गतिशील हुआ करते होंगे, अब तो हमसे दूसरे प्राणियों को खतरा है, इसिलए सिर्फ अक्रियाशील पेशीया शेष रह गयी।

6. शरीर पर बाल-
पहले मौसम की मार से बचाते होंगे, लेकिन अब किसी काम के नही है।

7. रोंगटे खड़े करने वाली अररेक्टर पिली-
पहले काम में आती रही होंगी – जैसे सीही अपने रोंगटे खड़े करके शत्रु को डरा देती है। जब से मानव ने दूसरों को डराना चालू किया तो उसमें यह अवशेषी अंग होकर रह गई।

8. नरो में निप्पल्स ( स्तन उभार)-
बच्चों को दूध पिलाने का काम मादा (मा) करती है। पिता के निप्पल्स तो अवशेषी अंग है।

9. पामर ग्रास्प रिफ्लेक्स-
यह तब काम में आता था जब माता अपने बच्चे को अपने बदन से चिपका कर चलती रही होगी। कभी नवजात बच्चे की हथेली पर अपनी अंगुली रखकर देखना। मजबूती से पकड़ लेगा आपको। इतनी मजबूती से कि अगर आप उसे एक अंगुली के सहारे उठाना चाहो तो उठा लोगे। किसी बच्चे को  अपनी छाती से लगाकर उसके पैरों पर गौर करना। आपको जकड लेंगे। यह व्यवस्था लगभग छह माह तक कायम रहती है। यही पामर ग्रास्प रिफ्लेक्स है।

10.  निकटिटेटिंग मेम्ब्रेन-
उस समय काम में आती थी जब मानव के पूर्वज जलचर थे। बाद में थलचर होते ही इसका काम खत्म होकर यह अवशेषी 
हो गयी । जब हमारे पूर्वज पानी में रहते थे तो एक पारदर्शक झिल्ली उनकी पुतली पर चढ़ जाती थी, जिसकी वजह से वो पानी के अंदर साफ़ साफ़ देख भी पाते थे, और आँख भी बच जाती थी। इसी को निकटिटेटिंग मेम्ब्रेन कहते हैं।

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