What is Cataract?
Om Prakash Patidar
मोतियाबिंद आँखों की एक समस्या जिसमें धीरे-धीरे आँखों की रोशनी में धुंधलापन आने लगता है तथा बाद में दिखाई देना कम हो जाता है। आम भाषा में कहा जाए तो आँखों के लेंस के ऊपर एक तरह की परत का जम जाने से यह अपारदर्शी हो जाता है, सक कारण आँखों की रोशनी धीरे-धीरे कम हो जाती है।
कारण-
मोतियाबिंद होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते है-
1.बढ़ती उम्र के कारण लेंस का अपारदर्शी होना।
2.डायबिटीज की समस्या।
3.आंखों पर देर तक सूरज की रोशनी पड़ना।
4.आंख में किसी तरह की चोट या सूजन होना।
5.धूम्रपान करना।
6 अल्ट्रावायलेट रेडिएशन।
7.अनुवांशिक कारण।
लक्षण-
1. आँखों से धुंधला या स्पष्ट न दिखाई देना- यदि किसी को मोतियाबिंद की शिकायत हो, तो उसे आँखों से साफ़ नही दिखाई देगा या ज्यादा नंबर का चश्मा लगाने के बाद भी धुंधला दिखाई देगा।
2. शाम होने के बाद देखाई देने में मुश्किल होना।
3. दो दिखाई देना- कोई भी वस्तु, रोगी को दो दिखाई देती है।
4. रोशनी के प्रति संवेदनशीलता- यदि किस भी प्रकार की रोशनी, लाइट, चमक आंखों पर पड़ने के कारण आँखों में पीड़ा महसूस होना।
5. रंगों को पहचाने में उलझन- मोतियाबिंद के रोग का एक अन्य लक्षण है भी कि रंगों को पहचाने में दिक्कत का सामना करना।
मोतियाबिंद के प्रकार-
1. सेकेंडरी मोतियाबिंद (Secondary cataract)– इस मोतियाबिंद में ग्लूकोमा (glaucoma) के लिए हुई सर्जरी के बाद होने की संभावना होती है।
2. ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद (Traumatic cataract)- आँख में लगी किसी चोट के कारण होने वाले मोतियाबिंद को ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद कहा जाता है। चोट के कई साल गुजरने के बाद भी मोतियाबिंद हो सकता है।
3.कन्जेनिटल मोतियाबिंद (Congenital cataract)- यह जन्मजात या बचपन से होने वाला मोतियाबिंद होता है। यह मोतियाबिंद काफी अधिक छोटा होने के कारण आंख की दृष्टि को प्रभावित नहीं करता। लेकिन बढ़ती उम्र के साथ आंख के लेंस बदलने पड़ सकते हैं।
4.रेडिएशन मोतियाबिंद (Radiation cataract)– कुछ मोतियाबिंद का कारण रेडिएशन के संपर्क में आने से होता है।
मोतियाबिंद से बचाव -
1. समय पर आँखों की जाँच।
2.खान-पान का ध्यान- अपने आहार का पूर्ण ध्यान रखें, इसलिए अपने भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन अधिक करें। साथ ही विटामिन ए और विटामिन सी युक्त फलों का भी सेवन शुरू कर दें।
3.चश्मा- यदि आपको नंबर का चश्मा लगा हुआ तो डॉक्टर की सलाह अनुसार उसे पहने और प्रति वर्ष आँखों की जाँच करवाएं। अगर आप धुप के संपर्क में अधिक रहते हैं तो धुप वाले चश्मे का इस्तेमाल करना चाहिए।
4. रोग- अगर आपको मधुमेह,रक्तचाप आदि जैसी समस्या है तो नियमित रूप से डॉक्टर से जाँच करवाते रहें।
5. व्यसन - किसी भी तरह का नशा शरीर को नुक्सान पहुंचाता है इसलिए जल्द से जल्द नशे का सेवन बंद कर दें।
उपचार-
मोतियाबिंद का इलाज मरीज की दृष्टि पर निर्भर करता है क्योंकि किसी-किसी केस में चश्मे के नंबर लेंस को बदल कर भी इलाज संभव है। यदि मोतियाबिंद का स्तर बढ़ जाए तो सर्जरी की जाती है। मोतियाबिंद सर्जरी में आँखों के लेंस को हटाकर एक आर्टिफिशियल लेंस लगया जाता है।
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