What is Ventilator?
Om Prakash Patidar
वेंटीलेटर एक विशेष प्रकार का उपकरण है, जो किसी व्यक्ति के सांस लेने के दौरान कृतिम सांस (Artificial Respiration) उपलब्ध करवाता है। जब किसी खराबी या बीमारी के कारण मरीज के फेफड़े (Lungs) काम नही करते तब उस मरीज को वेंटिलेटर पर रख कर कृत्रिम सांस दी जाती है। मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने पर यह अंतिम उपाय होता है। मरीज को जब तक वेंटिलेटर पर रखते है जब तक वह सामान्य रूप से सांस लेने न लग जाये।
वेंटिलेटर मशीन निम्नलिखित कार्य करती है -
1. फेफड़ों में ऑक्सीजन भेजना।
2. शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड निकालना।
3. कृतिम सांस उपलब्ध करवाना।
4. सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया की स्थिति में सांस दिलवाना।
वेंटिलेटर के प्रकार -
वेंटिलेटर दो प्रकार के होते है -
1- मकैनिकल वेंटिलेटर - इस वेंटिलेटर में इसके ट्यूब को मरीज की सांस की नली में जोड़ दिया जाता है जो उसके फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाती है । यह मरीज के शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड को बाहर फेकता है और ऑक्सीजन अंदर पहुंचाता है ।
2- बाहर से दिया जाने वाला वेंटिलेशन - इस वेंटिलेटर को मास्क के रूप में मरीज के मुंह और नाक को कवर करते हुए लगाया जाता है ।जिससे मरीज का सांस लेना आसान बनाया जाता है।
वेंटिलेटर कैसे काम करता है?
वेंटिलेटर मशीन एक ट्यूब के माध्यम से रोगी से जुड़ा होता है। यह ट्यूब रोगी के मुंह या नाक या गले में श्वास नली में रखी जाती है। वेंटीलेटर लगते समय इस ट्यूब को रोगी के नाक या मुंह के माध्यम से ही विंडपाइप या श्वास नली में डाल दिया जाता है। उसके बाद रोगी के गले में आगे खिसकाई जाती है।
विशेष अवस्यकता होने पर इस ट्यूब को सर्जरी द्वारा गले में छेद करके प्रवेश करवाया जाता है जिसे ट्रेकियोस्टोमी कहा जाता है। इसके पश्चात रोगी को आवस्यकता अनुसार कृतिम सांस उपलब्ध करवाई जाती है।
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