आइये चुने हमारी राष्ट्रीय तितली Butterfly of India -Citizen Poll

Let's vote for India’s national butterfly


हमारे आसपास के बाग बगीचे में अनेक प्रकार की रंग बिरंगी तितलिया पाई जाती है. इन इन तितलियों की सुंदर हर किसी को आकर्षित कर लेती है. लेकिन हम में से अधिकांश तितलियों की प्रजातियों की पहचान नहीं कर सकते हैं।

यदि कोई हम से प्रश्न करे की हमारे देश की राष्ट्रीय तितली कोनसी है?

तो हम निरुत्तर हो जायेंगे क्यों अभी तक तितली की किसी भी प्रजाति को राष्ट्रीय तितली घोषित नही किया गया है.

भारत मे तितलियों की 1500 से अधिक प्रजातीय पायी जाती है। इनमे से राष्ट्रीय तितली की प्रजाति के चयन के लिए डॉ कुशलनाम कुंटे और इस्साक केहिमकर जैसे प्रसिद्ध विशेषज्ञ सहित 50 वैज्ञानियो के दल ने सभी प्रकार की तितलियों में निम्नलिखित 8 मापदंडों के आधार पर तितलियों की सात अनंतिम प्रजातियों का प्रथम चरण के लिए चयन किया है।

प्राथमिक चयन के 8 मानक-

 1. तितली का राष्ट्र के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक, पारिस्थितिक और संरक्षण महत्व होना चाहिए।

2. तितली को आकर्षक करिश्माई होना चाहिए।

3. तितली में स्वाभाविक रूप से आकर्षक जैविक पहलू होना चाहिए जो जनता के लिए आकर्षक हो।

4. तितली को आसानी से पहचाना, देखा और याद किया जाना चाहिए।

5. प्रजातियों के कई रूप (Multiple form)नहीं होने चाहिए।

6. तितली कैटरपिलर हानिकारक या कीट नहीं होना चाहिए।

7. तितली बहुत आम (Common)नहीं होनी चाहिए।

8. राष्ट्रीय तितली उन तितलियों में से नही हो सकती जो प्रजाति पहले से किसी राज्य की राजकीय तितली है।

सोशल मीडिया में ऑनलाइन फार्म, चुन सकते हैं तितली-

इसके लिए सोशल मीडिया में नेशनल बटरफ्लाई कैम्पेन में एक्सपर्ट नागरिकों के बीच पोल करा रहे हैं। इस पोल में कोई भी हिस्सा लेकर अपना वोट पसंदीदा तितली को दे सकता है। इसके लिए बकायदा फार्म भी अपलोड किया गया है। अपनी पसंद बनाने के लिए सात तितलियों को पहले शामिल किया है। जिनकी विशेषताओं के साथ फोटो अपलोड है। यहां जाकर चुन सकते हैं। हालांकि राष्ट्रीय तितली के चयन में यह है कि तितली की प्रजाति पहले से ही राज्य तितली नहीं होनी चाहिए। अभी भारत के सातों राज्यों के पास राज्य तितली है। इन सभी तीलियों की साथ प्रजातियों में सोशल मीडिया के उपयोग से भारतीय नागरिको से वोटिंग करवाकर सर्वाधिक पसंद की जाने वाली तीन प्रजातियो के नाम की अनुसंसा पर्यावरण और वन मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा इनमे से किसी एक तितली के नाम की घोषणा 2021 तक हो सकती है।

राष्ट्रीय तितली की आवश्यकता क्यों है 

तितलियां पर्यावरणीय व् जैविक संकेतक (indicator) हैं। वातावरण में परिवर्तन, जैसे वैश्विक तापमान और बढ़ता प्रदूषण, तितलियों जैसे छोटे जीवों में पहले परिलक्षित होता है। वे हमें समय पर चेतावनी देते हैं, तितली हमारी संस्कृति से जुडी हुई है लोक कलाओ तथा लोकगीतों में इनकी झलक दिखाई देती है,इसके साथ ही प्रकृति और संरक्षण में रुचि रखने वाले लोगों को लिए तितली एक आकर्षण का केंद्र है. तितलियां पारिस्थितिक तंत्र की खाद्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ साथ बच्चों की कल्पनाशीलता एवं रचनात्मक विकास में भी अहम योगदान देती  हैं। इन्हें जानना और इनका संरक्षण करना बहुत जरूरी है। राष्ट्रीय तितली घोषित होने पर लोगो में इनकी संरक्षण के प्रति जागरूकता आयेगी.

राष्ट्रीय तितली का विचार क्यों आया?

भारत के सात राज्यों ने अपनी अपनी राजकीय तितली को घोषित कर रखा है, अनेक पर्यावरण प्रेमी व् तितली विशेषज्ञ पिछले कई वर्षों से इस तरह के एक सर्वेक्षण पर चर्चा कर रहे थे, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान तितलियों के अवलोकन का अवसर तथा इनकी संख्या में वृद्धि ने वैज्ञानिको के विचार को प्रेरित किया. इस देश व्यापी सर्वेक्षण के माध्यम से न केवल तितलियों के बारे में, बल्कि प्रकृति के बारे में भी जागरूकता पैदा की जा सकेगी  हैं। इस अभियान के माध्यम से हम तितलियों के संरक्षण के अभियान में आम नागरिक भी सहभागी बन सकेंगे.

तितलियों के लिए अगस्त-सितंबर माह अनुकूल-

विशेषज्ञों के अनुसार, प्रकृति को बचाने में तितलियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। कई दुर्लभ वनस्पतियों का संवर्धन और संरक्षण होता है। हमारे आस पास तितलियों का बड़ी संख्या में होना एक श्रेष्ठ पारिस्थितिक तंत्र बताता है। तितलियों के अध्ययन के लिए सितंबर का महीना सबसे अनुकूल होता है। तितलियों के प्रजनन के लिए उपयुक्त तापमान होने से इस दौरान इनकी संख्या अधिक दिखाई देती है.

तितलियों पर संकट क्यो है?

वर्तमान समय आधुनिकरण की इस दौड़ ने तितली सहित कई प्रजातियां के अस्तिव को संकट में डाल दिया है। पिछले कुछ वर्षों में तितलियों की अनेक प्रजातीय विलुप्त हो चुकी है। इनके विलुप्त होते के प्रमुख कारण निम्नलिखित है-

  • पौधों की संकर प्रजातीय तितलियों के लिए अनुकूल नही है।
  • जंगल, खेत व घास में मैदानों में आग लगाने से तितलियों अंडे, लार्वा व प्यूपा नष्ट हो जाते है।
  • कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग।
  • जलवायु परिवर्तन से भी इनकी संख्या व प्रजनन दर में कमी आ रही है।

शाजापुर जिले में पाई जाने वाली तितलिया  -

शाजापुर सहित मालवांचल में तितलियों को अनेक प्रजातियाँ पायी जाती है इनमे से प्रमुख प्रजाति निम्न है-

  •  डेड लीफ (सूखे पत्ते जैसी तितली)
  •  लार्ज ओक ब्लू
  •  कॉमन जेजेबेल
  •  कॉमन नवाब
  •  कॉमन लास्कर
  •  कॉमन टाइगर बटरफ्लाई
  •  कॉमन येलो बटरफ्लाई
  •  डार्क ब्लू टाइगर
  •  कॉमन इंडियन क्रो
  •  प्लेन टाइगर
  •  कॉमन गुल
  •  कॉमन पिएरोट
  •  पीकॉक पेन्सी

 

भारत की राष्ट्रीय तितली चुनाव के लिए सात तितलियों में से अपनी पसंदीदा तितली को चुनिए 


नाम: भारतीय जेज़ेबेल (Indian Jezebel or  Common Jezebel)

वैज्ञानिक नाम: 𝘋𝘦𝘭𝘪𝘢𝘴 𝘦𝘶𝘤𝘩𝘢𝘳𝘪𝘴

रंग: पीला, लाल और काला।

आवास : उत्तर-पूर्वी राज्यों, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, छत्तीसगढ़

विवरण : यह 65-85 MM के आकार की इस तितली के पंख की उपरी सतह सफ़ेद व् निचली सतह पीली होती है, इनपर काली मोटे आकार की धारिया तथा किनारों पर नारंगी रंग के छोटे छोटे धब्बे पाए जाते है इन धब्बो से इसकी सुन्दरता बड जाती है.


नाम: तलवार पिच्चक (Five-bar Swordtail)

वैज्ञानिक नाम: 𝘎𝘳𝘢𝘱𝘩𝘪𝘶𝘮 𝘢𝘯𝘵𝘪𝘱𝘩𝘢𝘵𝘦𝘴

रंग: हरा, पीला और काला।

आवास : उत्तर-पूर्वी राज्यों, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, केरल, में पाया कर्नाटक

विवरण : इस तितली के पंखों का आकार 75 से 90 एमएम तक होता है पीछे के पंखों पर एक लंबी सीधी काली तलवार जैसी पूछ इसकी विशेष पहचान होती है इसके पंखों के काले सफेद पट्टों पर हरे रंग का संयोजन इसे बहुत सुंदर बनाता है

नाम: कृष्ण मोर (Krishna Peacock)

वैज्ञानिक नाम: 𝘗𝘢𝘱𝘪𝘭𝘪𝘰 𝘬𝘳𝘪𝘴𝘩𝘯𝘢

रंग: हरा, काला, नीला, मैजेंटा।

आवास : पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश

विवरण : यह  आकार में काफी बड़ी तितली है जो उत्तर पूर्वी हिस्सों व हिमालय में पाई जाती है इसके पंख 130mm तक होते हैं अगले पंख काले रंग के होते हैं जिस पर पीले रंग की लंबी धारी होती है नीचे के पंख नीले लाल बैंड युक्त होते हैं

नाम: पीला गॉर्जोन (Yellow Gorgon)

वैज्ञानिक नाम: 𝘔𝘦𝘢𝘯𝘥𝘳𝘶𝘴𝘢 𝘱𝘢𝘺𝘦𝘯𝘪

रंग: काला और पीला।

आवास : अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, पश्चिम बंगाल, पूर्वी हिमालय क्षेत्र 

विवरण :  यहां मध्यम आकार की बहुत ही सुंदर तितली है इसके कोण बनाते अनूठे पंख  इसकी विशेषता है इसके पंखों की अंदर वाली सतह पर गहरा पीला रंग होता है

नाम: भारतीय नवाब (Indian Nawab or Common Nawab)

वैज्ञानिक नाम: 𝘊𝘩𝘢𝘳𝘢𝘹𝘦𝘴 𝘣𝘩𝘢𝘳𝘢𝘵𝘢 -𝘗𝘰𝘭𝘺𝘶𝘳𝘢 𝘣𝘩𝘢𝘳𝘢𝘵𝘢

रंग: हरा, काला, भूरा।

आवास : सम्पूर्ण भारत में

विवरण : यह तेजी से उड़ने वाली तितली होती है पेड़ों के ऊपर हिस्सों पर निवास करती है इसलिए जमीन पर यहां कम दिखाई देती है इसके उपरी पंख काले होते हैं तथा नीचे के पंख  चॉकलेटी रंग के होते हैं नीचे के पंखों के बीच में हल्की पीली टोपी (मुकुट) जैसी रचना के कारण इसे नवाब कहते है


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नाम: उत्तरी जंगल की रानी (Northern Jungle queen)

वैज्ञानिक नाम: 𝘚𝘵𝘪𝘤𝘩𝘰𝘱𝘩𝘵𝘩𝘢𝘭𝘮𝘢 𝘤𝘢𝘮𝘢𝘥𝘦𝘷𝘢

रंग: नारंगी और भूरा।

आवास : सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश

विवरण : यह चॉकलेट ब्राउन रंग की तितली होती है हल्की नीली धारियां ऐसे सुंदर बनाती है इसके पंखों पर चॉकलेटी गोल घेरे इसकी सुंदरता को बढ़ाते हैं यहां फ्लोरोसेंट कलर में भी दिखाई देती है

नाम: ऑरेंज ओकलीफ़ (Orange Oak leaf)

वैज्ञानिक नाम: 𝘒𝘢𝘭𝘭𝘪𝘮𝘢 𝘪𝘯𝘢𝘤𝘩𝘶𝘴

रंग: नारंगी, नीला, भूरा।

आवास : सम्पूर्ण भारत में

विवरण : इसके पंख के शीर्ष पर नारंगी पट्टा और गहरा नीला रंग होता है तितली के आधार पर दो सफेद बिंदु होते हैं इनके कारण पंख खुलते ही रंगीन छटा बिखरती है पश्चिमी घाट उत्तर पूर्वी जंगलों में यह बहुतायत में पाई जाती है


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