How does a spider prepare its trap, as well as why does it not go into that trap itself?
हम अक्सर घर में मकड़ियो का जाल देखकर
परेशान हो जाते है, आज सफाई करो कल फिर से जाल तैयार, कई बार तो चलते चलते एकदम से
मकड़ी का जाल हमारे चेहरे पर चिपक जाता है। मकड़ी के जाल को देखकर अक्सर हमारे मन
में प्रश्न आता हैं कि मकड़ी अपना जाल क्यों और कैसे बनाती है?
मकड़ी अपना जाल अपना शिकार फंसाने के
लिए तैयार करती है, इस जाल में कीड़े मकोड़े फंसने पर मकड़ी उन्हें खा कर अपना पेट भर
लेती है। मकड़ी के शरीर से एक रेशमी धागे जैसा द्रव्य पदार्थ निकलता है जिसे
स्पाइडर सिल्क भी कहा जाता है, इसी पदार्थ द्वारा मकड़ी अपना जाल तैयार करती है. यह
चिपचिपा होता है मकड़ी जाल बुनने में इस द्रव्य पदार्थ का उपयोग करती है तो हवा के
संपर्क में आने पर यह पदार्थ सुखकर धागे जैसे तंतुओ में परिवर्तित हो जाता है।
मकड़ी अपना जाल बहुत कुशलता से बुनती है, जाल बनाने के लिए मकड़ी पहले एक गोल
फ्रेम बनाती है और फिर साईकिल के पहियों की ताडियों जैसे आपस में जुड़े हुए तार
बनाती है। इस चिपचिपे जाल में छोटे मोटे कीड़े मकोड़े आसानी से फंस जाते हैं और निकल
नहीं पाते। जब मकड़ी का शिकार इस जाल में फंसता है तो जाल में कम्पन्न होती है और
मकड़ी झट से अपने शिकार पर हमला बोल देती है और अपने जहर से उसे मार कर शिकार कर
लेती है।
मकड़ी अपने जाल में स्वयं नही फंसती है इसके
पीछे दो कारण होते है पहला इस जाल के बीच में मकड़ी खुद के निकलने
के लिए एक जगह छोड़ती है जिसमे से मकड़ी आसानी से निकल सके। दूसरा मकड़ी के पैर में विशेष
प्रकार का चिकना पदार्थ होता है जिसके कारण मकड़ी के पैर उसके जाल से नहीं चिपकते है
जिसके कारण मकड़ी अपने जाल में स्वयं नहीं फंसती है। हलाकि मकड़ी के पैर में तेल ग्रन्थियों
उपस्थति नही होती है।
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जवाब देंहटाएंबहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी है
जवाब देंहटाएंवास्तव हम ग्लिसरीन का प्रयोग करके स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं
यह तो बहुत अच्छी बात है यह ज्ञान प्राप्त करने के बाद बहुत आनंद आ गया
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