नववर्ष की मंगल कामनाएं
ओम प्रकाश पाटीदार
नए रंग हों नयी उमंगें आँखों में उल्लास नया,
नए गगन को छू लेने का मन में हो विश्वास नया,
नए वर्ष में चलो पुराने मौसम का हम बदलें रंग,
नयी बहारें लेकर आये जीवन में मधुमास नया,
नए वर्ष की हार्दिक बधाई…..
शिक्षक श्री लोकेश राठौर (शाजापुर) की कलम से..
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नए वर्ष पर, बीती ताहि बिसारी दे..
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वर्ष 2020 बीत रहा है। वर्ष 2021 के स्वागत की तैयारियां हो रही हैं। इस बार वर्ष बीतते-बीतते गिरिधर कविराय की ये पंक्तियां हर मन पर छायी हैं।
बीती ताहि बिसारि दे,
आगे की सुधि लेइ।
जो बनि आवै सहज में,
ताही में चित देई।।
वर्ष 2020 का स्वागत करते समय हम इक्कीसवीं शताब्दी के पांचवें हिस्से की समाप्ति के साथ नवोन्मेष की उम्मीदों से भरे हुए थे। तीन माह बीतते-बीतते कोरोना के रूप में 2020 ने अंतर्राष्ट्रीय तनाव भरी सौगात दी। उसके पश्चात तो वर्ष पर्यन्त संकट के नवोन्मेष होते रहे। घरों में कैद होने से लेकर आए दिन मौतों ने हर किसी को हिला कर रख दिया। इन स्थितियों में अब 2021 से चुनौती भरी उम्मीदें लगाई जा रही हैं। बीती हुई कड़वी यादों को भुलाकर 2021 में कुछ अच्छा सुनने की उम्मीद के साथ नए वर्ष की अगवानी की जा रही है।
2020 को लेकर तमाम अनुभवों के बीच देश के रुकने, बच्चों के स्कूल छूटने और वर्क फ्रॉम होम जैसी यादें तो साथ रहेंगी ही, 2021 व भविष्य के अन्य वर्षों को लेकर चुनौतियां भी मुंह बाए खड़ी हैं।
इन्हीं अवसरों एवं नव चुनौतियों के साथ विद्यार्थी हित का संकल्प लेते हुए नवोन्मेष जिजीविषा में नई उर्जा एवं ऊष्मा के साथ आगे बढ़े, बढ़ते रहेl पल. प्रतिपलl सभी को नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
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Wish you a very Happy New Year sir.
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Wish you a very Happy New Year sir.
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*वर्ष 2020 की विदाई*
जवाब देंहटाएंनई आशा का दीप जलायें, बीत गया यह खुशी मनायें ।।
यद्यपि संस्कृति भिन्न पर्व ये, पर नव वर्ष कहा जाता।
किन्तु प्रकृति से मेल करें तो, नया नहीं कुछ दिखलाता।।
अभी शीत का वातचक्र है, द्रुमदल कुण्ठित वातों से।
धान्य-पौध लघु शीतित जीवन, पीड़ित वात-आघातों से।।
हिम ताण्डव अति व्यथित जीव जन, सूरज सोया सोया सा।
नहीं उमंगित प्रकृति हमारी, निशा-दीर्घ, दिन खोया सा।।
फिर भी दुनिया खुशी मनाती, हम क्यों पीछे रह जायें।
नई आशा का दीप जलायें, दुर्दिन बीते हम हर्षायें।।
पिछले वर्ष बहुत कुछ खोया, अपने बिछड़े जग रोया।
गृह-जेलों में कटु-दिन काटे, तन मन टूटा धन खोया।।
उजड़ी मांगें बिलखे बच्चे, एक दूजे से दूर हुए।
रोजी रोजगार उद्योगों, से विहीन मजबूर हुए।।
भय से भरा वर्ष यह बीता, शंकाओं में सूख गये।
अस्त्र-शस्त्र विज्ञान ज्ञान के, सारे उपक्रम झूठ गये।।
वे दुर्दिन हम कहाँ भुलायें, अभी न उबरे, आश लगायें।
नई आशा का दीप जलायें, पिछला भूलें नया जगायें।।
सिखलाया भी इसी वर्ष ने, मिथक बहुत से तोड़ दिये।
भूले विसरे टूटे रिस्ते, घर बैठे ही जोड़ दिये।।
स्वच्छ पवन सर सरिता निर्मल, वन उपवन तरु हरियाली।
जीव-जन्तु स्वच्छंद निरामय, प्रकृति स्वच्छ हुई मतवाली।।
कम लोगों में कम पैसों में, कैसे बारात निकलती हैं।
घर में तनिक साधनों में भी, हिलमिल खुशियाँ मिलती हैं।।
प्रकृति हमारा पालन करती, सुख संसाधन देती है।
सीखा हमने यदि छेड़ा तो, विकट रूप धर लेती है।।
नहीं प्रकृति को क्षति पहुचायें, उसका सुन्दर रूप सजायें।
थोड़े में जीवन चल सकता, लोभ करें क्यों फिर ललचायें।
ईश्वर से अनुरोध हमारा, ऐसा वर्ष कभी न लायें।
नई आशा का दीप जलायें, "विश्व" संग हम हर्षायें।।
स्वप्न सुनहरे नाचें गायें, आओ अगला वर्ष मनायें।।
नर्मदा प्रसाद विश्वकर्मा 'विश्व'
नए साल की सभी को हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंHAPPY NEW YEAR
हटाएंWish you Happy New Year 2021.
जवाब देंहटाएंLiked your writing .
Thanks you very much Dr.Prabal Roy Sir RSC Bhopal
हटाएंHappy New year
जवाब देंहटाएंHappy new year sir
जवाब देंहटाएंHappy new year
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