हमें लग रहा होगा ज्यादा कुछ नही होगा क्योंकि इन मधुमक्खियो का मनुष्यों के जीवन से सीधे-सीधे कोई संबंध नही है। वह खूबसूरत नहीं होती, हमारे बगीचे के फूलों से पराग चुरा कर ले जाती हैं। अगर रोका तो डंक मार देती हैं। कई बार तो मधुमक्खियों के डंक से लोगों की मौत तक हो गई है। सवाल यह है कि जब इनकी कोई खास जरूरत ही नहीं तो इतना खतरा मोल क्यों लिया जाए। यदि पृथ्वी से मधुमक्खियां हमेशा के लिए खत्म हो जाए तो क्या होगा। मनुष्य की जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा। आइए पता लगाते हैं।
सबसे पहले यह समझ लीजिए कि दुनिया में मधुमक्खियों की लगभग 20000 प्रजातियां हैं। इनके उड़ने का अपना एक पैटर्न होता है। कुछ मधुमक्खियां ऐसी होती है, जो जब फूलों से पराग निकाल रही होती है तो उस फूल का एक हिस्सा प्रतीत होती है। ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने उस फूल और मधुमक्खी को एक दूसरे के लिए ही बनाया है। सोचने वाली बात है कि प्रकृति ने ऐसा क्यों किया।
इन मधुमक्खियों के कारण फूलों को नुकसान होता है या फायदा?
मधुमक्खियों की हजारों प्रजातियों में से सबसे महत्वपूर्ण होती है वह प्रजाति जो फूलों से उनका रस निकाल कर लाती है। क्या मधुमक्खियां हमारे फूलों को ठीक उसी प्रकार नुकसान पहुंचाती हैं जैसा कि आवारा जानवर हमारे खेतों को पहुंचाते हैं? इसका सरल उत्तर है 'बिल्कुल नहीं', बल्कि इससे उल्टा होता है। यदि मधुमक्खी फूल से उस का रस नहीं चुसेगी तो फिर फूल से फल बनने में काफी वक्त लगेगा। जब तक फूल के अंदर का रस खत्म नहीं हो जाता है, वह फल नहीं बन सकता। (अरे वाह, मधुमक्खी फूलों से रस चुराती नहीं है बल्कि हमारी सहायता करती है, जो शायद कोई नहीं कर सकता। बगीचे का माली एक एक फूल में इंजेक्शन लगाकर रस निकालेगा तो पागल हो जाएगा और बागवानी बंद कर देगा।)
परागण (Pollinatin) क्या है?
मधुमक्खी द्वारा इस प्रकार फूलों पर बैठना और उनका रस चूसना, परागण ( pollination) की प्रक्रिया कहलाता है। फूलों से रस चूसने के दौरान नर पुष्प पर उपस्थित परागकण इन मधुमक्खीयों के पंख व पैरों से चिपककर मादा पुष्प के वर्तिकाग्र (Stigma) तक पहुच जाते है। इसी क्रिया को परागण कहते है। परागण के पश्चात पुष्प में निषेचन (Fertilization) की क्रिया होती है। निषेचन के बाद पुष्प में फल और फिर बीज बनते है।
बीज बनने के लिए मधुमक्खी क्यो महतवपूर्ण है?
पौधों में परागण की क्रिया में वायुपरागण, जलपरागण के साथ साथ कीटपरागण बहुत महत्वपूर्ण है। कीटपरागण की क्रिया में तितली, पतंगे तथा मधुमक्खी की मुख्य भूमिका होती है। यदि मधुमक्खीयाँ नही होगी तो, परागण नही होगा, परागण नही होगा तो फल नही बनेंगे, फल नही बनेंगे तो बीज नही बनेंगे तो इस पृथ्वी पर पौधे होना भी असंभव होगा। इसीलिए फल, बीज तथा अनाज व दाल सभी के लिए मधुमक्खी बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही मधुमक्खी के होने से हमें शहद (Honey) तो बिल्कुल भी नही मिलेगा। यह शहद औषधीय गुणों से भरपूर होता हैं।