Do devil enter the body of some people?

 क्या कुछ लोगों के शरीर में प्रेतात्मा प्रवेश कर जाती हैं?

आपने कभी न कभी लोगों को यह कहते अवश्य सुना होगा कि अमुक व्यक्ति के शरीर में किसी प्रेतात्मा (Devil), देवी-देवता या  पीर-फ़क़ीर की आत्मा (रूह) प्रवेश कर स्वयं उस व्यक्ति या दूसरे व्यक्तियों को परेशान कर रही है। क्या वास्तव में लोगों के शरीर में प्रेतात्मा प्रवेश कर जाती हैं? आइये इस इस विषय पर चर्चा करते है।

विश्व के लगभग सभी देशों में किसी न किसी रूप में यह समस्या देखी जाती है। विशेषकर शैक्षिक रूप से पिछड़े क्षेत्रो में इस तरह के मामले ज्यादा होते है। क्योकि शिक्षा के आभाव में लोगों द्वारा इन घटनाओं को बड़ा-चढ़ा कर प्रचारित किया जाता है। मनोचिकित्सकों के अनुसार किसी व्यक्ति को डरावने साए (परछाई) दिखना, अपने आसपास किसी के होने का आभास होना, अजीब सी आवाजे सुनाई देने का भ्रम होना, अपने जीवन से निराश होकर आत्महत्या का विचार आना, सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होना, सुख-दुःख का अहसास नही होना, शरीर को बेढंगे तरीके से रखना, रहस्यमयी चीजों या फिर धर्म से अनावश्यक जुड़ाव रखना, खुद को सताए जाने का भ्रम या फिर खुद के अमीर तथा ताकतवर होने का भ्रम होने की अवस्था को सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) कहा जाता है। यह एक गंभीर मानसिक बीमारी है। सिजोफ्रेनिया से ग्रसित व्यक्ति को ऐसा लगने लगता है कि दूसरे उन्हें अपने इशारों पर नचाने की कोशिश कर रहे हैं। या फिर उन्हें लगता है कि उनमें दैवीय शक्तियां हैं।

सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) 16-45 आयु वर्ग के लोगों में होने वाली एक गंभीर मानसिक बीमारी है। सिजोफ्रेनिया के मरीज इलाज का विरोध करते हैं तथा वह यह मानने के लिए भी तैयार नहीं होते हैं कि उन्हें कोई समस्या है। इस बीमारी के होने के कई कारण हो सकते हैं। इसके प्रमुख कारणों में मस्तिष्क में पाए जाने वाले न्यूरो ट्रांसमीटर डोपामाइन (Dopamine) तथा सेरोटोनिन (Serotonin) में असंतुलन होना, पारिवारिक रिश्तों तथा परिवार में तनाव, तलाक और बेरोजगारी जैसे कारण हो सकते हैं। नशीले पदार्थ जैसे मरिजुआना और एलएसडी का नशा करने वालों तथा स्टेरॉयड और स्टिमुलेंट्स लेने वालें व्यक्तियों को सिजोफ्रेनिया होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। गर्भवती माता में होने वाले वायरल इंफेक्शन से भी बच्चे में सिजोफ्रेनिया होने की सम्भावना हो सकती हैं। यह वंशानुगत (Genetic) प्रभाव के कारण से एक पीढ़ी से अगली पीढीयों के सदस्यों को भी हो सकती हैं।

सिजोफ्रेनिया कोई ला इलाज बीमारी नही हैं। मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिकल) काउंसलिंग से सिजोफ्रेनिया का उपचार किया जा सकता है। हालांकि ज्यादातर मामलों में मरीजों को इसके लक्षणों से छुटकारा पाने में लंबा वक्त लग जाता है। 

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