कीट-पतंगे रोशनी की ओर आकर्षित क्यों होते हैं?
हम अक्सर देखते है कि हमारे घर के आस-पास सड़क किनारे की
स्ट्रीट लाइट या पार्कों में जलती लाइट की रौशनी में रात के समय बढ़ी संख्या में कीट-पतंगे
मंडराते रहते है। आखिर यह कीट-पतंगे रोशनी की ओर आकर्षित क्यों होते हैं? आइये इसका उत्तर जानने का प्रयास करते है।
प्रकाश स्त्रोत के
आसपास मंडराते कीट-पतंगों को देखकर हमे लगता है कि यह प्रकाश के स्त्रोत की ओर आकर्षित
होकर चुम्बक की तरह खीचे चले आते हैं। वास्तव में यह कीट-पतंगे प्रकाश की दिशा में
चलते हैं या उस प्रकाश के स्त्रोत की दिशा का सहरा लेकर उड़ते हैं, जिधर से प्रकाश आ रहा है।
विज्ञान में इस घटना को फोटोटेक्सिस (Photo taxis) कहते है।
जब कोई प्राणी प्रकाश की दिशा में गति करता है तो इस घटना को धनात्मक फोटोटेक्सिस
कहते है। (उदहारण कीट-पतंगे, युग्लिना आदि) जबकि कोई प्राणी (उदहारण कॉकरोच) प्रकाश
की विपरीत दिशा में गति करता है तो यह घटना ऋणात्मक फोटोटेक्सिस कहलाती है।
कीट-पतंगों के प्रकाश की ओर आकर्षित होने के धनात्मक
फोटोटेक्सिस व्यव्हार को इस तरह से भी समझ सकते हैं कि जैसे अगर कोई पतंगा चंद्रमा
की रोशनी की दिशा को आधार मानकर उड़ रहा हो तो वह बहुत लंबे समय चंद्रमा की दिशा
में सीधे ही उड़ता चला जाएगा, इस
दौरान जब किसी जलती हुई लाइट की रोशनी के पास पहुँच जाता तब वह दिशा भ्रम के कारण
उस प्रकाश स्त्रोत के चारों ओर चक्कर काटता रहता है। इस दौरान कई बार तो यह कीट-पतंगे
उस प्रकाश स्त्रोत के पास जाकर तेज गर्मी और गर्म बल्ब की चपेट में आकर मर जाते
हैं। कीट-पतंगों की अनेक प्रजातियाँ पराबैंगनी (Ultra Violet)
प्रकाश के लिए अधिक संवेदनशील होती हैं। क्योकि यह पराबैंगनी प्रकाश
उन्हें एक-दूसरे से मेल-मिलाप कर संतानोपत्ति के लिए भी प्रेरित करता है। यही कारण
है कि रेस्टोरेंट तथा रेलवे स्टेशंस पर कीड़ो को मरने वाले इन्सेक्ट किलर में पराबैंगनी
प्रकाश उत्पन्न करने वाली ट्यूब लाइट लगायी जाती है।