एयर कंडीशनर (AC) कैसे काम करता है?

एयर कंडिशनर कैसे काम करता है?


एयर  कंडीशनर क्या होता है ये शायद हर किसी को पता होगा लेकिन अगर नहीं पता है तो इसमें शर्माने की कोई बात नहीं है क्यों की इसे हर कोई इतनी आसानी से अफोर्ड  नहीं कर सकता है आज कल ये एक दिखावे का आइटम हो गया है |
क्यों की गर्मियों में लोग उन्ही के यहाँ जायदा जाना पसंद करते है जिनके घरो में  एयर  कंडीशनर लगा होता है ताकि वह गर्मी में पहुचकर कुछ रिलैक्स करने में आनंदित हो सके  और आमने सामने बैठ कर चाय पिते  हुए गॉसिप करते हुए काफी मज़ा लुट सके |

एयर  कंडीशनर का मुख्य कार्य होता ही की रूम के अनदर की गर्म हवा को ठंडा करना और साथ ही साथ अंदर की humidity को हटाना भी है अर्थात अन्दर के environment को काफी comfortable बनाना है ताकि हम रिलैक्स हो सके | आप को एक चीज और बता दे की ह्यूमन बॉडी का टेम्परेचर 36.5 डिग्री सेंटीग्रेड होता है |
और गर्मियों में वातावरण का टेम्परेचर  लगभग 50 डिग्री C तक होता है | इतने जायदा टेम्परेचर पर इंसानों को uneasy फील होता है अन्दर और बहार के तापमान में अंतर के कारण बॉडी को उसी हिसाब से जायदा वर्क करना पड़ता है ताकि अन्दर का ताप मान को मेन्टेन किया जा सके इसके लिए हमे जायदा पानी पीना पड़ता है |अगर हम एयर कंडीशनर में बैठते है तो हमारे बॉडी को जायदा गर्मी नहीं लगती है अर्थात बॉडी को जायदा पानी पिने की जरुरत नहीं पड़ती है और हमे easy फील होता है |

कैसे काम करता है एयर  कंडीशनर:
एयर  कंडीशनर और रेफ्रीजिरेटर दोनों एक ही principle पर कार्य करते है इसमें एक ऐसे केमिकल आइटम को डालते है जो आसानी से लिक्विड एवं गैस में परिवर्तन हो जाये साथ ही साथ गैस से पुन: लिक्विड में परिवर्तन हो जाये | इसका मुख्य कार्य room की heat को remove  करने हेतु एवं इस गरम हवा को बाहर (रूम के ) भेजने  के काम में लाया जाता है |

मशीन में मुख्य रूप से तीन पार्ट होते है:
  1. a compressor
  2. a condenser
  3. an evaporator

a compressor & a condenser ये साधारणतया एयर  कंडीशनर के रूम के बाहर इनस्टॉल होते है जब की  evaporator एयर  कंडीशनर रूम के अंदर इनस्टॉल होते है |

working chemical fluid  कंप्रेसर में ठन्डे हालत में पहुचता है कंप्रेसर उसे प्रेस कर देता है जिससे उसके मॉलिक्यूल नजदीक आ जाते है  और उनके मॉलिक्यूल जितना नजदीक आते है उतनी जायदा  उसमे एनर्जी बढ़  जाती है अर्थात उसका तापमान बढ  जाता हैफिर कंप्रेसर उसे पंप करके कंडेंसर में भेजता है

कंप्रेसर से ये फ्लूइड निकलने के बाद काफी हॉट और गैस फॉर्म में होता है फिर इसे कंडेंसर में भेजा जाता है जहा पर रेडियेटर ( पतली पतली कई ढेर सारी  प्लेट होती है ) से गुजरा जाता है ताकि अधिक से अधिक एयर के साथ कांटेक्ट में आये और  इसका heat बाहर एयर में चला जाये और इस तरह कंडेंसर से निकलने के बाद ये गेस हाई प्रेशर पर लिक्विड स्टेट में कन्वर्ट हो जाता है और ठंडी कंडीशन में रहता है क्यों की इसकी सारी  heat कंडेंसर की प्लेट के थ्रू एयर में चली गई |

अब इसे evaporator में पास करने के पहले narrow hole, expansion वाल्व में भेजा जाता है जो की तेमेरतुरे सेंसिटिव होता है और ये थर्मो स्टेट से कनेक्टर होता है तेमेरतुरे में चंगे के हिसाब से एक्सपेंशन वाल्व उसी हिसाब से लिक्विड की क्वांटिटी को एक्सपेंशन coil (evaporator) में पास करता है |
यहाँ पर (evaporator में ) लिक्विड गेस  फॉर्म में पुन : बदल जाती है | क्यों की यहाँ ये लिक्विड एक्सपेंशन पाइप में इंटर करती है और रूम की गर्मी इस लिक्विड को गेस में evaporate कर देती है |


A- hot air to out side
B-Fan to help improve heat transfer from coils to outside
C-Fan for more efficient transfer of cool air to inside.
D-Expansion valve
E- Compressor
F-Cool air to inside
अर्थात कोई भी चीज लिक्विड से गेस में तभी बदलेगी जब यूज़ heat किया जायेगा ठीक इसी प्रकार evaporator में घुसते ही ये लिक्विड गेस में evaporate हो जाता है इसको heat रूम की गर्मी देती है जिससे ये लिक्विड से गेस में कन्वर्ट हो जाता है |
evaporator में भी पिंस होते है जिससे वह पर भी heat dissipate  हो जाती है जिससे ठंडी एयर (रूम temp ) पर ये पुन: कंप्रेसर की तरफ पहुचती है और ये साइकिल तब तक चलती है जब तक ये रूम टेम्परेचर को सर्टेन लेवल (सेट वैल्यू) पर नहीं ले आती है |

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