मृत सागर का नाम मृत सागर क्यो पड़ा?

क्यों पड़ा मृत सागर नाम ? क्या में कोई जीव जीवित नही रहता है?
Om Prakash Patidar

मृत सागर का नाम मृत सागर क्यों पड़ा? दरअसल इसका पानी इतना अधिक खारा है कि इसमें कोई जीव जीवित ही नहीं रह पाता। पर इसकी खासियत है कि इसके पानी से कई तरह की औषधियां भी बनती हैं और कोई इसमें डूबता भी नहीं।
दुनिया के ज्यादातर समुद्रों का पानी खारा या नमकीन होता है। इससे नदियों के पानी की तुलना में समुद्र के नमकीन पानी का घनत्व यानी डेंसिटी बढ़ जाती है। यह नदियों के पानी से ज्यादा भारी होता है। समुद्री पानी में मौजूद नमक (सोडियम और मैग्नीशियम) औसतन एक घन फुट के लिए एक किलोग्राम होता है। पर तुम्हें यह जानकर हैरत होगी कि डेड सी या मृत सागर और अमेरिका की ग्रेट साल्ट लेक का पानी साधारण समुद्री पानी से भी तकरीबन 6 से 7 गुना ज्यादा खारा है। मृत सागर का खारा पानी नीचे की ओर बढ़ता है। इस खारे पानी का भार इतना ज्यादा है कि तुम इस पानी में सीधे लेट जाओ तो डूब नहीं सकते और बिना किसी डर के आसानी से तैर सकते हो।
मृत सागर की इस खूबी और उसके आसपास फैले सौंदर्य की वजह से उसे 2007 में ‘विश्व के सात अजूबे (7 न्यू वंडर्स इन द वर्ल्ड)’ में चुनी गई 28 जगहों की सूची में शामिल किया गया था। पर इसके पक्ष में ज्यादा वोट नहीं मिल पाने से इसे दुनिया के सात अजूबों में शामिल नहीं किया जा सका। मृत सागर इजरायल और जॉर्डन के बीच स्थित है। यह अरबी झील के रूप में जाना जाता है। मृत सागर धरती के न्यूनतम बिंदु पर है। यह सागर सबसे कम जगह में फैला है।
पृथ्वी की सतह से मृत सागर करीब 1375 फुट या 420 मीटर गहरा है और समुद्री सतह से वह करीब 2400 फुट नीचे है। इसके जल में तकरीबन 33.7 प्रतिशत खारापन है। यह वास्तव में एक बड़ी और संकीर्ण नमक की झील है। मृत सागर  48 मील लंबा और 11 मील चौड़ा है। यह तीन पर्वतमालाओं से घिरा है। इसका स्तर समुद्र की सतह से 400 मीटर  नीचे है।
उर्वरक व औषधियों के लिए उपयोगीइसका पूर्वी तट जॉर्डन है, जबकि दक्षिणी-पश्चिमी तट इजरायल है, जहां काफी कम पानी होता है। यहां नमक और लवणों के छोटे-छोटे खूबसूरत टीले और तट पर फैला नमक आसानी से देखने को मिल जाता है, जो दूर से समुद्री झाग की तरह लगते हैं। मृत सागर जॉर्डन, यहूदिया और यरदन जैसी नदियों और इजरायल की पश्चिमी पहाडियों तथा पूर्व में जॉर्डन के पठारों से घिरा है, जिसके नीचे बह रही धाराओं से पानी की आपूर्ति होती है। इस प्रक्रिया में पानी पहाड़ों से कई खनिज लवण लाता है। मृत सागर का पानी वाष्पीकृत होता रहता है, जिससे सागर में नमक की डेंसिटी बढ़ती रहती है। यह अलग बात है कि यह नमक हमारे खाने लायक नहीं होता। इसे औषधियों और उर्वरक बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
क्यों पड़ा मृत सागर नाम इसे मृत सागर क्यों कहा जाता है? इसका पानी न सिर्फ बहुत खारा है, बल्कि  पोटाश, ब्रोमाइड, मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक, सल्फर जैसे खनिज लवण भी काफी मात्रा में होने के कारण न तो इसका पानी और न इससे बनने वाला नमक हम खानपान में इस्तेमाल कर सकते हैं। नमक ज्यादा होने के कारण इसमें मछली या दूसरे जलीय जीव जीवित नहीं रह सकते। यदि गलती से कोई जीव मृत सागर में आ जाता है तो वह तुरंत मर जाता है। इसके अलावा यहां जलीय पौधे भी नहीं पनप पाते, केवल कुछ बैक्टीरिया और शैवाल ही मिलते हैं। यही कारण है कि इसे मृत सागर का दर्जा दिया गया है। इसे यह नाम प्राचीन ग्रीक लेखक ने दिया था। इब्रियो यू इसे नमक समुद्र और अरब लेखक बदबूदार समुद्र कहते हैं।
हालांकि इसमें नदियों से, वर्षा से ताजा पानी आता रहता है, लेकिन यहां का वातावरण और हवा काफी  शुष्क है। पूरे साल तापमान गर्म रहता है। इस कारण वाष्पीकरण तेज होने के कारण इसका पानी हर साल एक मीटर से अधिक कम हो जाता है और झील की लवणता बढ़ती जाती है।
दवाओं में होता है इस्तेमाल
भले ही इस सागर में कोई जलीय जीव नहीं पनप पाता, पर इसका जल कई औषधीय गुणों से भरपूर है। इसे कई लाइलाज रोगों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। वैज्ञानिकों ने भी यह साबित कर दिया है कि यहां मिलने वाला नमक और खनिज लवण हमारे लिए मूल्यवान हो सकते हैं। इसी के चलते आज मृत सागर, एशिया के मेडिकल टूरिज्म के रूप में आकर्षण का केन्द्र बनता जा रहा है। मृत सागर के उत्तरी-पश्चिमी भाग में पर्यटन और स्वास्थ्य केन्द्र खोले गए हैं। मृत सागर के पानी के किनारे की काली मिट्टी और नमक से यहां विभिन्न स्पा और मड-थेरेपी के जरिये इलाज किया जाता है।

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