छुईमुई की पत्तियां हाथ लगाने पर सिकुड़ क्यो जाती है?
Om Prakash Patidar
लाजवंती को आमतौर पर छुई-मुई के नाम से जाना जाता है। इस पौधे का वानस्पतिक नाम मिमोसा प्यूडिका है। इस पौधे की पत्तियां अत्यंत संवेदनशील होती है। छुई-मुई की पत्तियां किसी बाहरी वस्तु के स्पर्श से मुरझाती हैं। ये पत्तियां कोई कीड़ा, लकड़ी यहां तक कि तेज हवा चलने और पानी की बूंदों के स्पर्श मात्र से ही मुरझा जाती है। आसपास ढोल बजाने से भी इसकी पत्तियाँ मुरझाने लगती है। यह संयुक्त पत्तियों वाला पौधा है। इसमे छोटी-छोटी पत्तियां या पर्णक होते हैं जिनको सामान्यतया पत्तियां ही समझा जाता है। ये छोटी-छोटी पत्तियां (पर्णक) मुख्य पत्ती के बीचों-बीच स्थित मध्य शिरा के दोनों तरफ लगी होती हैं। यह पौधा अपनी प्रतिक्रिया इन छोटी-छोटी पत्तियों को आपस में चिपका कर अथवा खोलकर व्यक्त करता है जिसे छुई-मुई का मुरझाना या शर्माना भी कहते हैं।
इसकी पत्तियाँ कई कोशिकाओं की बनी होती हैं। इनमें द्रव पदार्थ भरा रहता है। यह द्रव कोशिका की भित्ति को दृढ़ रखता है तथा पर्णवृन्त को खड़ा रखने में सहायक होता है। जब इन कोशिकाओं के द्रव का दाब कम ही जाता है तो पर्णवृन्त तथा पत्तियों की कोशिका को दृढ़ नहीं रख पाता। जैसे ही कोई व्यक्ति इसकी पत्तियों को छूता है एक संदेश पत्तियों और उनके आधार तक पहुँचता है। इससे पत्तियों के निचले भाग की कोशिकाओं में द्रव का दाब गिर जाता है जबकि ऊपरी भाग की कोशिका के दाब में कोई परिवर्तन नहीं होता है, अतः पत्तियाँ मुरझा जाती है।
देखा गया है कि इस पौधे में जहां पहले स्पर्श होता है, वहां की पत्तियां पहले बंद होती हैं। इस गुण की वजह से छुई-मुई का पौधा पशुओं द्वारा चरने से बच जाता है क्योंकि पशु के किसी अंग के हल्के स्पर्श से ही पूरा पौधा मुरझा जाता है। इससे पशु पौधे को बेजान समझ कर आगे बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पौधा भी हमारी तरह रात को सोता है।
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