बन्द नाक खुलती है दवा से , फिर बन्द होने के लिए।
नाक बन्द होने और छींक-जैसे लक्षणों को चिकित्सा-शास्त्र में राइनाइटिस नाम से सम्बोधित किया गया। राइनाइटिस यानी नाक का प्रदाह या इन्फ्लेमेशन। कारण कई। पहचानें भिन्न। उपचार भी तदनुसार अलग-अलग।
लेकिन बहुधा लोग इन भेदों को नहीं बूझ पाते और बन्द नाक को तुरन्त खोल डालना चाहते हैं। कोई भी नुस्ख़ा जो काम कर जाए। नाक खुले , पानी गिरना बन्द हो। आगे की कौन सोचता है !
नाक में डाली जाने वाली बहुत सी दवाओं में डीकन्जेस्टेन्ट-परिवार के पदार्थ होते हैं। इन पदार्थों का लम्बा प्रयोग राइनाइटिस को ठीक करने की बजाय उसे और बढ़ा सकता है। इन डीकन्जेस्टेन्ट-पदार्थों से होने वाली राइनाइटिस को राइनाइटिस मेडिकामेंटोज़ा का नाम दिया गया है : यानी वह राइनाइटिस जो दवा के दुष्प्रभाव से होती है।
नाक फिर खुलती नहीं , बन्द रहा करती है और पानी नित्य गिरा करता है। उपचार करने चले थे , दवा ख़ुद मर्ज़ बन जाती है।
नाक में कुछ भी मनमरज़ी से न डालें। और डीकन्जेस्टेन्ट-पदार्थों वाली दवाएँ तो बिना ईएनटी-स्पेशलिस्ट ( या फ़िज़ीशियन ) की राय के बिलकुल नहीं।
कोई भी दवा ओवर-द-काउंटर मानकर प्रयोग करना उचित नहीं है , लोग चाहे कुछ भी समझा-माना करें। हादसे जब होते हैं , तब नियम याद आते हैं।
साभार: डाक्टर स्कन्द शुक्ला
विज्ञान
नाक बन्द होने और छींक-जैसे लक्षणों को चिकित्सा-शास्त्र में राइनाइटिस नाम से सम्बोधित किया गया। राइनाइटिस यानी नाक का प्रदाह या इन्फ्लेमेशन। कारण कई। पहचानें भिन्न। उपचार भी तदनुसार अलग-अलग।
लेकिन बहुधा लोग इन भेदों को नहीं बूझ पाते और बन्द नाक को तुरन्त खोल डालना चाहते हैं। कोई भी नुस्ख़ा जो काम कर जाए। नाक खुले , पानी गिरना बन्द हो। आगे की कौन सोचता है !
नाक में डाली जाने वाली बहुत सी दवाओं में डीकन्जेस्टेन्ट-परिवार के पदार्थ होते हैं। इन पदार्थों का लम्बा प्रयोग राइनाइटिस को ठीक करने की बजाय उसे और बढ़ा सकता है। इन डीकन्जेस्टेन्ट-पदार्थों से होने वाली राइनाइटिस को राइनाइटिस मेडिकामेंटोज़ा का नाम दिया गया है : यानी वह राइनाइटिस जो दवा के दुष्प्रभाव से होती है।
नाक फिर खुलती नहीं , बन्द रहा करती है और पानी नित्य गिरा करता है। उपचार करने चले थे , दवा ख़ुद मर्ज़ बन जाती है।
नाक में कुछ भी मनमरज़ी से न डालें। और डीकन्जेस्टेन्ट-पदार्थों वाली दवाएँ तो बिना ईएनटी-स्पेशलिस्ट ( या फ़िज़ीशियन ) की राय के बिलकुल नहीं।
कोई भी दवा ओवर-द-काउंटर मानकर प्रयोग करना उचित नहीं है , लोग चाहे कुछ भी समझा-माना करें। हादसे जब होते हैं , तब नियम याद आते हैं।
साभार: डाक्टर स्कन्द शुक्ला
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आपकी पोस्ट हमें बहुत अच्छी लगी आपके द्वारा बताया गया सभी जानकारी बहुत ही अच्छी है हमने हाल ही में काफी सारे और भी जानकारी बताई है यदि आप चाहें तो इसे पढ़ने के लिए इस पोस्ट को पब्लिश करने की परमिशन दे सकते हैं जैसा कि आप देख सकते हैं मैं यहां पर बहुत सारी अलग-अलग तरीके की जानकारी उपलब्ध कराया हूं दवाई, मेडिसिन , होम्योपैथिक दवा , नुकसान और फायदे के बारे में .
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